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चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में छात्रों को नई सौगात, ऑनलाइन पढ़ने को मिलेंगी थीसिस, नहीं आना पड़ेगा लाइब्रेरी

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Published : Jul 30, 2022, 3:17 PM IST

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चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए एक पहल की गई है. अब स्टूडेंट्स थीसिस को ऑनलाइन पढ़ सकेंगे. इसके उन्हें अब लाइब्रेरी आने की जरूरत नहीं होगी. इसकी जानकारी प्रोफेसर डॉक्टर जमाल अहमद सिद्दीकी ने ईटीवी भारती की टीम को दी. देखिए यह खास रिपोर्ट....

मेरठ: चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में अब रिसर्च स्कॉलर और अन्य स्टूडेंट्स के लिए थीसिस ऑनलाइन उपलब्ध हो पाएंगी. इसके लिए छात्रों को अब विश्वविद्यालय कैम्पस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. इसके साथ ही लाइब्रेरी में मौजूद एक लाख से भी अधिक पुस्तकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने की कोशिश लगातार जारी है.

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में अब एक खास स्कैनर लगा दिया गया है. इसकी मदद से स्टूडेंट्स कोई भी थीसिस को कुछ ही समय में स्कैन कर सकेंगे. इतना ही नहीं, वह मटेरियल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पढ़ने के लिए भी उपलब्ध हो पाएगा. बता दें कि, थीसिस को स्कैन करने में कम से कम चार दिन का समय लगता था, लेकिन अब विश्वविद्यालय ने डिजिटाइजेशन की तरफ बढ़ते हुए राजा महेंद्र प्रताप सिंह पुस्तकालय में स्कैनर लगाया है. इसके साथ ही थीसिस को ऑनलाइन अपलोड करने की प्रक्रिया भी जारी है. थीसिस हार्ड कॉपी में जमा की जाती हैं. उसके बाद अगर किसी रिसर्च स्कॉलर और स्टूडेंट्स को कोई जानकारी लेनी होती थी, तो वह बार-बार यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाते थे.

जानकारी देते प्रोफेसर डॉक्टर जमाल अहमद सिद्दीकी
राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर जमाल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि पहले से ही विश्वविद्यालय का यह प्रयास रहा है कि, इस पुस्तकालय में जितनी भी सामग्री है, उसको डिजिटाइज करके छात्रों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाये. सन 1965 में विश्वविद्यालय स्थापित हुआ था. तब से लेकर अभी तक लगभग 15 हजार से ज्यादा प्रिंट थीसिस इस पुस्तकालय में उपलब्ध हैं. इन थीसिस को पढ़ने के लिए छात्रों को पुस्तकालय आना पड़ता था. अब इस पुस्तकालय में करीब 20 लाख रुपये कीमत का स्कैनर लगा दिया गया है. इससे सभी थीसिस को डिजिटाइज करके शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य किया जा रहा है. इसके बाद छात्र डिजिटल फॉर्म में इन थीसिस को पढ़ सकते हैं.

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प्रोफेसर डॉक्टर जमाल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि 2 हजार से अधिक थीसिस को स्कैन कर लिया गया है और उन्हें डिजिटाइज करके अपलोड भी कर दिया है. शोध गंगा पोर्टल पर थीसिस को अपलोड करने का प्रयास जारी है और अगले एक साल में सभी थिसिस ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएंगी. विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें और उनके प्रकाशित शोधपत्र के साथ विश्वविद्यालय के पुराने प्रश्नपत्र भी ऑनलाइन अपलोड किये जाने का कार्य किया जा रहा है. इससे छात्र एक क्लिक में पढ़ पाएंगे. पहले एक थीसिस में को 4 दिन में स्कैन कर पाते थे. लेकिन अब एक दिन में 15 से 20 थीसिस स्कैन करके डिजिटाइज करके शोधगंगा पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं.


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