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निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए दो से पांच बेड का बनायें वार्ड : सीएमओ

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Published : Jun 14, 2022, 10:20 PM IST

स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग

प्रदेश में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. सीएमओ ने सभी प्राइवेट अस्पतालों को अलर्ट जारी किया है. साथ ही वार्ड बनाने के भी निर्देश दिये हैं.

लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए तैयारी तेज कर दी है. चौथी लहर की आशंका में सीएमओ ने सभी प्राइवेट अस्पतालों को अलर्ट जारी किया है. उन्होंने निर्देश दिये हैं कि प्रत्येक अस्पताल क्षमता के हिसाब से संक्रमितों के लिए दो से पांच बेड का वार्ड बनाएं. इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की कोरोना जांच कराएं. यदि कोई संक्रमित मिलता है तो उसे भर्ती कर इलाज मुहैया कराएं. कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. रोजाना 50 से अधिक लोग संक्रमण की जद में आ रहे हैं. वहीं दूसरी दूसरे मरीजों की भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. संक्रमण की पुष्टि के बाद मरीजों को बिना इलाज रेफर कर दिया जा रहा है.


अस्पतालों को जारी की गई नोटिस : लखनऊ में करीब 1000 प्राइवेट अस्पताल हैं. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक निजी अस्पताल में दो से पांच बेड कोरोना संक्रमितों के लिये आरक्षित करें. यदि कोई भी मरीज पॉजिटिव आता है तो उसका इलाज बंद न करें. मरीज को जल्दबाजी में रेफर न करें. प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर टीबी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. वहीं टीबी मरीजों का आंकड़ा निक्षय पोर्टल पर दर्ज नहीं किया जा रहा है. जिला क्षय रोग अधिकारी को भी मरीजों की जानकारी नहीं दी जा रही है. जिससे मरीजों का सही आंकड़ा नहीं जुट पा रहा है. साथ ही मरीजों को सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने मनमानी करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया है. वहीं 20 से अधिक अस्पतालों को नोटिस भी जारी की गई है. जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. कैलाश बाबू के मुताबिक कई अस्पताल टीबी मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे हैं. बहुत से डॉक्टर तो साल में एक-दो मरीजों की ही जानकारी दे रहे हैं. 2021 में पहली तिमाही में प्राइवेट सेंटर ने 2596 मरीज की जानकारी दी थी. जो 2022 में घटकर 1315 रह गए हैं.

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केंन्द्र सरकार के गजट टीबी नोटिफिकेशन के अंतर्गत प्रत्येक केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट को शेड्यूल एच 1 के तहत टीबी मरीज का ब्योरा रखना होगा. जिला टीबी केन्द्र को भी बताना होगा. उन्होंने बताया कि यदि डॉक्टरों ने जल्द ही टीबी मरीजों की जानकारी देनी शुरू नहीं की तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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