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Sawan 2022: दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में रावण ने चढ़ाया था 10वां शीश, जानें महत्व

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Published : Jul 13, 2022, 4:36 PM IST

सावन 2022 (Sawan 2022) पंचांग के अनुसार 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस कड़ी में ईटीवी भारत ऐसे मंदिर की जानकारी दे रहा है जिसका जुड़ाव वेद और पुराण से है. इन्हीं में से एक है गाजियाबाद का प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर..पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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Sawan 2022

गाजियाबाद: भगवान भोले को प्रिय पवित्र सावन (Sawan 2022) का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पूजा से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है और आदिदेव महादेव की कृपा प्राप्त होती है. इसके लिए भक्त इस महीने का इंतजार करते हैं और पूरे महीने भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करते हैं. मान्यता है कि सावन मास के सोमवार को विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. इसलिए हम कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. इन्हीं में से एक है गाजियाबाद का प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर, मान्यता है कि यहीं रावण ने अपना दसवां सिर आदिदेव महादेव को अर्पित किया था. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

भगवान शिव का माह कहा जाने वाला सावन पंचांग के अनुसार 14 जुलाई, गुरुवार से आरंभ हो रहा है. हिंदू धर्म में इस सावन या श्रावण मास की विशेष महिमा है. सावन का महीना धार्मिक कार्य और पूजा पाठ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसे में गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज बताते हैं कि मंदिर की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने की थी. उन्होंने बताया कि वे दूधेश्वर नाथ मंदिर के 16 वे महंत हैं. दूधेश्वर नाथ मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल है. वेद पुराणों में भी प्राचीन विश्वनाथ मंदिर का वर्णन है.

प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं द्वारा जो भी मनोकामना की जाती है.

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रावण ने की थी पूजा

मान्यता है कि गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में रावण के पिता ने भी पूजा-अर्चना की थी. प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. यही नहीं, यहीं पर रावण ने अपना 10वां शीश भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. इस मान्यता को भक्त भी जानते हैं और दूर दूर से यहां आते हैं. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था. जहां पर गाय स्वयं दूध देती थी, वहीं भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं.

झोली भरते हैं भगवान दूधेश्वर

प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं द्वारा जो भी मनोकामना की जाती है. वह अवश्य पूरी होती है. कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. यही कारण है कि प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में केवल गाजियाबाद ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.

भक्तों का उमड़ता है जनसैलाब

गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में करोड़ों लोगों की आस्था है, जिसके चलते दूधेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन करने और जलाभिषेक करने के लिए दिल्ली एनसीआर ही नहीं विदेशों से भी भक्त आते हैं. महाशिवरात्रि (1 मार्च) पर देर रात से ही दूधेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाती हैं और सुबह होते होते भक्तों की कतार कई किलोमीटर तक फैल जाती है. प्रमुख दिनों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं ऐसे में मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों को तकरीबन 4 से 5 घंटे लाइन में लग कर इंतजार भी करना पड़ता है. महंत नारायण गिरी के मुताबिक 26 और 27 जुलाई को प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में तकरीबन 12 से 15 लाख भक्तों के आने की संभावना है.

कैसे पहुंचे दूधेश्वर नाथ मंदिर

गूगल मैप का इस्तेमाल कर सीधे दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंच सकते हैं. गूगल मैप पर प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की लोकेशन मौजूद है. शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन (नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है) दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन का टर्मिनल मेट्रो स्टेशन है. शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन उतरकर ई रिक्शा, ऑटो रिक्शा आदि के माध्यम से दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंचा जा सकता है. शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन से दूधेश्वर नाथ मंदिर तकरीबन ढाई किलोमीटर दूर है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): खबर मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. इस खबर में शामिल तथ्यों की सटीकता की ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है.

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