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ग्रामीणों की कोरोना से जंग: राजसमंद के इस गांव में कोरोना को हराने में बुजुर्ग निभा रहे खास भूमिका

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Published : Jun 22, 2020, 3:47 PM IST

Villagers fight with Corona, गांव में कोरोना वायरस
राजसमंद जिले की सुंदरचा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

राजसमंद जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर सुंदरचा ग्राम पंचायत. इस पंचायत में 8 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. पंचायत बड़ी होने की वजह से यहां पर करोना वायरस को लेकर लोगों के बीच जिम्मेदारियों भी बढ़ जाती हैं. कोरोना वायरस से निपटने के लिए ग्रामीणों के द्वारा की गई तैयारियां कैसी हैं और क्या हालत हैं, इसका जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत सुंदरचा ग्राम पंचायत पहुंचा..

राजसमंद. लॉकडाउन 5.0 में छूट मिलने बाद ही जहां आम जनजीवन सामान्य हुआ है तो वहीं अब लोग कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही भी बरत रहे हैं. शहरों में पहले जैसे ही तरह एक बार फिर से लोग सड़कों पर नजर आ रहे हैं. दुकानें खुली हैं काम-धंधे पर लोग लौट रहे हैं. चिंता का विषय यह है कि अब लॉकडाउन में मिली छूट के साथ ही कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की रफ्तार भी तेजी से बढ़ रही है.

राजसमंद जिले की सुंदरचा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौरान तेजी से गांवों की तरफ लोगों का पलायन हुआ था. ऐसे में कोरोना ने गांव तक भी अपनी पहुंच बना ली है. इसके लिए ग्राम पंचायतों में भी अलग-अलग स्तर पर कोरोना से निपटने के लिए उपाय किए गए. लेकिन क्या ये उपाय अभी भी किए जा रहे हैं कहीं ऐसा तो नहीं की लॉकडाउन में मिली छूट के साथ ही ग्रामीणों ने कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता नहीं बरत रहे? इसी की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत आज राजसमंद जिले की सुंदरचा ग्राम पंचायत पहुंचा है. इस गांव की आबादी 8 हजार से ज्यादा हैं.

Villagers fight with Corona, गांव में कोरोना वायरस
सुंदरचा ग्राम पंचायत

सुंदरचा ग्राम पंचायत पहुंचते ही हमें कुछ लोग गांव में दिखे आपस में बात कर रहे हैं. हालत ऐसे थे जैसे ही यहां तो कोरोना वायरस को लेकर कोई जानकारी ही नहीं है. घर के बाहर और दुकानों में भी लोग दिख रहे थे. लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं था हम यह देखकर हैरान थे. हमें लगा अभी तो हम गांव के बाहर ही है ऐसे में अंदर कैसे लोग रह रहे होंगे कहना मुश्किल था. हमारे लिए अब जानना जरूरी था की आखिर गांव के लोग क्या सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर रहे हैं?

Villagers fight with Corona, गांव में कोरोना वायरस
घर के बाहर बैठे ग्रामीण

कुछ लोगों से हमने बात की लोगों का कहना था कि यहां के लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर रहे थे अभी भी कर रहे हैं लेकिन लॉकडाउन में मिली छूट के बाद से दुकानें खुल गई हैं. ग्रामीण अपने खेत जाकर काम कर रहे हैं. बाजार में खुल गए हैं ऐसे में लोग घर से बाहर भी निकल रहे हैं. हम यह जानना चाहते थे कि क्या छूट मिलने की वजह से ग्रामीण लापरवाह हो गए हैं? अब हम गांव के अंदर थे लेकिन यहां तस्वीरें बदली हुई थी. हमें कुछ बच्चे दिखे जिनके मुंह पर मास्क था. कुछ बुजुर्ग महिलाएं दिखीं जो मास्क लगाकर अपने घर के बाहर बैठी थी.

गांव के बाहर से जो तस्वीरें हमने देखी और सोची थी उससे उलट तस्वीरें हमें गांव में मिलीं. यहां अनलॉक-01 में मिली छूट के बाद भी लोग कोरोना वायरस को लेकर सतर्क दिखे. सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी कर रहे थे. हम गांव के सरपंच तुलसीराम पालीवाल से मिले और उनसे बातचीत की. सरपंच सुलसीराम कहते हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए पंचायत स्तर पर कई तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं. उन्होंने कहा हमारी कोशिश अभी तक रंग लाती दिख रही है.

गांव में युवाओं की टोलियां

सरपंच तुलसीराम पालीवाल कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान ही हमने कोरोना वायरस को लेकर सजग हो गए थे. हमने ग्रामीणों को करोना वायरस से बचने के लिए उपाय बताए, सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में हमने बताया. गांव में मास्क भी बटवाए और सभी को सतर्क रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि हमने युवाओं की कुछ टोलियां तैयार की थी जो गांव के मुख्य मार्गों में बाहर से आने वाले लोगों की रजिस्टर में एंट्री कर रहे थे. गांव में कौन आ रहा है और कौन गांव से बाहर जा रहा है इस पर ये टोलियां नजर रख रही थी.

Villagers fight with Corona, गांव में कोरोना वायरस
मास्क लगाकर साइकिल लेकर जा रही बच्ची

अक्षय पात्र के तहत सभी को भोजन

पालीवाल के मुताबिक, सुंदरचा गांव में अब तक करीब 250 से अधिक प्रवासी लोग वापस गांव लौट चुके हैं. जितने भी लोग बाहर से लौटे हैं उनमें से अधिकांश लोगों को प्रशासन द्वारा बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. जबकि कुछ लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया था. इन सभी लोगों को प्रशासन द्वारा अक्षय पात्र के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था. हालांकि, जो लोग अपने घर का खाना पसंद कर रहे हैं वो अपने घर से भी मंगवा कर खाना खा रहे हैं. पालीवाल कहते हैं कि गांव में बाहर से लौटकर आने वाले लोगों में ज्यादातर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लोग हैं. वहीं गांव के युवाओं द्वारा क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों को सुबह शाम चाय की व्यवस्था भी की गई है.

सरकारी गाइडलाइंस की पालना

कोरोना महामारी को लेकर गांव के लोग कितना सतर्क है इसकी बानगी तब देखने को मिलती है जब हम कुछ गांव के बुजुर्गों से बात करते हैं. एक बुजुर्ग जिनकी उम्र करीब 70 साल है वो कहते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसी कोई भी महामारी नहीं देखी है. वो आगे कहते हैं कि यह महामारी गांव तक नहीं पहुंच सके, इस पर हम विजय पा सके इसके लिए प्रशासन द्वारा बताए जा रहे सभी नियमों की हम गंभीरता से पालना कर रहे हैं. यही नहीं यहां पर बुजुर्ग भी अपनी खास भूमिका निभा रहे हैं. घर के बाहर बैठे कुछ बुजुर्गों से हमने बात की जिन्होंने कहा कि अगर घर के बाहर के कुछ बिना मास्क के निकलता है तो उसे वह समझाते हैं कि अगली बार बिना मास्क के घर से नहीं निकले.

Villagers fight with Corona, गांव में कोरोना वायरस
दुकान के बाहर मास्क लगाकर बैठे ग्रामीण

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ग्रामीण के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान भी वह सतर्क थे और अभी भी सतर्क हैं. गांव के सभी लोग एक दूसरे की मदद कर रहे थे और अभी भी कर रहे हैं. गांव के गरीब परिवारों तक राशन किट भी पहुंचाई जा रही है. वहीं कोरोना वायरस को लेकर अभी भी पंचालय स्तर पर लोगों को समझाया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर ही लोग घर से बाहर निकल रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल और मास्क लगाना सबके के लिए जरूरी है. गांव के अंदर आने से पहले हमने जो तस्वीरें देखी थी गांव के अंदर जाने के बाद हकीकत कुछ और दिखी. हमारी पड़ताल में सुंदरचा गांव के ग्रामीण कोरोना वायरस से बचने के लिए जागरूक और सतर्क नजर आए.

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