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World Sparrow Day : विलुप्त हो रहीं गौरैया को बचाने का अनूठा प्रयास, राजस्थान का यह थान बना आशियाना

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Published : Mar 20, 2022, 3:26 PM IST

world sparrow day special
विश्व गौरैया दिवस 2022

पिछले 12 सालों से गौरैया की आवाज से प्रतापगढ़ (world sparrow day special) का एक थाना गुंज रहा है. रठांजना थाने में कार्यरत थाना अधिकारी प्रवीण टाक की पहल ने (pratapgarh police station a house for sparrow) अनूठी मिसाल पेश की है. देखिए विश्व गौरैया दिवस 2022 पर ये विशेष रिपोर्ट....

प्रतापगढ़. मिट्टी की दीवारों की दरारों में, बस और रेलवे स्टेशन की छतों में और घरों के आंगन में चहचहाती गौरैया धीरे-धीरे शहरों (world sparrow day special) से गायब होने लगी हैं. गौरैया के संरक्षण के लिए कई अभियान चलते हैं, बावजूद इसके गौरैया की तादाद लगातार कम होती जा रही है. आज से करीब 12 साल पहले जिले के रठांजना थाने में कार्यरत थाना अधिकारी प्रवीण टाक की पहल पर थाने में गौरैया के लिए विशेष घरौंदे बनाए गए थे. इनकी इस अनूठी पहल ने थाने में गौरैया की खूबसूरत चहचाहट को जिंदा कर दिया था.

12 साल पहले शुरू किया था अभियान : प्रवीण टाक ने अपने निजी खर्च पर थाने के अंदर सागवान की लकड़ी से गौरैय के लिए घर (pratapgarh police station a house for sparrow) बनवाकर, पक्षियों के लिए विशेष अभियान चलाया था. आज भी 12 साल पहले लगे पक्षियों के घर गौरैया से सरोबार है. गौरैया मनुष्य के साथ सालों से रह रही है, लेकिन अब कुछ दशकों से गौरैया शहरों के इलाकों में दुर्लभ पक्षी बन गई हैं. उनकी आबादी में भी भारी गिरावट आई है. हालांकि, गांव के लोग अभी भी गौरैया की आवाज सुनकर महसूस कर रहे हैं. लेकिन शहरी इलाकों में समस्या कुछ ज्यादा ही गंभीर है.

गौरैया संरक्षण अभियान

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भारत में गौरैया की 5 प्रजातियां : पूरी दुनिया में गौरैया की दो-तिहाई से भी अधिक प्रजातियां हैं, जिसमें से भारत में इनकी 5 प्रजातियां मिलती हैं. प्रतापगढ़ जिले में 12 साल पहले पुलिस के थाना अधिकारी प्रवीण टाक द्वारा चलाई गई इस पहल ने गौरैया संरक्षण को आज भी पुलिस जवानों और थाना रठांजना के लोगों ने जीवित रखा है. रंजना थाना आज भी गौरैया के नाम से जाना जाता है. थाने के भीतर गौरैया की बहुतादात और हरियाली से सनी घने पेड़ों के कारण यह थाना जिले में अपना अलग ही वजूद रखता है.

निजी खर्च पर शुरू किया था संरक्षण का काम : तत्कालीन थानाधिकारी दिलीप सिंह रंजना थाने के संरक्षण को लेकर प्रयास कर रहे है. बता दें कि 20 मार्च 2010 को विश्व गौरैया दिवस की घोषणा की गई थी, जिसके 2 महीने बाद ही रठांजना थाने के तत्कालीन थाना अधिकारी प्रवीण टाक ने गौरैया के संरक्षण के लिए इस पहल की शुरुआत की थी. संसाधनों और आर्थिक सहायता के अभाव के बाद भी प्रवीण टाक ने अपने निजी खर्च संरक्षण का काम शुरू किया था. इस तरह वो न केवल पर्यावरण को बढ़ावा दे रहे, बल्कि गौरैया के संरक्षण को लेकर एक अनूठी मिसाल पेश की है.

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ऐसे कम हो रही तादाद : हमारी आधुनिक जीवन शैली गौरैया को सामान्य रूप से रहने में बाधा बन गई. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, खेतों में कृषि रसायनों का अधिकाधिक प्रयोग, टेलीफोन टावरों से निकलने वाली तरंगें, घरों में सीसे की खिड़कियां इनके जीवन के लिए प्रतिकूल नहीं हैं. साथ ही जहां कंक्रीट की संरचनाओं के बने घरों की दीवारें घोंसले को बनाने में बाधक हैं वहीं घर, गांव की गलियों का पक्का होना भी इनके जीवन के लिए घातक है. क्योंकि ये स्वस्थ रहने के लिए धूल स्नान करना पसंद करती हैं जो नहीं मिल पाता है. ध्वनि प्रदूषण भी गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है.

इस तरह इनकी घटती आबादी को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने 2002 में इसे लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल कर दिया. इसी क्रम में 20 मार्च 2010 को विश्व गौरैया दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया. इसके बाद इनके संरक्षण और लोगों को जागरूक किया जाने लगा.

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