ETV Bharat / state

बूढ़ादीत का सन टेंपल बनेगा टूरिस्ट पैलेस, स्पीकर बिरला के निर्देश पर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में चिह्नित

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 29, 2023, 5:30 PM IST

बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर
बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर

कोटा से 55 किमी दूर बूढ़ादीत में "नागर शैली" में बना सूर्य मंदिर स्थित है. नौवीं शताब्दी का यह सन टेंपल देख रेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में लगातार पहुंचता जा रहा था. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस मंदिर के जीर्णोद्वार के लिए प्रयास किया और उन्हीं के निर्देश पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बूढ़ादीत के सूर्य मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से चिह्नित किया है.

कोटा. जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर "नागर शैली" में बूढ़ादीत में सूर्य मंदिर स्थित है. नौवीं शताब्दी का यह सन टेंपल कलात्मक, शिल्प युक्त प्राचीनतम सूर्य मंदिरों में से एक है, हालांकि पर्यटकों की जानकारी में नहीं होने के चलते टूरिस्ट यहां नहीं आते हैं. करीब 1000 साल से भी अधिक पुराना यह मंदिर आज भी पर्यटकों की बाट जोह रहा था. ऐसे में लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने इस मंदिर के लिए प्रयास किया और उन्हीं के निर्देश पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बूढ़ादीत के सूर्य मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से चिह्नित किया है. मंत्रालय ने राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग को पत्र लिख कर इसके लिए डीपीआर बनाने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर विकसित होगा.

स्पीकर ओम बिरला का मानना है कि कोटा सहित पूरे हाड़ौती क्षेत्र गौरवशाली विरासत से समृद्ध हैं. यह विरासत बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कर सकती हैं, लेकिन इनके आसपास मूलभूत सुविधाओं के विकास तथा इनको वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए अब तक गंभीर प्रयास नहीं हो सके. इसको देखते हुए उन्होंने केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय को कोटा-बूंदी के कई ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी देकर वहां विभिन्न योजनाओं के तहत विकास करवाने को कहा है.

पढ़ें: साल का आखिरी पुष्य नक्षत्र, भगवान गणपति का किया गया पंचामृत अभिषेक, खरीदारी के लिए शुभ समय

किसने करवाया निर्माण जानकारी नहीं: बूढ़ादीत के सूर्य मंदिर का निर्माण किसने करवाया इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन ढलते हुए सूर्य के प्रतीक बूढ़-आदित्य के कारण ही इस जगह का नाम बूढ़ादीत पड़ा. नागर शैली में बना यह मंदिर झालरापाटन के सूर्य मंदिर से भी पुराना है. अभी इसका संरक्षण राजस्थान पुरातत्व विभाग कर रहा है. मंदिर के पास एक कुण्ड भी है, जो भी उसी समय का है. मंदिर में देवी-देवताओं में उमा- महेश्वर, लक्ष्मी नारायण, ब्रह्मा-सावित्री, गणेश, रेवती-बलराम व कार्तिकेय के साथ सूर्य उकेरा हुआ है. इसके अलावा मंदिर में शिव-पार्वती, भैरव, सुर-सुंदरी की प्रतिमाएं भी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.