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Special : कोरोना के कारण बढ़ रहे हैं मानसिक अवसाद के मरीज...

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Published : Jul 19, 2020, 5:34 PM IST

Mental Depression Remedy, Psychiatrist Advice
कोरोना के कारण बढ़ रहे हैं मानसिक अवसाद के मरीज

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के साथ इन दिनों मानसिक अवसाद के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं. करौली के मनोचिकित्सक डॉ. प्रेमराज मीणा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए मानसिक रोगों के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बताया. खुद सुनिए और समझिए उन्होंने क्या कहा...

करौली. लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की वजह से मानसिक अवसाद के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसकी वजह से आत्महत्या के मामले भी सामने आ रहे हैं. खुदकुशी के मामलों को छोड़ भी दें तो भारी तादाद में लोग अवसाद की चपेट में आ रहे हैं. कोई कमाई ठप होने से अवसाद में है तो कोई लगातार घर में बंद रहने की वजह से. किसी को भविष्य की चिंता खाए जा रही है तो किसी को करियर की चिंता है. यही वजह है कि अस्पतालों और मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास इन दिनों ऐसे काफी मरीज आने लगे हैं.

बढ़ते मनोरोग के मामलों पर मनोचिकित्सक से बातचीत (पार्ट-1)

अवसाद से ग्रसित मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर करौली के मनोचिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. प्रेमराज मीणा से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हर व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक और रात के समय भी कोरोना से संबंधित खबरें देख और पढ़ रहा है. इससे उसको हर समय चिंता रहती है कि मेरा क्या होगा. कोरोना कब जाएगा. बार-बार जब वह ऐसी बातें सोचता है तो वह अपने आप को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से घिरा हुआ पाता है.

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उन्होंने बताया कि मानसिक अवसाद की प्रमुख समस्याएं हैं अनियमितता, जिसमें मरीज को नींद नहीं आती है. नींद आती है तो टुकड़ों में आती है और नींद बार-बार खुलती रहती है. दूसरा उसे घबराहट, बेचैनी, एक अनचाहा डर लगा रहता है. उसे भय रहता है कि क्या होगा, क्या नहीं होगा. तीसरी प्रमुख समस्या जो देखने को मिल रही है, वह है अवसाद. इसके मामले बहुत ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं, जिसके कारण आत्महत्या के केस बढ़ते जा रहे हैं. अवसाद के कारण बहुत सारे लोग आत्महत्या कर रहे हैं तो समय रहते हमें इसे रोकने के प्रयास करने होंगे.

बढ़ते मनोरोग के मामलों पर मनोचिकित्सक से बातचीत (पार्ट-2)

अवसाद ग्रसित मरीज की कराएं काउंसलिंग...

मनोचिकित्सक डॉ. प्रेमराज मीणा ने बताया कि मरीज भयभीत ना हो, इसके लिए सबसे पहले उसे समझा जाए. उसकी काउंसिल करें. दूसरा उसका उपचार करें. यदि कोई आदमी है और वह अवसाद से ग्रसित हो गया है तो उसे हम दवाइयां देते हैं, उसे समझाते हैं. उसे मुख्यधारा में लाते हैं तो उसका जीवन भी बच जाता है और वह आदमी अपनी मुख्यधारा में वापस आ जाता है. वह अपना जीवन पुनः सुचारू रूप से संचालित करने लग जाता है.

बच्चों में ऑनलाइन क्लास का दबाव करना होगा कम...

मनोविशेषज्ञ ने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नजरिए से मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास का फायदा भी है. लेकिन ऑनलाइन क्लास के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं. सबसे बड़ा साइड इफेक्ट है कि बच्चे को बहुत अधिक समय तक मोबाइल में देख कर पढ़ना पड़ता है. काई बार जब क्लास होती है, टीचर उन्हें बता रहा होता है तो बहुत सारी चीजें छूट जाती हैं और बच्चे उनको कर नहीं पाते हैं. जिसके कारण बच्चे को एक अनावश्यक दबाव मिलता है.

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साथ ही जब बच्चे को कोई सवाल समझ में नहीं आता है तो वह उसे पूछ भी नहीं पाता है. क्योंकि ऑनलाइन क्लास का एक अलग ही फॉर्मेट है. हमें ऑनलाइन क्लास का दबाव कम करना होगा और घरवालों को अपने बच्चों को विश्वास में लाना होगा कि बच्चे इसके बारे में ज्यादा सोचे नहीं. क्लासेज को पढ़ें और समझने की कोशिश करें. यदि बच्चा मानसिक दबाव महसूस करता है तो तुरंत नजदीकी मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, ताकि बच्चे में कोई नकारात्मकता की भावना पैदा नहीं हो.

मनोविशेषज्ञ ने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज के समय बहुत सारी अनचाही लिंक आ जाती हैं. जब बच्चे की ऑनलाइन क्लास हो तो माता-पिता को बच्चे के पास बैठना चाहिए और आने वाली अनचाही लिंक के बारे में बच्चों न खोलने के लिए कहें.

नशे की चपेट में आ रहे युवा...

युवाओं में स्मैक नशे की बढ़ती लत के बारे में मनोविशेषज्ञ ने बताया कि स्मैक की लत लगने के बाद युवा स्मैक की खोज में बहुत सारे अपराध की ओर बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि जो भी नशा करने वाले व्यक्ति नशा छोड़ना चाहते हैं. उसके लिए जिला स्तर पर अस्पताल के अंदर निशुल्क दवाइयां उपलब्ध हैं. जहां पर नशा छुड़ाया जा सकता है.

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मनोविशेषज्ञ ने बताया कि स्मैक का नशा इंसान के शारीरिक विकास को रोक देता है. उसे यह भी पता नहीं होता कि क्या अच्छा है, क्या बुरा. उसे सिर्फ नशे से मतलब होता है. क्योंकि स्मैक का नशा एक क्षणिक आनंद की अनुभूति देने वाला होता है. क्षणिक आनंद की प्राप्ति के लिए वह ज्यादा से ज्यादा नशा करने लगता है. वह पूरी तरह से नशे की गिरफ्त में हो जाता है.

स्मैक का नशा करने वालों के लक्षण...

मनोविशेषज्ञ ने कहा कि स्मैक का नशा करने वाले का सबसे बड़ा लक्षण होता है कि उसके हाथ का अंगूठा और छोटी अंगुली काली पड़ जाती है. दूसरा उसके कपड़ों में से एक अलग तरह की स्मेल आने लग जाती है. तीसरा उनके शरीर में टूटन आ जाती है. टूटा-टूटा सा रहता है. जैसे ही वह नशा करते हैं तो उनके शरीर में एनर्जी आती है.

अवसाद रोगी नकारात्मक विचारों पर करें कंट्रोल...

मनोचिकित्सक प्रेमराज मीणा ने कहा इस समय मानसिक अवसाद से ग्रसित रोगियों को संयम से काम लेना चाहिए. नकारात्मक जो विचार है, अपने नकारात्मक विचारों पर अपना कंट्रोल करते हुए सकारात्मकता की ओर बढ़ना चाहिए. परिजनों की विशेष जिम्मेदारी है कि यदि इस दौरान कोई भी मानसिक लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी, टेंशन, नींद नहीं आना या अवसाद की कोई भी समस्या हो तो उसे जिम्मेदारी पूर्ण लें. लक्षण मिलने पर तुरंत नजदीकी मनोचिकित्सक के पास ले जाकर के काउंसलिंग करवाएं और यथासंभव उसका उपचार कराएं.

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