ETV Bharat / state

1992 में पूरा परिवार गया था कार सेवा के लिए, आज भी मौजूद हैं ढांचे की निशानियां

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 18, 2024, 10:31 AM IST

1992 में जोधपुर से एक पूरा परिवार ही कार सेवा के लिए अयोध्या गया था, जिसमें पति-पत्नी और पुत्र शामिल थे. 6 दिसंबर को जब रामजन्म भूमि पर मौजूद विवादित ढांचे को गिराया गया तो पूरा परिवार वहीं पर मौजूद था.

पूरा परिवार कार सेवा के लिए गया था अयोध्या
पूरा परिवार कार सेवा के लिए गया था अयोध्या

पूरा परिवार कार सेवा के लिए गया था अयोध्या

जोधपुर. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, इस दिन के लिए लंबा संघर्ष हुआ. भगवान राम के प्रति लोगों की आस्था का सहज अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है कि जब 1992 में कार सेवा हुई तो जोधपुर से एक पूरा परिवार ही कार सेवा के लिए अयोध्या गया था. जिसमें पति-पत्नी और पुत्र शामिल थे. 6 दिसंबर को जब रामजन्म भूमि पर मौजूद विवादित ढांचे को गिराया गया तो पूरा परिवार वहां मौजूद था.

हालांकि रामरतन सांखला व उनकी पत्नी राधादेवी सांखला की मृत्यु हो गई, लेकिन पुत्र महारात्न सांखला को आज भी 6 दिसंबर 1992 के दिन का एक-एक घटनाक्रम याद है. वे बताते हैं कि मेरे दिमाग में एक बात थी कि यहां की कोई निशानी लेकर जाना है, इसलिए गुंबद की ईंट और स्तंभ का हिस्सा कपड़ो में छुपाकर साथ लेकर आया था, जिसे अभी तक संभालकर रखा है. इतना ही नहीं उस समय विहिप से मिले निर्देश, साथियों की सूची अभी तक उनके पास सुरक्षित मौजूद है.

इसे भी पढ़ें-अयोध्या में चितौड़गढ़ के कारसेवकों ने भी लिया था भाग, पुराने Photos देख हुए भावुक

अंदर मूर्तियां मौजूद थीं : महारत्न ने बताया कि "विवादित परिसर में सिर्फ एक जगह पर संगमरमर के पत्थर पर बाबरी मस्जिद लिखा था, जबकि अंदर तो पूरा मंदिर था. भगवान की मूर्तियां रखी हुई थीं. चारों तरफ मंदिर में सजावट थी. ऐसा कहीं से भी नजर नहीं आ रहा था कि यह कोई मस्जिद है. उस परिसर के चारों तरफ लोहे के पाइप लगे हुए थे. इसके अलावा बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद थी. लाखों की भीड़ वहां पहुंच चुकी थी. लोहे के पाइप को लोगों ने कुदाल बनाकर ढांचे को गिराया था. इसके अलावा वहां उपर चढ़ने के लिए कोई सीढ़ियां नहीं थी, रस्सों के सहारे लोग गुंबद पर चढ़े थे. उस समय उनके पिता और उनके साथ अन्य 34 लोगों को फैजाबाद में पुलिस ने पाबंद करके छोड़ दिया था, जिसके दस्तावेज आज भी उनके पास मौजूद हैं."

पढ़ेंः कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे पदम सिंह लौद्रवा, अपने दल के पास देरी से पहुंचे, तो साथियों ने मृत मान लिया

पिता ने किए थे रामलला के दर्शन : महारत्न सांखला बताया ने "जब 90 के दशक में जब विवादित स्थल का ताला खुला था, तो मेरे पिताजी ने वहां जाकर रामलला के दर्शन किए थे. ढांचे के अंदर पूरा मंदिर था. सिर्फ बाहर नाम बाबरी मस्जिद था. 1992 में जब हम वहां गए तो यही स्थिति थी. सांखला ने बताया कि अगर माता-पिता आज मौजूद होते तो बेहद खुश होते. उनका सपना था कि भगवान राम को उनकी जन्मभूमि मिले."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.