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WFH on Periods: पीरियड्स में वर्क फ्रॉम होम न दें, वर्क प्लेस पर बेहतर सुविधाएं दें, महिला कर्मचारी संघ की बेबाक राय

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Published : Jan 12, 2023, 4:39 PM IST

Updated : Jan 12, 2023, 8:45 PM IST

WFH on Periods
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पीरियड्स के दौरान राजस्थान में महिलाओं को (work from home demands on periods) लीव या वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने की मांग को लेकर बहस छिड़ गई है. हालांकि राजस्थान महिला अधिकारी और कर्मचारी महासंघ की सदस्य ही इस मांग का समर्थन नहीं कर रही हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखी.

पीरियड्स में वर्क फ्रॉम होम पर महिला कर्मियों के विचार

जयपुर. मासिक धर्म या मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान होने वाले अनुभव से हर स्त्री गुजरती है. इस दौरान उन्हें आराम की जरुरत होती है. बिहार के बाद अब राजस्थान में महिलाओं की इस परेशानी को देखते हुए पीरियड्स के टाइम पर लीव या वर्क फ्रॉम होम की मांग उठ रही है. इस बीच ईटीवी भारत ने प्रदेश में महिला कर्मचारियों और अधिकारीयों के लिए काम कर रहे राजस्थान महिला अधिकारी और कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों से इस मुद्दे पर ख़ास बातचीत की.

महासंघ की महिलाओं ने कहा कि लंबे समय के बाद महिलाएं आगे आईं हैं. उन्हें इस तरह के विधेयक के सहारे कमजोर न बनाएं. लीव या वर्क फॉर्म होम कर महिलाओं को पीछे न धकेलें, बल्कि उनके वर्क प्लेस में सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए. आज भी वर्क प्लेस पर महिलाओं के लिए जो मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए वह ज्यादातर दफ्तरों में नहीं हैं. अगर इन सुविधाओं को बेहतर कर दिया जाए तो पीरियड्स के दौरान न लीव की जरूरत है और न ही वर्क फ्रॉम होम की.

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पीरियड्स में वर्क फ्रॉम होम का सुझाव
बिहार में महिला कर्मचारी और अधिकारी को पीरियड्स के दौरान लीव की सुविधा दी जाती है. 1992 में इसकी शुरुआत लालू प्रसाद यादव ने कराई थी. बाकी राज्य में महिला कर्मचारी या अधिकारी को ये सुविधा नहीं हैं, लेकिन राजस्थान में पिछले दिनों राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष अर्चना शर्मा ने सरकार को पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली दिक्कतों की चर्चा करते हुए वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने की मांग उठाई है.

अब बोर्ड के प्रस्ताव के बाद शायद इस बजट सत्र में राज्य की महिलाओं को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिल जाए. उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीसरे कार्यकाल का आखिरी और चुनावी बजट होगा. ऐसे में महिला कर्मचारियों के बड़े वोट बैंक को साधने के लिए सीएम गहलोत इसकी घोषणा कर सकते हैं.

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घर से बहार निकलकर काम करना है, पीछे मत धकेलिए
राजस्थान महिला अधिकारी एवं कर्मचारी एकीकृत महासंघ अध्यक्ष विजेता चारण ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि महिलाओं के इस गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है. इस संजीदा मुद्दे पर खुले मंच पर बात की जा रही है. विजेता का कहना है कि देश-दुनिया में मासिक धर्म महिलाओं का एक गंभीर विषय है, लेकिन इस दौरान महिला कर्मचारियों या अधिकारियों को लीव देने को लेकर संगठन पक्ष में नहीं है. जहां तक work-from-home का सुझाव है उसको हम एप्रिशिएट करते हैं, लेकिन हमारा कहना है कि महिलाएं घर से बाहर जाकर काम करना चाहती हैं, फिर वापस बैक टू होम हो जाएं यह हम नहीं चाहते.

उन्होंने कहा कि सरकार हमारे वर्किंग प्लेस पर हमें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जिससे हमें पीरियड्स के दौरान परेशानी फेस नहीं करना पड़े. हर ऑफिस में महिलाओं के लिए रेस्ट रूम बनाया जाए, जहां पर कुछ समय के लिए आराम कर सकें. इसके अलावा सुविधा युक्त टॉयलेट्स हों क्योंकि इस दौरान इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है. विजेता ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान सभी महिलाओं को इतनी प्रॉब्लम नहीं होती कि उन्हें लीव या वर्क फ्रॉम होम दिया जाए, लेकिन कुछ महिलाएं हैं जिन्हे प्रॉब्लम ज्यादा होती है. ऐसी स्थिति के लिए महिलाओं की मेडिकल लीव को कुछ बढ़ा दिया जाए.

वर्क फ्रॉम होम घर से चालान नहीं बना सकते
राजस्थान महिला अधिकारी एवं कर्मचारी एकीकृत महासंघ महासचिव स्वाति दीक्षित ने कहा कि वह ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट इंस्पेक्टर हैं. वह ऐसी महिलाओं को नेतृत्व करती हैं जहां पर यूनिफार्म सर्विसेज है. वह फील्ड में वर्क करती हैं. उनके लिए work-from-home पॉसिबल नहीं होता. इससे बेहतर है कि उनके आसपास बेहतर सुविधा युक्त हाईजेनिक टॉयलेट उपलब्ध हों.

उन्होंने कहा कि सुविधाएं बेहतर करिए क्योंकि महिला कर्मचारी किसी लीव या work-from-home की डिमांड नहीं करती है. स्वाति ने कहा कि फील्ड में काम करने वाली महिलाओं के लिए ये सम्भव नहीं हैं कि उन्हें work-from-home दिया जाए. क्या वो घर बैठ कर ई-चालान बनाएंगी. उन्होंने कहा कि कुछ विभाग ऐसे हैं जहां महिलाओं की संख्या ज्यादा है. अगर वह सभी work-from-home हो गईं तो सरकार का काम कैसे चलेगा.

मेंस्ट्रुअल साइकिल यूनिवर्सल प्रॉब्लम नहीं
डॉ. पूनम सैनी ने कहा कि मेंस्ट्रुअल साइकिल को लेकर जो भ्रांति है कि ये कोई बीमारी है या इसमें कॉम्प्लिकेशंस होते हैं . ऐसा कुछ नहीं है. यह एक नॉर्मल प्रोसेस है जो 13-14 साल की उम्र में शुरू होता है जो 40-45 साल तक की उम्र तक महिलाओं में रहता है. यह नॉर्मल प्रोसेस है जो हर महिला में होता है. हर एक महिला की बॉडी में हार्मोन्स होते हैं जहां तक इस दौरान होने वाली परेशानी की तो जरूरी नहीं है कि पीरियड्स के दौरान ही महिलाओं को दर्द का सामना करना पड़े.

कुछ महिलाओं को पीरियड्स में पहले ज्यादा दिक्कत होती है और कुछ को 45 साल की उम्र के बाद भी दिक्कत होती है. महिलाओं को 45 की उम्र के बाद पीरियड्स नहीं होता, लेकिन मीनोपॉज स्टार्ट हो जाता है. उस समय फीमेल की फिजिकल कंडीशन पीरियड्स से ज्यादा खराब होती है, क्योंकि हारमोंस कम हो जाते हैं. काफी सारे चेंज महिलाओं में आते हैं. इस लिए पीरियड्स कोई यूनिवर्सल प्रॉब्लम नहीं है जिसके चलते महिला कर्मचारियों को लीव या वर्क फ्रॉम होम दिया जाए.

Last Updated :Jan 12, 2023, 8:45 PM IST
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