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क्या तिजारा दोहरा पाएगा 1972 का इतिहास? बरकतुल्लाह खान के बाद अब सीएम रेस में महंत बालकनाथ

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 8, 2023, 7:07 PM IST

Mahant Balaknath name for CM Post
सीएम रेस में महंत बालकनाथ

पूरब से लेकर पश्चिम तक बीजेपी नेता सीएम बनने की दौड़ में शामिल दिख रहे हैं. इस बीच बीजेपी ने राजनाथ सिंह समेत तीन पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं. इन पर्यवेक्षकों की विधायक दल से बैठक के बाद सीएम का चेहरा सबके सामने होगा. पर असल मसला चर्चाओं का है, इन चर्चाओं को लेकर अलवर का तिजारा इतिहास पर नजर बनाए हुए है.

जयपुर. अलवर के तिजारा से एक रोचक मुकाबले में सांसद रहे बालकनाथ ने कांग्रेस के इमरान को शिकस्त देकर जीत हासिल की है. इस जीत और हिन्दू चेहरे के दम ने महंत बालकनाथ को दिल्ली से लेकर जयपुर तक भावी मुख्यमंत्री की कतार में खड़ा कर रखा है. ऐसे में बालकनाथ की विधानसभा के लोग उत्साहित हैं और बेकरार भी. उन्हें पूर्वी राजस्थान से एक बार फिर मुख्यमंत्री नजर आने लगा है. साल 1972 में तिजारा से जीतकर विधायक बने बरकतुल्लाह खान ने मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया था. हालांकि किस्मत में कुछ और ही लिखा था और 1973 में खान का आकस्मिक निधन हो गया था. ऐसे में जिले और इलाके की हसरतें अब बेकरारी में तब्दिल हो रही है. सीरत की चमक के साथ मेवात का यह हिस्सा अब सूरत में तब्दिली की ख्वाहिशें संजो रहा है. बालकनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी साथ मिला हुआ है. यहां तक की योगी आदित्यनाथ बालकनाथ की नामांकन सभा में भी पहुंचे थे.

भिवाड़ी से जुड़ा है नाता: बरकतुल्ला खान ने अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान ही भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र की नींव रखी थी. आज जापान के इन्वेस्टमेंट जोन को अपने दामन में सेहजने वाली भिवाड़ी अभी तक इलाके की आर्थिक रीढ़ बनकर एनसीआर की पहचान बन चुका है. भाजपा जहां बालकनाथ के जरिए ओबीसी वोट बैंक और हरियाणा के आने वाले चुनाव को साध सकती है, तो अलवर के लोग विकास की नई तस्वीर को उकेरे जाने का इंतजार करेंगे. सोशल मीडिया पर लगातार पूर्वी इलारे में अगले सीएम फेस के रूप में बालकनाथ ट्रेंड कर रहे हैं. बालकनाथ के मुख्यमंत्री बनने से तिजारा और अलवर जिले के लोगों को बेहतर विकास की उम्मीदें हैं.

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हरियाणा में आस्था का केन्द्र बालकनाथ का आलीशान मठ: तिजारा विधायक बालकनाथ रोहतक के अस्थल बोहर मठ के महंत हैं, जिसका प्रभाव पूरे हरियाणा में है. दरअसल अस्थल बोहर मठ नाथ संप्रदाय की बड़ी गद्दी है. बाबा बालक नाथ का जन्म अलवर जिले के कोहरण गांव में साल 1986 में हुआ था. उनके पिता सुभाष यादव ने महज 6 साल की उम्र में उन्हें बाबा खेतानाथ को सौंप दिया था. इसके बाद बालकनाथ मस्तनाथ स्कूल रोहतक में शुरुआती तालीम हासिल करते हैं और फिर हनुमानगढ़ मठ में कोठारी का काम करने लगते हैं.

Math Asthal Bohar Rohtak
बालकनाथ का भव्य अस्थल बोहर मठ

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करीब 15 साल तक हनुमानगढ़ में रहने के बाद 29 जुलाई, 2016 को उन्हें महंत चांदनाथ का उत्तराधिकारी बनाया जाता है. जिस मठ की जिम्मेदारी बालकनाथ को मिली है, उसकी तस्वीरें बताती हैं कि यह कितना आलीशान है. यह मठ अंदर से बहुत खूबसूरत है. बिल्डिंग अंदर से किसी महल से कम नजर नहीं आता है. भव्य सजावटी सामान और चमकती लाइट्स के आगे राजमहल की सुंदरता फीकी लगती है. भवन की सुरक्षा के भी बेहद पुख्ता इंतजाम हैं. यहां बिना इजाजत कोई आसपास नहीं पहुंच सकता है. इन दिनों बालकनाथ के नाम की चर्चा के साथ ही उनके मठ की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं.

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