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Rajasthan Vidhansabha : बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट, राठौड़ बोले- राजस्थान में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा'

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Published : Jul 20, 2023, 4:36 PM IST

Rajasthan Vidhansabha
बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट

विधानसभा में बिजली के मुद्दे पर गुरुवार को स्थगन प्रस्ताव के दौरान जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष ने वेल में आकर नारेबाजी की और सदन का वॉकआउट किया. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि फ्यूल चार्ज के नाम पर जनता को लूटा जा रहा. 100 यूनिट बिजली फ्री की घोषणा की थी, लेकिन बिलों में फ्यूल चार्ज के जरिए लूट हो रही है.

बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने किया वॉकआउट

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से प्रदेश के करोड़ों विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली बिलों में दी जा रही छूट का मुद्दा उठाया. राठौड़ ने कहा कि बिजली फ्री के नाम पर आम जनता के साथ लूट कसौट आम जनता के साथ हो रही है , राठौड़ ने इसके साथ फ्यूल सरचार्ज वसूलने, निजी विद्युत उत्पादनकर्ताओं से महंगी दरों पर बिजली खरीदने, कोयला खरीद में भ्रष्टाचार करने, सरकारी धर्मल पावर प्लांटों को जानबूझकर बंद करने और डिस्कॉम के कुप्रबंधन जैसे बिजली से जुड़े कई मुद्दे को सदन में उठाया और सदन से वॉकआउट किया.

'डिजाइन बॉक्स' के कहने पर उपभोक्ताओं की जेब पर भार : राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने डिजाइन बॉक्स कंपनी के कहने पर 62 करोड़ के विज्ञापन लगाकर प्रत्यक्ष रूप से प्रदेश के उपभोक्ताओं की जेब पर भार डाल दिया. हाल ही में प्रदेश के 1 करोड़ 4 लाख उपभोक्ताओं को तीन डिस्कॉम ने मई और जून के बिल जारी किए हैं. इन बिलों में डिस्कॉम ने मई और जून माह के लिए उपभोक्ताओं से 45 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज और 7 पैसे अडानी पावर प्रोजेक्ट की ओर से इंडोनेशिया से महंगा कोयला खरीदने पर स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर यानी 54 पैसे प्रति यूनिट लिया गया. इसके साथ 1476 करोड़ रुपए की राशि उपभोक्ताओं से वसूल कर राहत कि जगह आहत करने का काम किया है.

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राठौड़ ने कहा कि राज्य में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के साथ भी औद्योगिकों को भी महंगी बिजली का दंश झेलना पड़ रहा है. राजस्थान में दूसरे राज्यों से बिजली महंगी मिलने के कारण उद्योगों को चलाना पहले ही मुश्किल है. ऐसे में विभाग की ओर से फ्यूल सरचार्ज 45 पैसे + स्पेशल फ्यूल सरचार्ज 7 पैसे यानी 52 पैसे प्रति यूनिट वसूलना कोढ़ में खाज के समान है. राठौड़ ने कहा कि सीएम गहलोत ने पिछले साल 50 यूनिट बिजली फ्री किए जाने की बजटीय घोषणा की थी, जो 1 अप्रैल से प्रभावी हो गई. क्या कारण रहा कि बिजली की रियायत के लिए 1 अप्रैल से प्रभावी होने वाली घोषणाएं अप्रैल, मई और जून के बिलों में राहत नहीं दी गई ?

चहेती कंपनी को ही टेंडर : राठौड़ ने कहा कि बजट वर्ष 2022-23 में पिछले 9 वर्ष से चली आ रही 3 लाख 38 हजार विद्युत कनेक्शनों के आवेदन खत्म करने के लिए 22 फरवरी 2022 तक के सभी विद्युत कनेक्शन को 2 वर्षों में जारी करने की घोषणा की थी, जिसके लिए डिस्कॉम ने 22 अप्रैल 2022 को 2300 करोड़ रुपये टेंडर निकाला था. चहेती कंपनी को ही टेंडर मिले, इसके लिए निविदा की शर्तों में टेंडर की तारीखों को बदलने का इतिहास ही बना डाला.

कुल 6 बार मनमाने तरीके से निविदा में संशोधन किया, लेकिन विद्युत कनेक्शन लगाने का ठेका चहेती फर्मों को दिया. राठौड़ ने कहा कि 31 मई 2023 को 200 यूनिट तक स्थायी शुल्क, फ्यूल सरचार्ज समेत अन्य शुल्क माफ करने की गई घोषणा के बाद जून के बिजली बिल उपभोक्ताओं को प्रति माह बिल जारी नहीं करके बिलों को डेढ़ माह और दो माह के बिल एक साथ जारी किए गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि बिलों में उपभोक्ताओं की बिजली की खपत स्वतः ही बढ़ गई. उपभोक्ताओं को बढ़ें हुए की राशि मजबूरन चुकानी पड़ी.

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