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राजस्थान में OBC आरक्षण विसंगति पर गरमाई सियासत, हरीश चौधरी की मांग पर बोले पूनिया, दाल में कुछ काला है

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Published : Nov 16, 2022, 5:56 PM IST

OBC reservation discrepancy in Rajasthan
राजस्थान में OBC आरक्षण विसंगति पर गरमाई सियासत..

ओबीसी आरक्षण विसंगतियों (OBC Reservation Discrepancies) को लेकर चल रही सियासी घटनाक्रम पर अब बीजेपी ने भी चुप्पी तोड़ (Rajasthan BJP broke the silence) दी है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पूर्व मंत्री की मांग को सरकार से प्रेरित बताया.

जयपुर. राजस्थान में पूर्व सैनिकों के आरक्षण पर सियासत (Politics on reservation for ex servicemen) गरमाई हुई है. 4 साल पहले किए गए बदलाव के विरोध में ओबीसी वर्ग आंदोलन की राह पर है तो गहलोत सरकार में मंत्री रहे हरीश चौधरी अब उसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. जबकि वसुंधरा राजे सरकार में जारी परिपत्र के विरोध के बीच बीजेपी इस मसले पर बैकफुट पर थी, लेकिन अब बीजेपी उल्टे कांग्रेस पर ही आंदोलन को हवा देने का आरोप लगा रही है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पूर्व मंत्री हरीश चौधरी को निशाने (Politics on OBC reservation in Rajasthan) पर लेते हुए कहा कि यह सब सरकार से प्रेरित लग रहा है. एक पूर्व मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करे, यह बात समझ से परे हैं. यानी दाल में कुछ काला जरूर है.

पूर्व मंत्री की मांग सरकार से प्रेरित: प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि ऐसे कई बार कठिन और संवेदनशील विषय सरकार के सामने आते हैं, जहां समाज के भीतर ही विरोधाभास होता है. लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वो उसको सुलझाए, लेकिन यहां तो ऐसा लगता है कि सरकार इसमें तमाशा देख रही है. सरकार को चाहिए कि वह इसमें सर्वसम्मति बनाकर कोई बीच का रास्ता निकाले. जिम्मेदार लोगों से बात करनी चाहिए. लेकिन इसके उलट विचित्र और हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हो गई है. सरकार के पूर्व मंत्री आज सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. यह विचित्र सी बात है. इसमें कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर है. पुनिया ने कहा कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए हो रहा है.

राजस्थान में OBC आरक्षण विसंगति पर गरमाई सियासत.

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BJP की खामोश क्यों: ओबीसी आरक्षण से पूर्व सैनिकों को अलग करने का एक बड़ा मुद्दा है. जिसे लेकर सरकार में पूर्व मंत्री और मंत्री आमने-सामने हैं. पूर्व मंत्री ने खुले तौर पर सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लिया है. वहीं, पूर्व सैनिक आरक्षण से छेड़छाड़ होने पर सड़कों पर उतरने को तैयार है. एक दर्जन से ज्यादा सामाजिक संगठनों ने सरकार को इस आरक्षण व्यवस्था को लेकर पत्र लिखा है. इस गंभीर विषय पर बीजेपी इस लिए बैकफुट पर है, क्योंकि जिस (17 अप्रैल, 2018) परिपत्र को लेकर विवाद हो रहा है, वो पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में जारी किए हुए थे. अब बीजेपी इस मसले पर ओबीसी आरक्षण का समर्थन करती है तो यह संदेश जाएगा कि उनकी सरकार ने ओबीसी वर्ग के साथ नाइंसाफी की थी.

जानें क्या हुए थे बदलाव: पूर्व मंत्री हरीश चौधरी का आरोप है कि प्रदेश में 17 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन सरकार ने पूर्व सैनिकों को देय आरक्षण के नियमों में संशोधन किया था. जिसके तहत पूर्व सैनिकों को राज्य सेवा में पांच, अधीनस्थ सेवा में 12.5 व चतुर्थ श्रेणी में पंद्रह फीसदी आरक्षण प्राप्त हुए. इस नियम में संशोधन कर इस आरक्षण को क्षैतिज मानना शुरू कर उन्हें अपने-अपने वर्ग में समायोजित करने का नियम लागू किया गया. इस नियम के लागू होने से ओबीसी वर्ग में पुरुष वर्ग के अधिकांश पद पूर्व सैनिकों के खाते में जा रहे हैं. इस कारण युवाओं के लिए पहले से बेहद कम नौकरी के अवसर पूरी तरह से सीमित हो गए. कुछ एक भर्ती में ओबीसी वर्ग में पुरुषों के आरक्षित सभी पदों पर पूर्व सैनिकों की भर्ती का भी मसला है.

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यह चाहते हैं बदलाव: ओबीसी से जुड़े लोगों का कहना है कि पूर्व सैनिकों को यदि ओबीसी में आरक्षण दिया ही जाना है तो ओबीसी के कुल पद का 12.5 फीसदी ही दिया जाए न कि कुल पदों का 12.5 फीसदी. इस बदलाव को लागू करवाने के लिए ओबीसी समुदाय लामबंद हो रहा है. पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी इस नियम के विरोध में अलग-अलग जिलों में तीन बड़े सम्मेलन कर चुके हैं. लगातार सरकार के अलग-अलग मंत्रियों से मिलकर इस मसले को कैबिनेट में रखने की मांग कर रहे हैं. यहां तक उन्होंने मुख्यमंत्री पर सीधा भी आरोप लगाया है कि पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को रखने की बात कहने के बावजूद इस पर बैठक में चर्चा नहीं की गई.

हनुमान बेनीवाल की एंट्री: ओबीसी आरक्षण विसंगतियों को लेकर चल रहे इस मामले में अब हनुमान बेनीवाल की भी एंट्री हो गई है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने गहलोत सरकार पर युवाओं के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है. नागौर सांसद ने देर रात एक के बाद एक कई ट्वीट करके गहलोत सरकार पर निशाना साधा. बेनीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 30 सितंबर को जयपुर में शहीद स्मारक पर ओबीसी आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए हुए आंदोलन में गहलोत सरकार ने 48 घंटे में विसंगतियों को दूर करने का वादा किया था. आज 45 दिन से अधिक का समय निकलने के बाद भी सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है. बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार की वादाखिलाफी के कारण विभिन्न भर्तियों में लगातार ओबीसी वर्ग के युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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हरीश चौधरी से बेनीवाल का सवाल: ओबीसी आरक्षण में विसंगति के मामले में अब नागौर सांसद ने बायतु विधायक हरीश चौधरी पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. बेनीवाल ने कहा कि 1998- 99 में जाट आरक्षण आंदोलन के समय चौधरी उन लोगों में शामिल थे, जो इसका विरोध कर थे. वो आंदोलन के किसी मंच पर नहीं गए. 2018 में वसुंधरा सरकार के एक गलत आदेश की वजह से यह रालोपा विसंगति पैदा हुई, लेकिन चौधरी को मामले को सियासी तूल देना तब याद आया, जब उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है. आज तो मंत्रिमंडल में यह मामला डेफर होने पर बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस मामले को 2018 से 2021 के बीच हुई दर्जनों बैठकों में क्यों नहीं उठाया.

बेरोजगारों से धोखा: इधर, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार ने जो 2018 में जन घोषणा की, उसे पूर्ण नहीं किया गया. रोजगार तो दूर नकल गिरोह के चलते युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. अब संगठित रूप से एक माफिया पनपा है, जो गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

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