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बांधों की भूकंप सुरक्षा और निरीक्षण का राष्ट्रीय केंद्र एमएनआईटी में होगा स्थापित, खर्च होंगे 30 करोड़

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Published : May 22, 2023, 5:13 PM IST

Updated : May 22, 2023, 6:24 PM IST

देश में बांधों की भूंकप सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण और एमएनआईटी जयपुर के बीच एक एमओयू साइन किया गया है.

MoU Between NDSA and MNIT Jaipur for dams security from earthquakes
बांधों की भूकंप सुरक्षा और निरीक्षण का एमएनआईटी में राष्ट्रीय केंद्र होगा स्थापित, खर्च होंगे 30 करोड़

बांधों की सुरक्षा को लेकर क्या बोले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

जयपुर. देश में बांध सुरक्षा मिशन को गति देने के लिए राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण और एमएनआईटी जयपुर के बीच एक एमओयू साइन किया गया है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में एमओयू साइन हुआ. इस दौरान उन्होंने केंद्र की बांध सुरक्षा संबंधी प्रतिबद्धताओं को विस्तार से बताते हुए, राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना और उसे 5 वर्षों तक चलाने के लिए लगभग 30 करोड़ के वित्तीय अनुदान की मंजूरी की जानकारी भी दी.

बांध सुरक्षा अधिनियम के बाद अब बांधों की भूकंप सुरक्षा और निरीक्षण के लिए राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया जा रहा है. राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने के एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम में शामिल हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बांधों की सुरक्षा देश में स्थित बांधों की बढ़ती व्यय के कारण बड़ी चिंता का विषय है. संविधान के अनुरूप बांध और जल राज्य का विषय होने के नाते विभिन्न राज्यों में इस विषय को लेकर कहीं ना कहीं उदासीनता है, ऐसा अनुभव किया गया. दुनिया में यदा-कदा बांधों के टूटने या उनके परिचालन में कहीं कोई कमी रह जाने के कारण बड़ी आपदाएं होने के अनेक उदाहरण मिलते रहते हैं.

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भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा बांधों वाला देश है और निरंतर इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में आवश्यकता है कि बांधों की बढ़ती हुई व्यय और संख्या को देखते हुए एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल बांधों के परिचालन और सुरक्षा को लेकर के भारत में बनाएं. इसी के साथ-साथ बांध सुरक्षा और बांधों के रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट को लेकर दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम भारत में किया गया. जिसके तहत 286 बांधों के परिचालन-रखरखाव को लेकर के काम पूरा किया जा चुका है और लगभग 750 बांधों का इस दिशा में काम अभी शुरू किया है.

देश की संसद ने एक बांध सुरक्षा कानून पारित किया और उस कानून के अस्तित्व में आने को लेकर सभी राज्यों का धन्यवाद करते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बांधों की सुरक्षा को लेकर कुछ तकनीकी संस्थानों को भी खड़ा करने की आवश्यकता है. इस क्रम में आईआईटी रुड़की जल क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध संस्थान है. वहां सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से स्थापित किया. इसी तरह बेंगलुरु में एक सेंटर स्थापित कर रहे हैं. क्योंकि देश का बहुत बड़ा भूभाग भूकम्प सेंसिटिव जोन है और बीते वर्षों में भूकंप से जुड़ी बहुत सारी घटनाएं ऑब्जर्व की गई. इसी के चलते एमएनआईटी में भूकंप के चलते बिल्डिंग स्ट्रक्चर्स की सेफ्टी को लेकर एक लैब स्थापित की गई थी. जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की है.

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वहीं एमएनआईटी ने प्रपोज किया कि बांधों के भूकंप की दृष्टि से सुरक्षा को लेकर अध्ययन को लेकर एक केंद्र स्थापित कर सकते हैं. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद एमएनआईटी जयपुर में बांधों की भूकंप सुरक्षा और निरीक्षण का राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया गया है. एक एमओयू किया गया है जिसके तहत भारत सरकार पहले चरण में 30 करोड़ की वित्तीय सहायता देकर इस इंस्टिट्यूट को यहां खड़ा करेगी. इस काम को अधिक गति प्रदान कर सकें, उसकी स्केल को बिल्टअप कर सकें और पूरी दुनिया में इन सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स की कमी को दूर करते हुए उसकी आपूर्ति का केंद्र भारत बन सके, इस दृष्टिकोण से इसे और अधिक बड़ा करने की आवश्यकता है.

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इस उद्देश्य में वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता कहीं चुनौती नहीं बनेगी, इसे लेकर आश्वस्त किया गया है. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2 साल का समय सिर्फ प्रस्ताव तैयार होने में नहीं बल्कि सबसे पहले आईडिया ध्यान में लाया गया, उसके बाद डैम सेफ्टी एक्ट बना, उसके बाद फ्रेमवर्क बना, प्रस्ताव सोचने से पूरा होने के बीच तक बहुत लंबी यात्रा सरकार ने पूरी की है. उन्होंने कहा कि एक देश में जिस विषय को लेकर के चर्चा 1982 में मच्छु बांध टूटने के साथ शुरू हुई थी, 40 साल तक लोग सोते रहे. उसके बाद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और इंटीग्रेटेड मिनिस्ट्री बनने के बाद में केवल ढाई साल के कालखंड में कानून भी बना, इंप्लीमेंट भी हुआ और राज्यों में भी उस दिशा में काम शुरू हुआ है. अब इस तरह के सेंटर्स भी शुरू हुए हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह के नेशनल इंपॉर्टेंस के सेंटर के विकास की अपनी गति होती है. क्योंकि यहां पहले से इस तरह का कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर बना हुआ है और इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएशन की आवश्यकता है. उसका पूरा रोडमैप तैयार किया गया है. ताकि बहुत तेज गति से काम करते हुए इसे पूरा किया जा सके. आपको बता दें कि ये केंद्र देश में पहला ऐसा केंद्र होगा, जहां बांध अभियंताओं, नियामकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर समग्रता से काम किया जा सकेगा. साथ ही भारत में बांधों की संरचनात्मक और भूकंप सुरक्षा से संबंधित प्रौद्योगिकी विकास में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी क्षमताओं का अत्याधुनिक तकनीक से संपन्न किया जा सकेगा.

Last Updated :May 22, 2023, 6:24 PM IST
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