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राजस्थान में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स : IPS दिनेश एमएन को कमान, नाम सुनकर ही थर-थर कांपते हैं बदमाश

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 17, 2023, 11:03 AM IST

Anti Gangster Task Force i
IPS दिनेश एमएन

राजस्थान में भजन 'राज' शुरू होने के साथ ही संगठित अपराध को जड़ से खत्म करने के लिए एक एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन किया गया है. सीनियर आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन को इसकी कमान सौंपी गई है. वे राजस्थान के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी हैं और बदमाश उनके नाम से ही कांपते हैं. पढ़िए खास रिपोर्ट.

जयपुर. राजस्थान में भजन 'राज' के आगाज के साथ ही संगठित अपराध को जड़ से खत्म करने की कवायद शुरू कर दी गई है. नए मुख्यमंत्री भजलाल शर्मा ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में प्रदेश में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स की गठन को मंजूरी दी है. डीजीपी उमेश मिश्रा ने इस टास्क फोर्स का गठन करने के आदेश जारी किए और प्रदेश के सीनियर आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन (एडीजी क्राइम) को एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स की कमान सौंपी है.

दिनेश एमएन अपनी तेज-तर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. माना जाता है कि राजस्थान के जिस भी जिले में दिनेश एमएन एसपी रहे. वहां के बदमाश जिला छोड़कर दूसरी जगह चले गए. गुजरात के सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से वे देशभर में चर्चा में आए. डीजीपी उमेश मिश्रा के अनुसार, राज्य में संगठित अपराध पर प्रभावी नियंत्रण और अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए विशेष कार्यदल (एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स) का गठन एडीजी क्राइम दिनेश एनएम के नेतृत्व में किया गया है.

यह दल मानवीय और तकनीकी आसूचना संकलित कर संगठित अपराध से जुड़ी गैंग की पहचान कर उनका डाटाबेस तैयार करेगा और प्रभावी कार्रवाई करेगा. इसके साथ ही विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों की मॉनिटरिंग कर गैंगस्टर्स को सख्त सजा दिलवाने का भी काम करेगा. इसके साथ ही केंद्रीय और राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर संगठित अपराध पर नियंत्रण रखने का काम भी यह टास्क फोर्स करेगी. इस टीम में एक एडीजी, एक-एक आईजी, डीआईजी, एसपी, दो एएसपी, चार डीएसपी, चार इंस्पेक्टर, 12 एसआई व एएसआई , 40 हेड कांस्टेबल व कांस्टेबल सहित 65 पुलिस अधिकारी शामिल किए गए हैं.

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सात साल जेल में बिताए, बरी होकर की वापसी : दिनेश एमएन 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वे मूलतः कर्नाटक के रहने वाले हैं और राजस्थान कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं. गुजरात के सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से देशभर में चर्चा में आए और इसी मामले में सात साल जेल में रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार वे बरी हुए और फिर से कमान संभाली. वर्तमान में वे बतौर एडीजी (क्राइम) पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं.

आनंदपाल सिंह का किया सफाया : राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह और उसकी गैंग का सफाया करने में दिनेश एमएन की अहम भूमिका रही है. उन्होंने आनंदपाल गैंग के बदमाशों को एक-एक कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया. साल 2017 में आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर करने वाली टीम की मॉनिटरिंग वे ही कर रहे थे. इसके साथ ही एसीबी और एसओजी में रहते हुए भी उन्होंने कई खुलासे किए.

घूसखोर अधिकारियों को पहुंचाया जेल : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में आईजी रहते दिनेश एमएन ने घूसखोर अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया. खान घोटाले का उन्होंने ही पर्दाफाश किया था. खनन विभाग में तैनात आईएएस अधिकारी अशोक सिंघवी को ढाई करोड़ रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया था. दौसा जिले के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल भी रिश्वत के मामले में हत्थे चढ़े थे. उन्होंने एसीबी में आईजी रहते ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी.

एडीजी (क्राइम) बने, गैंगस्टर्स की बनाई कुंडली : इस साल की शुरुआत में दिनेश एमएन को एडीजी (क्राइम) के पद पर लगाया गया. इसके साथ ही उन्होंने गैंगस्टर्स और हार्डकोर अपराधियों की कुंडली बनानी शुरू कर दी. उनकी मॉनिटरिंग में ही ऑपरेशन वज्र प्रहार चलाया गया. जिसके तहत गैंगस्टर्स और हार्डकोर बदमाशों पर चौतरफा चोट की गई. इन बदमाशों के साथ ही उन्हें सहयोग देने वालों और सोशल मीडिया पर समर्थन करने वालों पर भी एक्शन हुआ. इस दौरान 5 हजार से ज्यादा कुख्यात अपराधियों की गलत तरीके से अर्जित संपत्ति की जानकारी भी जुताई गई. कई बदमाशों की संपत्ति पर बुलडोजर भी चलाया गया.

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