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4 Years Of Gehlot Government: 1.36 लाख को मिला रोजगार, पेपर लीक का भी गहरा दाग

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Published : Dec 17, 2022, 2:05 PM IST

Updated : Dec 17, 2022, 4:43 PM IST

4 Years Of Gehlot Government
4 Years Of Gehlot Government

गहलोत सरकार ने 4 साल में प्रदेश के बेरोजगारों को क्या दिया? ये बड़ा प्रश्न है (4 years of Gehlot government). सरकार दावा करती है कि जो घोषणाएं की उन्हें काफी हद तक पूरा भी किया. 4 साल में 1 लाख 36 हजार नौकरियां दीं लेकिन एक हकीकत और है जो बदसूरत है. राज्य में कई परीक्षाएं हुईं, पेपर लीक हुए, दोबारा हुए फिर रद्द भी हुए. बेरोजगारों के लीडर उपेन यादव राजस्थान से यूपी और गुजरात तक की दूरी मापते रहे. खामियां कई हैं, जिसे लेकर बेरोजगारों ने तैयारी पूरी कर ली है.

1.36 लाख को मिला रोजगार, उम्मीद अब भी बरकरार

जयपुर. देश में जो युवाओं की बात करेगा वो सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगा (4 years of Gehlot government). लंबे समय से यही धारणा चली आ रही है. यही वजह है कि राजनीतिक दलों के प्रमुख चुनावी मुद्दों में युवाओं के लिए रोजगार सबसे अहम घोषणा होती है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी इस बात से भली-भांति परिचित है यही वजह है कि उन्होंने सत्ता में आने के साथ ही पहले बजट में 75 हजार, दूसरे बजट में 53 हजार 151, तीसरे बजट में 50 हजार और चौथे बजट में एक लाख नौकरियों का एलान किया था.

4 Years Of Gehlot Government
इनमें नियुक्ति का इंतजार.

राज्य सरकार का दावा है कि उन्होंने 1.36 लाख सरकारी नौकरी दी है. जबकि 1.21 लाख सरकारी नौकरियां पाइप लाइन में है, और एक लाख प्रस्तावित है. इसके इतर ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो सामने आया कि हजारों पदों पर की गई भर्ती परीक्षाएं रद्द हो चुकी है. जबकि हजारों पदों पर अभी भी प्रदेश के युवा बेरोजगारों को भर्ती का इंतजार है.

4 Years Of Gehlot Government
ये भर्तियां हुई रद्द.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने बताया (Upen Yadav On unemployment) कि राज्य सरकार ने एक लाख से ज्यादा नौकरियां जरूर दी हैं. लेकिन लगातार पेपर लीक और फिर उन पेपर्स को रद्द करना एक बड़ी समस्या थी. इसे लेकर सरकार कानून भी लेकर आई, लेकिन कानून की पालना अभी नहीं हो पा रही. जिसकी वजह से पेपर लीक करने वाले माफिया में डर नहीं है. इसके साथ ही प्रदेश की भर्तियों में प्रदेश के युवा बेरोजगारों को प्राथमिकता देने की लगातार मांग की जा रही है. युवा बेरोजगार आयोग की मांग की जा रही है. एक लाख पदों की जो भर्तियां की गई थी, उनका वर्गीकरण होना बाकी है.

4 Years Of Gehlot Government
भर्तियों का इंतजार.

पढ़ें-रोजगार दो सरकार: आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव से पूर्व सैनिक नाराज, कहा- हमारी कोई जाति नहीं, होनी चाहिए कॉमन चयन प्रक्रिया

नियमित की बात करे सरकार- उन्होंने कहा कि अबकी बार सरकार की सोच है कि युवाओं के लिए बजट लेकर के आए. लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कि जो भर्तियां निकाली जा चुकी हैं उनको समय पर कराया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग भर्ती विज्ञप्ति जारी करने में ही देरी कर रहा है. राज्य सरकार अधिकारियों पर नकेल कसे और जो घोषणा की गई है उन्हें धरातल पर उतारा जाए. चूंकि अगला वर्ष चुनावी वर्ष है, ऐसे में यदि भर्ती परीक्षा कराने के बाद नियुक्ति नहीं दी गई तो यह भर्तियां आचार संहिता के चलते अटक भी सकती हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संविदा के नाम पर युवाओं का शोषण होता है, इसके बजाय सरकार को नियमित भर्ती निकालनी चाहिए. उत्तर प्रदेश हो या गुजरात कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने वहां संविदा प्रथा को बंद करने की घोषणा की थी. ऐसे में राजस्थान में भी संविदा प्रथा को बंद कर स्थाई नियमित तौर पर भर्ती निकाली जाए.

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इन पदों पर हुई भर्ती.

नए साल के लिए बेरोजगारों का प्लान तैयार- उपेन ने एलान किया कि 9 फरवरी 2023 को राजस्थान की सभी ग्राम पंचायतों में जाएंगे. न्याय और रोजगार दो यात्रा निकाली जाएगी. इसमें प्रदेश के 10 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार को सदस्य बनाया जाएगा. क्योंकि अब 2023 में युवाओं का मुद्दा होगा रोजगार. इस बार जाति और धर्म के नाम पर चुनाव नहीं होंगे. रोजगार के मुद्दे पर चुनाव होंगे और यह चुनौती सभी राजनीतिक दलों के लिए होगी. वहीं उन्होंने नए बजट से भी अपेक्षा जताते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए वैकेंसी निकले. युवाओं के लिए आयोग बने. तमाम रिक्त पदों पर भर्ती की घोषणा हो. जो पहले भर्तियों की घोषणा की है उनका वर्गीकरण कर प्रॉपर कैलेंडर जारी किया जाए और उनकी विज्ञप्ति जारी की जाए.

4 Years Of Gehlot Government
इन पदों पर भी हुई भर्ती.
Last Updated :Dec 17, 2022, 4:43 PM IST
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