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स्पेशल रिपोर्ट: बूंदी के रामगढ़ में दो दशक बाद सुनाई देगी बाघों की दहाड़...बनेगा प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व अभ्यारण्य

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Published : Oct 16, 2019, 2:31 PM IST

रामगढ़ अभयारण्य बूंदी, Bundi Ramgarh sanctuary news

बूंदी के रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य में बाघों को शिफ्ट करने की सरकार की योजना दो दशकों के बाद पूरी होने वाली है. गहलोत सरकार ने रामगढ़ अभ्यारण में दो बाघों को छोड़ने का फैसला किया है. जिसके बाद ये प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व अभ्यारण्य बन जाएगा.

बूंदी. जिले के वन्यजीव प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. यहां का प्रसिद्ध रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य प्राकृतिक संपदा और वन्य जीवों से भरपूर होने के साथ ही अब और भी खास होने जा रहा है. इस अभ्यारण्य में दो दशक के बाद बाघों की दहाड़ सुनाई देगी. प्रदेश की गहलोत सरकार ने अभ्यारण्य में दो बाघों को छोड़ने का फैसला किया है. जिसके बाद यहां के पर्यटन व्यवसाय को भी चार-चांद लगने की उम्मीद जताई जा रही है.

यहां बाघों को शिफ्ट करने के बाद यह प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व अभ्यारण्य बन जाएगा. इस संबंध में वन विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर सेंचुरी में रणथंभोर से दो बाघों को शिफ्ट करने की इजाजत दे दी है. यह सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि बूंदी की तस्वीर बदलने वाला फैसला है.

प्रदेश में चौथा टाइगर रिजर्व बनेगा बूंदी का रामगढ़ अभ्यारण्य

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यहां कुछ राइस मील को छोड़कर ऐसी कोई इंडस्ट्री नहीं है, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके. लेकिन, माना जा रहा है कि यहां टाइगर अभ्यारण्य विकसित होने के बाद ना केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि, रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. जानकारों का मानना है कि बूंदी जिले में बाघ आएंगे तो जंगल बचे रहेंगे और ईको-टूरिज्म होगा. हजारों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा.

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सबसे ज्यादा वन्यजीव रामगढ़ में

रामगढ़ अभ्यारण्य की बात की जाए तो 1982 में रामगढ़ अभयारण्य और 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित हुआ. कुल अभयारण्य 800 वर्ग किमी में फैला हुआ लेकिन 307 वर्ग किमी इलाके को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला है. यह जयपुर से 200 किलोमीटर दूर है. एक तरफ रणथंभोर दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर से जुड़ा हुआ है. इस टाइगर रिजर्व में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, आईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्यजीव मौजूद है. रणथंभोर से ज्यादा खूबसूरत बाघों के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है. रणथंभोर से ज्यादा वैरायटी के पौधे बूंदी के इस रामगढ़ अभयारण्य में हैं.

बूंदी के पास काफी कुछ है टूरिज्म के लिए

वाइल्डलाइफ सफारी के लिए बूंदी से बेहतर कोई स्पोट नहीं है. यहां समृद्द हेरिटेज है. फोर्ट पेंटिंग, बावड़ियां, झील-झरने, रॉक पेंटिंग्स है. यहां घड़ियाल सेंचुरी के साथ ही वेटलैंड्स हैं जहां विदेशी परिंदों को करलव करते हुए देखने का एहसास होता है. बर्ड्स की हजारों की तादात में यहां प्रजातियां है. वन्य जीव की पूरी श्रृंखला है. बूंदी के जंगल रणथम्भोर से हर मायने में कहीं ज्यादा बेहतर है.

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दो दशक से चली आ रही है योजना

रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य में बाघों को शिफ्ट करने की योजना पिछले दो दशक से चली आ रही है, जिसपर अब मुहर लगने जा रही है. रामगढ़ अभयारण्य के जंगल को 1982 में वन्य जीव अभ्यारण का दर्जा दिया गया था. दर्जा मिलने तक इस जंगल में 14 बाघों और 90 बघेरों की उपस्थिति थी. अभयारण्य में 1985 से ही बाघों की संख्या में कमी आती गई. 1999 तक एक ही बाघ बचा था जो भी लुप्त हो जाने से अभयारण्य बाघ विहीन हो गया था. बाघों से सूने पड़े अभयारण्य को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाया गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से रणथंभोर से 6 बाघों को रामगढ़ में शिफ्ट करने की अनुमति दे दी गई है. जिसके तहत सबसे पहले दो बाघों को शिफ्ट करने का फैसला किया गया है.

अगले माह ही शिफ्ट हो सकते हैं बाघ

वन विभाग की सूत्रों की मानें तो अगले माह से बूंदी में रामगढ़ अभयारण्य के अंदर चलने के लिए ट्रैक का निर्माण शुरू हो जाएगा और बाघों को शिफ्ट कर दिया जाएगा. सूत्रों ने यह भी बताया कि अनुमति मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने कुछ जंगली जानवरों को अभयारण्य में छोड़ना भी शुरू कर दिया है ताकि एक बड़ी प्रजाति का कुनबा बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य में बन सके.

रणथंभोर में खड़ी हुई टूरिज्म इंडस्ट्री

आपको बता दें कि रणथंभोर में बाघों की वजह से सालाना करोड़ों रुपए की टूरिज्म इंडस्ट्री खड़ी हो गई है. साथ ही 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. छोटे-बड़े 300 होटल हैं और इनमें 2,000 से अधिक रूम है. 500 और नए रूम बनने जा रहे हैं. बड़े होटल का किराया एक से डेढ़ लाख रुपए तक है. 1 हजार से ज्यादा जिप्सी रजिस्टर हैं. लगातार पर्यटन को विस्तार मिल रहा है.

1999 के बाद हुए परिवर्तन

  • 2007 से पिछले वर्ष तक तीन बाघ आए हैं, और तीनों ही मेहमान की तरह यहां से वापस लौट गए.
  • 2007 में बाघ युवराज तो वापस लौटते समय लाखेरी के पास मेज नदी की कंदराओं में शिकारियों के हत्थे चढ़ गया था.
  • 5 वर्ष बाद बाघ टी-62 आया तो कुछ माह तक रामगढ़ में समय बिताकर वापस लौट गया.
  • 2017 में फिर टी-91 लगभग 1 वर्ष तक अभयारण्य में रहा, जिसके बाद अप्रैल माह में कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में सरकार द्वारा उसे शिफ्ट कर दिया गया.

यहां वन्य जीव की भरमार के कारण और 307 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले होने के कारण इसे विषधारी वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था. अभयारण्य को 'बाघों का जच्चा घर' का दर्जा प्रदान करने के लिए प्रकृति का योगदान रहा है. रामगढ़ किले की पहाड़ियों के नीचे बनी लंबी सुरंग कभी बाघों की मांदे थी. जिनके पास जाने से लोगों की कंपकंपी छूटती थी. मांदे बाघों का प्रसिद्ध स्थल भी हुआ करती थीं.

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इस तरह मिले बूंदी को बाघ

  • गहलोत सरकार ने बजट घोषणा में बूंदी के इस रामगढ़ अभयारण्य को बाघ देने की बात कहीं.
  • बाघ रिवीव के लिए बनाई गई कमेटी.
  • रिपोर्ट सरकार को एनटीसीए द्वारा भेजी गई.
  • रिपोर्ट में अभयारण्य को बाघ और अन्य जानवर के लिए पॉजिटिव बताया गया.
  • सरकार ने एनटीसीए के माध्यम से लिया फैसला कि बूंदी को टाइगर दिया जाए.
  • और इस तरह बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य बना चौथा टाइगर रिजर्व.
Intro:बूंदी के रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य में बाघों को शिफ्ट करने योजना पिछले दो दशकों के बाद पूरी होने जा रही है ..यहां पर गहलोत सरकार ने बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण में दो बाघो को छोड़ने का फैसला लिया गया है । उसके बाद प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य बनने जा रहा है इसको लेकर वन विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है । वहीं रामगढ़ अभयारण्य टाइगर रिजर्व हो जाने के बाद बूंदी के पर्यटन व्यवसाय को चार चांद लगेंगे और बूंदी का नेचुरल कल्चर अब पर्यटन के रूप में विकसित हो सकेगा ।


Body:बूंदी । नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर सेंचुरी में रणथंबोर से दो बाघो शिफ्ट करने की इजाजत दे दी है । यह एक खबर नहीं बल्कि बूंदी की तस्वीर बदलने वाला फैसला है क्योंकि वाइल्डलाइफ ही बूंदी का फ्यूचर है । यहां कुछ राइस मिल को छोड़कर ऐसी कोई इंडस्ट्री नहीं है जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। महज बाघ जानवर ही नहीं आज के दौर में बहुत बड़ी इंडस्ट्री है । बाघ के अलावा सवाई माधोपुर में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है । रणथंबोर में बाघों की वजह से सालाना ढाई से तीन करोड़ रुपए की टूरिज्म इंडस्ट्री खड़ी हो गई है । 10 हजार से ज्यादा से लोगो को रोजगार वहां मिल रहा है वहां होटल की चौकीदार की सैलरी भी 20 हजार से कम नहीं है छोटे-बड़े 300 होटल है इनमें 2,000 से कम रूम नही है । 500 और नए रूम बन रहे हैं । बड़े होटल का किया एक से डेढ़ लाख रुपए तक है । 1 हजार से ज्यादा जिप्सी रजिस्टर है , हर गाड़ी पर दो कर्मचारी इसके अलावा सामान सप्लायर , टूरिस्ट गाइड्स , छोटे-मोटे रोजगार चल रहे हैं अपराध भी काफी घट रहा है।

बाघ बदलेंगे बूंदी की तस्वीर

बूंदी जिले में बाघ आएंगे तो जंगल बचे रहेंगे ईकोटूरिज्म होगा । कई हजारों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा । एक टूरिस्ट 15 लोगों रोजगार देता है । बाघ आने से मशहूर हस्तियों का भी आना जाना रहता है जिससे इलाका का विकास होता है। बागों के कारण दुनिया में चर्चा होती है । सोसाइटी में रेपुटेशन बनती है । सवाई माधोपुर में अपराध की कमी है। वजह लोगों के पास रोजगार है ।

सबसे ज्यादा वन्यजीव रामगढ़ में

बूंदी के रामगढ़ की बात की जाए तो 1982 में रामगढ़ अभ्यारण और 1909 में टाइगर रिजर्व घोषित हुआ । 800 वर्ग किमी में फैला टाइगर रिजर्व जयपुर से 200 किलोमीटर दूर है । एक तरफ रणथंभोर दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर से जुड़ा हुआ है। इस टाइगर रिजर्व में नीलगाय, सियार, हिरण ,भालू ,आईना, जंगली कुत्ते ,चीतल, सांभर ,जंगली बिल्लियां ,तेंदुए ,लंगूर ,सांप मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्यजीव मौजूद है । रणथंभोर से ज्यादा खूबसूरत बाघो के प्रजनन के लिए मांदों की संख्या में ग्रास लैंड है । बूंदी तो टाइगर मेटरनिटी हो यानी ( जच्चा घर ) रहा है । से सांपों की शरण स्थली भी कहा जाता है। रणथंभोर से ज्यादा वैरायटी के पौधे बूंदी के इस रामगढ़ अभ्यारण में है ।

बूंदी के पास बहुत है टूरिज्म के लिए

सवाई माधोपुर के पास केवल रणथंभोर है बूंदी के पास तो बहुत कुछ है । वाइल्डलाइफ सफारी के लिए बूंदी से बेहतर कोई सपोर्ट नहीं है । यहां समृद्द हैरिटेज है , फोर्ट पेंटिंग, बावड़ियां, झील झरने, रॉक पेंटिंग्स है ,आदि मानव सभ्यताओं की निशानियां है , घड़ियाल सेंचुरी है ,बशानदार वेटलैंड्स है ,जहां विदेशी परिंदों को करलव करते हुए देखने का एहसास होता है । बड्स की हजारों की तादात में यहां प्रजातियां है । वन्य जीव की पूरी श्रृंखला है । बूंदी के जंगल रणथम्भौर से कहीं ज्यादा रीच है । एयरपोर्ट बनने जा रहा है । बूंदी में पैलेस ऑन व्हील्स गुजरती है तो कहने कहीं बूंदी का दिवाली से पहले भाग्य खुलने वाला है । बूंदी वासियों को यह बड़ी खुशखबरी सामने आई है ।


Conclusion:दो दशक बाद दाहड़

रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य में बाघों को शिफ्ट करने की योजना पिछले दो दशक चली आ रही है लेकिन अब दहाड़ सुनाई देने लगेगी । रामगढ़ अभयारण्य के जंगल को 1982 में वन्य जीव अभ्यारण का दर्जा दिया गया था । दर्जा मिलने तक इस जंगल में 14 बाघो व 90 बघेरो की उपस्थिति थी । अभयारण्य में 1985 से ही बाघों की संख्या में कमी आती गई । 1999 तक एक ही बाघ बचा था जो भी लुप्त हो जाने से अभयारण्य बाघ वहींन हो गया था। बागों से सुने पड़े अभयारण्य को प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाकर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी द्वारा रणथंभोर से 6 बाघो को रामगढ़ में शिफ्ट करने की अनुमति दे मिलने के बाद बीते दिन वापस लौट जाएंगे । 20 वर्ष पहले बाघों का कुनबा का सफाया होने के बाद रामगढ़ में कोई भी बाघिन युवराज को जन्म देने नहीं आ रही थी । दूसरे चरण से साम्राज्य की तलाश में कोई युवराज अपने पुरखों के घरों जंगलों में नहीं आ रहे थे ।

रणथंभोर से निकलकर बाग रामगढ़ विषधारी में अपने साम्राज्य की तलाश में आते हैं। 2007 में पिछले वर्ष तक तीन बाघ आए हैं और तीनों की मेहमान की तरह यहां वापस लौट गए । 2007 में बाघ युवराज तो वापस लौटते समय लाखेरी के पास मेज नदी की कंदराओं में शिकारियों के हत्थे चढ गया था । 5 वर्ष बाद बाघ टी 62 आया तो कुछ माह तक रामगढ़ में समय बिताकर वापस लौट गया। 2017 में फिर टी 91 लगभग 1 वर्ष तक अभयारण्य में रहा जिसके बाद अप्रैल माह में कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में सरकार द्वारा उसे शिफ्ट कर दिया गया ।

अरावली की पहाड़ियों के सघन क्षेत्र बाघों का जच्चा गर्भ होने से वन्य जीव की भरमार के कारण 307 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले रामगढ़ विषधारी को वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। अभयारण्य को बाघो का जच्चा घर का दर्जा प्रदान करने के लिए प्रकृति का योगदान रहा । रामगढ़ किले की पहाड़ियों की नीचे बनी लंबी सुरंग बनी कभी बाघो की मांदे है । जिनके पास जाने से काँपकँपी लोगों की छूट दी थी । माँदे बाघों का प्रसिद्ध स्थल भी हुआ करती थी । ऊंचे ऊंचे पर्वत सुरक्षा पर परकोटे की तरह खड़े होते हैं तो प्रकृति नें वन्यजीवो की प्यास बुझाने के लिए वहां पर मेज नदी दे रखी है जिस पर जगह-जगह एनीकट का निर्माण हो रहा है ।

वर्तमान में जल्द ही विभाग द्वारा यहां पर दो बाघो को शिफ्ट किया जा रहा है जिसके चलते फिर से बूंदी रामगढ़ अभयारण्य को चार चांद लगेंगे और प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बूंदी का रामगढ़ बन जाएगा जिसके चलते बूंदी के इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलने जा रहा है । साथ ही इस प्रयास के बाद बूंदी को काफी रोजगार भी मिलने जा रहे हैं । आपको बता दें कि पिछले दिनों राजस्थान की गहलोत सरकार ने बजट घोषणा में बूंदी के इस रामगढ़ अभयारण्य को एक कमेटी बनाकर बाघ के रिवीव करने के लिए घोषणा की थी । बाघ रिवीव करने की रिपोर्ट सरकार को एनटीसीए द्वारा भेजनी थी और रिपोर्ट में यह बताना था कि क्या यहां पर बाघ और अन्य जानवर विकसित हो सकते हैं या नहीं तो रिपोर्ट बूंदी के लिए पॉजिटिव रही और आखिरकार सरकार ने एनटीसीए के माध्यम से यह फैसला लिया कि बूंदी को टाइगर दिया जाए इस पर सरकार ने बूंदी के रामगढ़ अभयारण्य को चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा कर दी है और जल्द ही इसकी विकसित के लिए प्रयास किए जा रहे हैं

वन विभाग की सूत्रों की मानें तो अगले माह से बूंदी में रामगढ़ अभयारण्य के अंदर चलने के लिए ट्रैक का निर्माण शुरू हो जाएगा और बाघो शिफ्ट कर दिया जाएगा । सूत्रों ने यह भी बताया की अनुमति मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने कुछ जंगली जानवरों को अभयारण्य में छोड़ना भी शुरू कर दिया है ताकि एक बड़ी प्रजाति का कुनबा बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण में बन सके ।

बाईट - विट्ठल सनाढ्य , पीएफए प्रभारी
बाईट - गोपाल माहेश्वरी , पर्यावरण प्रेमी
बाईट - शब्बीर हुसैन , पर्यटन प्रेमी
बाईट - हरिमोहन शर्मा , पूर्व वित्त मंत्री
बाईट - मनोज प्रजापत , युवा
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