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Bogus Firms: बस कंडक्टर और मजदूर के नाम पर चला रखी थीं दो बोगस फर्म, रजिस्ट्रेशन किया रद्द

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Published : Jun 9, 2023, 4:19 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 4:54 PM IST

registration of bogus firms cancelled in Bharatpur
Bogus Firms: बस कंडक्टर और मजदूर के नाम पर चला रखी थीं दो बोगस फर्म, रजिस्ट्रेशन किया रद्द

भरतपुर के कामां में रजिस्टर्ड दो बोगस फर्मों को वाणिज्यिक कर विभाग की टीम ने पकड़ा है. इनके रजिस्ट्रेशन भी रद्द किए गए हैं.

भरतपुर. वाणिज्यिक कर विभाग ने जिले के मेवात क्षेत्र में संचालित दो बोगस फर्मों का भंडाफोड़ किया है. ये फर्म जिले के कामां कस्बा में एक स्कूल बस कंडक्टर और बिहार के मजदूर के नाम से संचालित हो रही थीं. विभाग ने जब मौके पर जाकर देखा, तो न कोई फर्म संचालित होती मिली और ना ही इनके संचालक मिले. कागजों में ही खरीद-फरोख्त कर वाणिज्यिक कर विभाग को करीब 99 लाख रुपए की चपत लगाने की तैयारी थी, जिसे विभाग के अधिकारियों की सजगता से नाकाम कर दिया. दोनों फर्मों का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया गया है.

वाणिज्यिक कर विभाग डीग के सहायक आयुक्त विद्यासागर शर्मा ने बताया कि हमें विभाग की इंटेलिजेंस शाखा से दो बोगस फर्म की सूचना मिली. फर्म के कागजात और पते के आधार पर टीम कामां पहुंची. कृष्णा एंटरप्राइजेज के नाम से रजिस्टर्ड फर्म के एक पते पर पहुंचे तो वहां एक मकान था, जिसमें कोई अन्य व्यक्ति निवास कर रहा था. जिसके नाम से फर्म रजिस्टर्ड थी उसको कॉल कर बुलाया गया, तो पता चला कि वो कोसी के एक निजी विद्यालय की बाल वाहिनी में कंडक्टर की नौकरी करता है. उसे पता ही नहीं था कि उसके नाम से कोई फर्म भी रजिस्टर्ड है.

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कागजों में खरीद-फरोख्तः फर्म का मई 2022 में जीएसटी नंबर लिया गया था और अगस्त-सितंबर 2022 में उत्तर प्रदेश और हरियाणा के व्यापारियों के नाम 84 लाख रुपए के बिटुमन के बिल बिल थे, जबकि भौतिक रूप से कामां में इनका कोई व्यापार नहीं मिला. सहायक आयुक्त विद्यासागर शर्मा ने बताया कि दूसरी फर्म भी कागजों में कृष्णा इंटरप्राइजेज के नाम से कामां में संचालित थी. मौके पर जाकर देखा, तो खाली भूखंड मिला. जिसके नाम से फर्म रजिस्टर्ड थी, वो बिहार में मजदूरी करता है. इस फर्म का भी कामां में भौतिक रूप से कोई व्यापार नहीं मिला.

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शर्मा ने बताया कि इस फर्म का मार्च 2023 में जीएसटी नंबर लिया गया था, जिसमें उन्होंने 9 लाख रुपए के बिटुमन के बिल हरियाणा और यूपी के व्यापारियों के नाम थे. शर्मा ने बताया कि दोनों फर्म विभाग को 99 लाख रुपए का राजस्व हानि करने की फिराक में थे. लेकिन समय रहते पता चलने पर दोनों फर्मों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है. इससे विभाग को 99 लाख रुपए की राजस्व हानि होने से बच गई.

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ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ाः सहायक आयुक्त शर्मा ने बताया कि कुछ लोग फर्जीवाड़ा कर किसी अन्य के आधार कार्ड, पैन कार्ड व अन्य दस्तावेजों के जरिए बोगस फर्म बनाकर जीएसटी नंबर ले लेते हैं. उसके माध्यम से हकीकत में माल की खरीद बिक्री करने के बजाय केवल कागजों में फर्जी तरीके से खरीद-फरोख्त दिखाते हैं. इससे वो आईटीसी अर्थात इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जीवाड़ा करते हैं. माल का आदान प्रदान करने की बजाय केवल बिल का धंधा करते हैं और आईटीसी लेकर टैक्स चोरी करके सरकार को चपत लगाते हैं.

Last Updated :Jun 9, 2023, 4:54 PM IST
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