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Power Cuts in Bharatpur: बिजली खपत 30 फीसदी बढ़ी, मंडरा रहा ब्लैकआउट का खतरा

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Published : Apr 26, 2022, 7:09 AM IST

Updated : Apr 26, 2022, 8:57 AM IST

Power Cuts in Rajasthan
जिले में मंडरा रहा ब्लैकआउट का खतरा

प्रदेश में कोयला संकट के बीच कई जिलों में बिजली कटौती शुरू हो गई है. ऐसे में भरतपुर जिले (Power Cuts in Bharatpur) में ब्लैकआउट होने की भी संभावना बन रही है. इसी कारण बिजली विभाग के आला अधिकारियों ने जिलावासियों से बिजली का दुरुपयोग नहीं करने की अपील की है.

भरतपुर. कोयले की कमी से लगातार बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. जिले में तेज गर्मी के कारण पिछले (Power Cuts in Bharatpur) साल की तुलना में इस साल बिजली की खपत 30% तक बढ़ गई है. जबकि जिले में मांग के अनुरूप बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है. ऐसे में कोयले की कमी, बिजली तंत्र में कम फ्रीक्वेंसी और तेज गर्मी के कारण उपलब्ध बिजली और मांग में अंतर लगातार बढ़ रहा है. अगर यही हालात रहे तो जिलावासियों को ब्लैकआउट जैसे संकट का भी सामना करना पड़ सकता है. बिजली विभाग के आला अधिकारियों ने जिलावासियों से बिजली का दुरुपयोग नहीं करने की अपील की है.

एक्सईएन विवेक शर्मा ने बताया की भरतपुर जिले के छोंकरवाड़ा, नदबई और भरतपुर को 220 केवी जीएसएस से बिजली दी जा रही है. इसके अलावा जिले में 132 केवी लाईनों से अलवर, करौली और धौलपुर जिलों से बिजली ली जाती है. अप्रैल 2021 में जिले की बिजली खपत 39.11 लाख यूनिट प्रतिदिन हुआ करती थी. ये खपत अप्रैल 2022 में बढ़कर 49.40 लाख यूनिट प्रतिदिन हो गई है. यानि क्षेत्र में बिजली खपत पिछले साल की तुलना में 25 से 30% तक बढ़ गई है. जिले में हर दिन औसतन 55 लाख यूनिट बिजली की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में 45 लाख यूनिट ही बिजली मिल पा रही है.

जिले में मंडरा रहा ब्लैकआउट का खतरा

आखिर क्यों गड़बड़ाता है बिजली तंत्र: एक्सईएन शर्मा ने बताया की तापमान बढ़ने पर उपभोक्ता (Increased Consumption of Electricity in Rajasthan) ज्यादा बिजली उपयोग करने लगते हैं. इस कारण ट्रांसफार्मर में तेल गर्म और अर्थिंग में पानी सूखने से समस्या पैदा होने लगती है. इसके अलावा लोड बढ़ने पर फीडर के तारों (कन्डक्टर) में अधिक बिजली बहने और क्षेत्र में अधिक तापमान के कारण तार टूटने की भी घटनाएं सामने आती हैं. जिस कारण बिजली तंत्र गड़बड़ाने लगता है. जेवीवीएनएल ने ऐसी समस्या से बचने के लिए सभी कार्मिकों की बैठक में विद्युत तंत्र पर लगातार नजर रखने और मेंटेनेंस करने को कहा. साथ ही जरूरत पड़ने पर तंत्र में सुधार करने के निर्देश दिए हैं.

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ग्रामीण क्षेत्रों में चोरी से 45% बर्बाद: जिले के ग्रामीण इलाकों में बिजली चोरी की घटनाओं के चलते 45 फीसदी तक बिजली बर्बाद हो जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली चोरी के लिए जंफर डालने और हटाने पर स्पार्किंग की वजह से कई बार फीडर पर ट्रिपिंग हो जाती है. जिससे ईमानदार उपभोक्‍ताओं को भी बिजली समस्या का सामना करना पड़ता है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र में ट्रांसफार्मर जलने की दर भी अधिक है. ट्रांसफार्मर जलने से डिस्कॉम को भी लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए निगम की ओर से लोगों को समय-समय पर बिजली चोरी न करने और विद्युत कनेक्शन लेने के लिए जागरूक किया जाता है.

10 साल पहले हुआ था ब्लैकआउट: देश में बिजली तंत्र और उपकरण 50 हर्टज फ्रीक्वेंसी पर कार्य करते हैं. बिजली उपलब्धता और लोड में अंतर बढ़ने पर फ्रीक्वेंसी गड़बड़ाने लगती है. जिसका सीधा असर बिजली जेनरेटरों और बिजली तंत्र पर पड़ता है. वर्तमान में लोड अधिक होने के कारण फ्रीक्वेंसी कम हो रही है. ब्लैक आउट से बचने के लिए लोड को कम कराना होता है जिस वजह से आपात स्थिति में बिजली कटौती करनी पड़ रही है. भारत में अंतिम ब्लैक आउट ग्रिड फेल होने के कारण जुलाई 2012 में हुआ था.

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क्या होगा यदि ब्लैकआउट हुआ: ब्लैक आउट का मतलब पूरे क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता शून्य हो जाती है. बिजली तंत्र में पावर भी शून्य होती है. ब्लैक आउट की स्थिति में आपात सेवा जैसे हॉस्पीटल, पेयजल आपूर्ती, रेल सेवा, बैंक सेवा, मिलिट्री इन्सटॉलेशन आदि के कार्य भी बिजली के कारण प्रभावित रहते हैं. बिजली तंत्र को दुबारा सामान्य स्थिति में लाने के लिए कई दिन तक लग जाते हैं. एक्सईएन विवेक शर्मा ने जिलेवासियों से बिजली का दुरुपयोग नहीं करने की अपील की है.

Last Updated :Apr 26, 2022, 8:57 AM IST
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