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चुनौतियों को मात देकर दंगल में बेटियां दिखा रही है दमखम,ओलंपिक में मेडल जीतने का है सपना

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 30, 2023, 8:34 PM IST

Updated : Nov 30, 2023, 10:14 PM IST

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कुश्ती में नाम रोशन कर रही बेटियां

भरतपुर में महिला दंगल में गुरुवार को बेटियों का दमखम देखने को मिला. ये बेटियां दादा की उंगली पकड़कर अखाड़े तक पहुंची हैं जो आखों में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने का ख्वाब संजोए हुई हैं. इस दंगल में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की 70 महिला पहलवान भाग लेने पहुंचीं हैं.

दंगल में बेटियां दिखा रही है दमखम

भरतपुर. जिले के कुम्हेर क्षेत्र के गांव हिंगोली की शीतल की उम्र महज 13 साल है और बीते 3 साल में स्टेट लेवल पर कुश्ती में दो गोल्ड मेडल और राष्ट्रीय स्तर पर ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी है. महारानी किशोरी भारत केसरी दंगल में भाग लेने आई शीतल ने बताया कि वो जब 9 साल की थी तो दादा जी के साथ दंगल देखने जाती थी, तभी दादा जी से पहलवानी करने की इच्छा जताई. उसके बाद पिता बहादुर सिंह ने अपनी बेटी को पहलवानी का प्रशिक्षण दिलाना शुरू किया.

महारानी किशोरी भारत केसरी दंगल के आयोजक यदुवीर सिंह ने बताया कि भरतपुर में आयोजित होने वाला है यह महिला दंगल उत्तर भारत का एकमात्र महिला दंगल है. भरतपुर में यह दंगल बीते 28 साल से आयोजित हो रहा है. दंगल में हर साल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान अपना दमखम दिखाती हैं. इस बार हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और भरतपुर जिले से करीब 70 महिला पहलवान भाग लेने पहुंची हैं. गुरुवार को भारत केसरी, राजस्थान केसरी और जिला केसरी के प्रारंभिक मुकाबले हुए है.शुक्रवार को दंगल के सेमी फाइनल और फाइनल मुकाबले होंगे.

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आंखों में गोल्ड मेडल का ख्वाब: छोटे छोटे गांवों की ये बेटियां आंखों में गोल्ड मेडल के ख्वाब लिए परिवार और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. शीतल के पिता बहादुर सिंह पेशे से किसान हैं. घर की आर्थिक हालात अच्छी नहीं फिर भी बेटी को हरियाणा के झज्जर में प्रशिक्षण दिला रहे हैं. बहादुर सिंह ने बताया कि बेटी का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है और मैं अपनी बेटी का सपना पूरा कराने में हर संभव मदद करूंगा.

हरियाणा भेजने को मजबूर: पहलवान शीतल के पिता बहादुर सिंह ने बताया कि भरतपुर जिले में और यहां तक की राजस्थान में कोई भी अच्छी कुश्ती अकादमी नहीं है जिसकी वजह से उन्हें अपनी बेटी शीतल को कुश्ती का ट्रेनिंग दिलाने के लिए हरियाणा के झज्जर भेजना पड़ा है. उन्होंने बताया कि यदि भरतपुर में कोई अच्छा कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र या अकादमी होती, तो उन्हें इतना खर्चा करके बेटी को हरियाणा नहीं रखना पड़ता.

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पिता पहलवान, तो दोनों बेटियां भी पहलवान: हरियाणा के झज्जर के गांव छारा निवासी वीरेंद्र उर्फ भूरिया पहलवान ने अपने समय में कुश्ती में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता था. भूरिया पहलवान झज्जर में ही अखाड़ा चलाने लगे. बचपन से ही घर में पहलवानी का माहौल था तो दोनों बेटियां अंजली और शिवानी भी अखाड़े में कूद पड़ीं. अंजली (20) और शिवानी(16) बीते 6 साल से दंगल का दांवपेच सीख रही है. दोनों बहनें अब तक स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल जीत चुकी हैं. अंजली राष्ट्रीय स्तर पर एक कांस्य पदक, राज्यस्तर पर तीन पदक जीत चुकी है, जबकि शिवानी राज्यस्तर पर एक कांस्य व एक रजत पदक जीत चुकी है. अंजली का कहना है कि ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना उनका सपना है.

Last Updated :Nov 30, 2023, 10:14 PM IST
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