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स्पेशल रिपोर्ट: 'केसरी' की चार बेटियां चारों बलवान, गीता-बबीता की राह पर चलना चाहती हैं सभी बहनें

भरतपुर शहर से दूर एक गांव में एक पिता अपनी चार बेटियों को कुश्ती के दांव पेच सिखाने में व्यस्त है. वहीं चारों बेटियां भी एक के बाद एक मेडल जीतकर सभी को हैरत में डाली हुई हैं.

wrestler family in bharatpur, भरतपुर में पहलवान फैमिली
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Published : Oct 24, 2019, 8:18 PM IST

भरतपुर. शहर से दूर गांव के एक खेत में बना मिट्टी का दंगल और उसमें जोर आजमाइश करती चार बहनें. पास में खड़ा पिता उनको कुश्ती के दांव पेच सिखाता रहता है. यह आमिर खान की दंगल मूवी का सीन नहीं है, बल्कि भरतपुर जिले के ऊंचा गांव स्थित केसरी और उसकी चार बेटियों की कहानी है.

ऊंचा गांव निवासी केसरी की चार बेटियां हैं और चारों ही बलवान हैं. ये न केवल कुश्ती लड़ती हैं, बल्कि जूडो, कबड्डी, क्रॉस कंट्री दौड़ और वेटलिफ्टिंग में भी बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं. पिता केसरी सिंह ने बताया कि एक बार वे दोनों बेटियों राखी और वसुधा को वे ऐसे ही कुश्ती लड़ा रहे थे. तब उन्होंने देखा कि दोनों बेटियों में अच्छा दमखम है.

यह है राजस्थान का 'फोगाट' परिवार

उसके बाद किसान पिता ने खेत में ही मिट्टी का दंगल तैयार कर दोनों की प्रैक्टिस शुरू करवा दी. वहीं साल 2013 में भरतपुर के आरडी गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने जाने लगी तो वहां के खेल अधिकारी निरंजन सिंह ने दोनों बालिकाओं की खेल में रूचि देखी. निरंजन सिंह ने बताया कि उस समय आरडी गर्ल्स की एक अच्छी पहलवान लड़की से जब राखी का मुकाबला करवाया तो राखी ने उस पहलवान को चित कर दिया. यह देखकर राखी और वसुधा दोनों की कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू करा दी.

पढ़ेंः दिवाली विशेष: आज भी यहां के कुम्हार 'मुद्रा विनिमय प्रणाली' के बदले अपनाते हैं 'वस्तु विनिमय प्रणाली'

दोनों बहनों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो व वेट लिफ्टिंग में कई मुकाबले जीती हैं. उसके बाद इनकी दोनों छोटी बहनें माधवी और तुलसी भी दंगल में उतर गईं. माधवी ने भी राज्य स्तर पर कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल किया. वहीं तुलसी नेशनल लेवल पर क्रॉस कंट्री और राज्य स्तर पर कुश्ती की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं.

सबसे बड़ी बहन राखी ने बताया कि यूं तो वो बहुत पहले से कुश्ती लड़ती है. लेकिन साल 2016 में आमिर खान की दंगल मूवी को देख, उनका कुश्ती का जुनून और बढ़ गया. राखी ने बताया कि वह भी दंगल मूवी की गीता और बबीता की तरह देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. लेकिन सुविधाओं और अच्छे प्रशिक्षण के अभाव में यह बहुत मुश्किल है.

पढ़ें: दिवाली विशेष: बांसवाड़ा में मिट्टी के दीयों पर मोल भाव की मार, चीन ले गया मझधार

सुविधाओं का अभाव

पिता केसरी सिंह ने बताया कि उनके पास खेती के अलावा कोई भी आमदनी का स्रोत नहीं है. ऐसे में वह अपनी बेटियों को बहुत ही कम सुविधाएं प्रदान कर पाते हैं. वहीं कम सुविधाओं में भी उनकी बेटियां बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. उनका मानना है कि उनकी बेटियों को यदि अच्छी सुविधाएं मिलें तो वह भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं.

चारों बहनों की उपलब्धियां

राष्ट्रीय स्तर पर वेटलिफ्टिंग में गोल्ड हासिल कर चुकी राखी ने राज्य स्तर पर भी कुश्ती, जूडो और वेट लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया है. साथ ही साल 2014 में भरतपुर में आयोजित हुई कुश्ती प्रतियोगिता में राखी, जिला केसरी का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं. राखी का फिलहाल शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) के लिए चयन भी हो चुका है, जिसकी पोस्टिंग अभी तक नहीं हुई है. वहीं बहनों में दूसरे नंबर की वसुधा भी राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो और कबड्डी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है. राज्य स्तर पर उक्त तीनों प्रतियोगिताओं में वसुधा ने गोल्ड मेडल हासिल किए हैं.

सबसे छोटी बहनें माधुरी और तुलसी भी अपनी बड़ी बहनों की तरह कुश्ती, जूडो, कबड्डी और क्रॉस कंट्री दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं. माधवी राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है. जबकि तुलसी राष्ट्रीय स्तर पर क्रॉस कंट्री दौड़ और कुश्ती में भाग ले चुकी है.

भरतपुर. शहर से दूर गांव के एक खेत में बना मिट्टी का दंगल और उसमें जोर आजमाइश करती चार बहनें. पास में खड़ा पिता उनको कुश्ती के दांव पेच सिखाता रहता है. यह आमिर खान की दंगल मूवी का सीन नहीं है, बल्कि भरतपुर जिले के ऊंचा गांव स्थित केसरी और उसकी चार बेटियों की कहानी है.

ऊंचा गांव निवासी केसरी की चार बेटियां हैं और चारों ही बलवान हैं. ये न केवल कुश्ती लड़ती हैं, बल्कि जूडो, कबड्डी, क्रॉस कंट्री दौड़ और वेटलिफ्टिंग में भी बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं. पिता केसरी सिंह ने बताया कि एक बार वे दोनों बेटियों राखी और वसुधा को वे ऐसे ही कुश्ती लड़ा रहे थे. तब उन्होंने देखा कि दोनों बेटियों में अच्छा दमखम है.

यह है राजस्थान का 'फोगाट' परिवार

उसके बाद किसान पिता ने खेत में ही मिट्टी का दंगल तैयार कर दोनों की प्रैक्टिस शुरू करवा दी. वहीं साल 2013 में भरतपुर के आरडी गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने जाने लगी तो वहां के खेल अधिकारी निरंजन सिंह ने दोनों बालिकाओं की खेल में रूचि देखी. निरंजन सिंह ने बताया कि उस समय आरडी गर्ल्स की एक अच्छी पहलवान लड़की से जब राखी का मुकाबला करवाया तो राखी ने उस पहलवान को चित कर दिया. यह देखकर राखी और वसुधा दोनों की कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू करा दी.

पढ़ेंः दिवाली विशेष: आज भी यहां के कुम्हार 'मुद्रा विनिमय प्रणाली' के बदले अपनाते हैं 'वस्तु विनिमय प्रणाली'

दोनों बहनों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो व वेट लिफ्टिंग में कई मुकाबले जीती हैं. उसके बाद इनकी दोनों छोटी बहनें माधवी और तुलसी भी दंगल में उतर गईं. माधवी ने भी राज्य स्तर पर कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल किया. वहीं तुलसी नेशनल लेवल पर क्रॉस कंट्री और राज्य स्तर पर कुश्ती की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं.

सबसे बड़ी बहन राखी ने बताया कि यूं तो वो बहुत पहले से कुश्ती लड़ती है. लेकिन साल 2016 में आमिर खान की दंगल मूवी को देख, उनका कुश्ती का जुनून और बढ़ गया. राखी ने बताया कि वह भी दंगल मूवी की गीता और बबीता की तरह देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. लेकिन सुविधाओं और अच्छे प्रशिक्षण के अभाव में यह बहुत मुश्किल है.

पढ़ें: दिवाली विशेष: बांसवाड़ा में मिट्टी के दीयों पर मोल भाव की मार, चीन ले गया मझधार

सुविधाओं का अभाव

पिता केसरी सिंह ने बताया कि उनके पास खेती के अलावा कोई भी आमदनी का स्रोत नहीं है. ऐसे में वह अपनी बेटियों को बहुत ही कम सुविधाएं प्रदान कर पाते हैं. वहीं कम सुविधाओं में भी उनकी बेटियां बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. उनका मानना है कि उनकी बेटियों को यदि अच्छी सुविधाएं मिलें तो वह भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं.

चारों बहनों की उपलब्धियां

राष्ट्रीय स्तर पर वेटलिफ्टिंग में गोल्ड हासिल कर चुकी राखी ने राज्य स्तर पर भी कुश्ती, जूडो और वेट लिफ्टिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया है. साथ ही साल 2014 में भरतपुर में आयोजित हुई कुश्ती प्रतियोगिता में राखी, जिला केसरी का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं. राखी का फिलहाल शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) के लिए चयन भी हो चुका है, जिसकी पोस्टिंग अभी तक नहीं हुई है. वहीं बहनों में दूसरे नंबर की वसुधा भी राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो और कबड्डी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है. राज्य स्तर पर उक्त तीनों प्रतियोगिताओं में वसुधा ने गोल्ड मेडल हासिल किए हैं.

सबसे छोटी बहनें माधुरी और तुलसी भी अपनी बड़ी बहनों की तरह कुश्ती, जूडो, कबड्डी और क्रॉस कंट्री दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं. माधवी राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है. जबकि तुलसी राष्ट्रीय स्तर पर क्रॉस कंट्री दौड़ और कुश्ती में भाग ले चुकी है.

Intro:स्पेशल स्टोरी-
भरतपुर.
शहर से दूर गांव के एक खेत में बना मिट्टी का दंगल और उसमें जोर आजमाइश करती चार बहनें। पास में खड़ा पिता उनको कुश्ती के दांव पेच सिखाता रहता है। यह आमिर खान की दंगल मूवी का सीन नहीं है बल्कि भरतपुर जिले के ऊंचा गांव केसरी और उसकी चार बेटियों की कहानी है। ऊंचा गांव निवासी केसरी की चार बेटियां हैं और चारों ही बलवान हैं। ये ना केवल कुश्ती लड़ती हैं बल्कि जूडो, कबड्डी, क्रॉस कंट्री दौड़ और वेटलिफ्टिंग में भी बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं।Body:यूं उतरी दंगल में
पिता केसरी सिंह ने बताया कि एक बार दोनों बड़ी बेटी राखी व वसुधा को वो ऐसे ही कुश्ती लड़ा रहे थे। उन्होंने देखा कि दोनों बेटियों में अच्छा दमखम है। तो उन्होंने खेत में ही मिट्टी का दंगल तैयार कर दोनों की प्रैक्टिस शुरू करा दी। उसके बाद दोनों बेटियां जब वर्ष 2013 में भरतपुर के आरडी गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने जाने लगी तो वहां के खेल अधिकारी निरंजन सिंह ने दोनों बालिकाओं की खेल में रुचि देखी। निरंजन सिंह ने बताया कि उस समय आरडी गर्ल्स की एक अच्छी पहलवान लड़की से जब राखी का मुकाबला कराया तो राखी ने उस पहलवान को चित कर दिया। यह देखकर राखी और वसुधा दोनों की कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू करा दी। उसके बाद दोनों बहने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो व वेटलिफ्टिंग में कई मुकाबले जीते। उसके बाद इनकी दोनों छोटी बहनें माधवी व तुलसी भी दंगल में उतर गई और माधवी नहीं राज्य स्तर पर कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल किया वही तुलसी नेशनल लेवल पर क्रॉस कंट्री व राज्य स्तर पर कुश्ती की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है।

सुविधाओं का अभाव
पिता केसरी सिंह ने बताया कि उनके पास खेती के अलावा कोई भी आमदनी का स्रोत नहीं है। ऐसे में वह अपनी बेटियों को बहुत ही कम सुविधाएं प्रदान कर पाते हैं। कम सुविधाओं में भी उनकी बेटियां बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। उनका मानना है कि उनकी बेटियों को यदि अच्छी सुविधाएं मिलें तो वह भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं।
केसरी सिंह ने बताया कि उनका एक बेटा भी है जो कि सबसे छोटा है लेकिन वो बेटा से बढ़कर अपनी चारों बेटियों को मानते हैं।

चारों बहनों की उपलब्धियां
राखी - चारों बहनों में सबसे बड़ी राखी अब तक राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, कबड्डी, वेटलिफ्टिंग और जूडो खेल चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर वेटलिफ्टिंग में गोल्ड जीत चुकी राखिने राज्य स्तर पर भी कुश्ती, जूडो व वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया है। साथ ही वर्ष 2014 में भरतपुर में आयोजित हुई कुश्ती प्रतियोगिता में राखी जिला केसरी का खिताब भी हासिल कर चुकी है। राखी का फिलहाल शारीरिक शिक्षक (पी टी आई) के लिए चयन भी हो चुका है।

वसुधा - दूसरे नंबर की वसुधा भी राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती, जूडो व कबड्डी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है। राज्य स्तर पर उक्त तीनों प्रतियोगिताओं में वसुधा ने गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।

माधवी और तुलसी - सबसे छोटी बहन है माधुरी और तुलसी भी अपनी बड़ी बहनों की तरह कुश्ती, जूडो, कबड्डी और क्रॉस कंट्री दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं। माधवी राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी है जबकि तुलसी राष्ट्रीय स्तर पर क्रॉस कंट्री दौड़ और कुश्ती में भाग ले चुकी है।Conclusion:देश का नाम रोशन करना चाहती हैं
सबसे बड़ी राखी ने बताया कि यूं तो वो बहुत पहले से कुश्ती लड़ती है लेकिन वर्ष 2016 में आमिर खान की दंगल मूवी को देख करके उनका कुश्ती का जुनून और बढ़ गया। राखी ने बताया कि वह भी दंगल मूवी की गीता और बबीता की तरह देश का नाम रोशन करना चाहती है। लेकिन सुविधाओं और अच्छे प्रशिक्षण के अभाव में यह बहुत मुश्किल है।

बाइट 1 - निरंजन सिंह, खेल अधिकारी व कोच, ( डार्क चेक शर्ट)
बाइट 2 - केसरी सिंह, पिता ( लाइट रंग की शर्ट )

बाइट 3 - राखी, सबसे बड़ी बहन


सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर
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