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हिंदुओं की आस्था का केंद्र पुष्कर सरोवर झेल रहा उदासीनता का दंश...मरी मछलियों के निस्तारण पर भी प्रशासन गंभीर नहीं

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Published : Jan 28, 2022, 3:48 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 11:04 PM IST

Pushkar Sarovar
Pushkar Sarovar

आस्था के प्रमुख केंद्रों में शामिल पुष्कर का सरोवर प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रहा है. जिस पुष्कर में लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं, उसका पानी इतना दूषित हो गया है कि मछलियां दम तोड़ रही हैं (fishes found dead in Pushkar Sarovar). पुष्कर सरोवर की दुर्दशा को लेकर पुरोहितों और स्थानीय संगठनों में रोष है.

पुष्कर (अजमेर). भारत के करोड़ों लोगों की आस्था के तमाम प्रमुख केंद्रों में से एक स्थान पुष्कर का भी है. पुष्कर ही एक मात्र ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां 'ब्रह्माजी' का मंदिर है. मंदिर के पास स्थित पुष्कर सरोवर में स्नान और यहां के मंदिरों के दर्शन का विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है. हर साल यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाले मेले के दौरान लाखों लोग यहां आकर स्नान करते हुए खुशहाली की कामना करते हैं. लेकिन वर्तमान में हिंदू आस्थाओं के सबसे प्राचीन तीर्थ पुष्कर इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक मौन का दंश झेल रहा है.

सरोवर के बेहतर संरक्षण और सौंदर्यकरण को लेकर हर स्तर पर दावे तो तमाम किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ये दावे उतर नहीं सके. पुष्कर सरोवर की दुर्दशा को लेकर यहां के तीर्थ पुरोहित और सामाजिक संगठन के लोग कई बार नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन पुष्कर की नगर पालिका और प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. लापरवाही किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरोवर कि ऊपरी सतह पर बहकर किनारे पर आई मृत मछलियों के निस्तारण को लेकर भी स्थानीय प्रशासन गंभीर नहीं है (Pushkar Sarovar Water is Polluted).

पुष्कर सरोवर झेल रहा उदासीनता का दंश...

जलदाय विभाग ने खबरें प्रसारित होने के बाद 1 हफ्ते के बाद सरोवर के लिए जलापूर्ति शुरू की है लेकिन मछलियां के मरने का सिलसिला जारी है. प्राचीन तीर्थ पुष्कर इन दिनों प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक मौन के दंश झेल रहा है. तीर्थ पुरोहित और सामाजिक संगठन कई बार प्रशासनिक स्तर पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं पर तमाम आश्वासनों के बाद भी हालात बदतर बने हुए हैं. दूसरी ओर नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन घोर लापरवाही दिखा रहा है. सरोवर के ऊपरी सतह पर बहकर किनारे पर आई मृत मछलियों के निस्तारण को लेकर भी स्थानीय प्रशासन गंभीर नहीं है. मृत मछलियां सरोवर के किनारे दुर्गंध का कारण बन रही है पर प्रशसान ने मछलियों को वहां से हटाने का कोई कदम नहीं उठाया है.

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पुरोहितों में भारी नाराजगी

इसको लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों में नाराजगी है. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि पुष्कर सरोवर हिंदू आस्थाओं का एक मुख्य केंद्र है. ऐसे में तीर्थ के प्रति ऐसी संवेदनहीनता आखिर क्यों बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर सरोवर में तीर्थ यात्री खाद्य सामग्री डालते हैं. जिससे जल प्रदूषित होता है. इसको लेकर भी स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. पुरोहितों ने फिर एक बार मांग की है कि स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस सरोवर के संरक्षण की ओर ध्यान दे.

शिवसेना ने दी धरने की चेतावनी

दूसरी ओर प्रशासनिक उदासीनता के चलते स्थानीय धार्मिक और राजनीतिक संगठन आंदोलन की राह पर हैं (Ajmer Shiv Sena warns of dharna) . शिवसेना अजमेर ने जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत देकर पुष्कर सरोवर की सुध लेने की अपील की गई थी पर 7 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने सरोवर की सुध नहीं ली है. इसको लेकर शिवसेना अब आंदोलन की रणनीति बना रही है. स्थानीय शिवसैनिक श्याम सुंदर पाराशर ने बताया कि यदि प्रशासन वांछित कदम नहीं उठाता है तो जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया जाएगा. उन्होंने राज्य सरकार से पुष्कर सरोवर के संरक्षण के लिए अतिरिक्त बजट आवंटन की मांग भी की है.

Last Updated :Jan 28, 2022, 11:04 PM IST
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