उदयपुर. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पन्नाधाय प्रतिमा अनावरण के दौरान कहे गए विवादित शब्द को लेकर अब लिखित माफी मांगी है. दरअसल कटारिया ने पन्नाधाय प्रतिमा अनावरण के दौरान अपने संबोधन में एक विवादित टिप्पणी की थी. जिसके बाद वाल्मीकि समाज और बारी समाज के लोगों ने कटारिया के बयान पर विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया था. गुरुवार को कटारिया ने एक पत्र लिखकर पूरे मामले में सफाई देते हुए वाल्मीकि समाज से माफी मांगी (Kataria apology for controversial remark) है.
कटारिया अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चाओं में बने रहते हैं. कटारिया की ओर से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि पन्नाधाय उदय सिंह एवं चंदन की मूर्ति के लोकार्पण कार्यक्रम के समय पन्नाधाय एवं चंदन के बलिदान को तो हर व्यक्ति जानता है, लेकिन उसके साथ मैंने अपने संबोधन में कीरत काका जो उदयसिंह को टोकरी में रखकर झूठे पत्तल में डालकर उन्हें सुरक्षित महल से बाहर ले जाने का कार्य किए थे. उसे भी मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास के रूप में जाना जाता है.
कटारिया ने कहा कि मैंने जो शब्द कीरत काका को वर्णन करते समय प्रयोग किया, वह मेवाड़ में गाए जाने वाली कवि निरंजन मासूम की कविता ’पन्ना का बलिदान’ से लिया गया है. उस कविता का अभी तक कहीं भी विरोध नहीं होने के कारण उन्होंने कीरत काका के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया वह वाल्मीकि समाज के संपूर्ण जनमानस को उद्वेलित करने वाले हैं. कटारिया ने कहा कि मेरी ओर से कीरत काका के साथ प्रयोग किए गए शब्द से समाज जनों को पीड़ा पहुंची है, उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं. आपको बता दें कि इससे पहले कटारिया ने बारी समाज के लोगों से भी माफी मांगी थी.
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पूरा मामलाः पन्नाधाय के त्याग और बलिदान के बारे में बात करते हुए अचानक कटारिया की जुबान फिसल गई और उन्होंने पत्तल जाति सूचक शब्द का प्रयोग कर दिया. उन्होंने कहा कि किस तरह से पन्नाधाय ने उदय सिंह को सुरक्षित रखने के लिए अपने बच्चे की आहुति दी. वह उदय सिंह को बचाने के लिए पन्नाधाय ने पत्तल की टोकरी में सुरक्षित ले जाने वाले कीरत काका के बारे में बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने जाति सूचक शब्द का प्रयोग किया था. इसके बाद से कटारिया का विरोध शुरू हो गया था.