कोटा. शहर में करीब 3000 करोड़ रुपये से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं. इसके चलते रास्ते डायवर्टेड हैं और कुन्हाड़ी महाराणा प्रताप सर्किल के नजदीक मार्ग डायवर्ट होने के चलते ही भटकते हुए ही रविवार को दूल्हे की कार चंबल नदी की रियासत कालीन पुलिया की रपट से होकर गुजरी और चंबल नदी में गिर गई. इसमें सवार दूल्हे समेत 9 जनों की मौत हो गई थी. इसको लेकर शहरवासियों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि स्मार्ट सिटी और नगर विकास न्यास की तरफ से कोटा शहर में करवाए जा रहे सुस्त गति से चल रहे कार्यों के चलते ही यह हादसा हुआ है.
ईटीवी भारत में आज कोटा शहर में करीब 40 किलोमीटर लंबे मार्ग पर जाकर जायजा लिया और सड़कों के हालात जाने. यह देखा कि लोगों को इन रास्तों से होकर गुजरने में किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रियल्टी चेक में पता चला कि अधिकांश डायवर्टेड रूट खस्ताहाल हैं जहां से गुजरने में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई जगह तो सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं जहां से भारी वाहन भी निकलते हैं. ऐसे में थोड़ी सी चूक हो जाए तो वाहन पलट कर गड्ढे में गिर सकते हैं.
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प्रशासन ने ही रूट डायवर्ट किया है रियासत कालीन पुलिया पर
जिला कलेक्टर हरिमोहन मीणा से लेकर यूआईटी के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन का कहना था कि चंबल की रियासत कालीन पुलिया की जगह दूल्हे की कार को ऊपर से जाना चाहिए था. जहां से बारात में शामिल दूसरी बस गई थी, लेकिन हादसे के 1 दिन बाद की बात की जाए तो पूरा ट्रैफिक चंबल की रियासत कालीन पुलिया से ही गुजर रहा है. इनमें रोडवेज की बसों से लेकर निजी बसें और निजी वाहन भी शामिल हैं. यहां तो कमोबेश जाम जैसे हालात ही दिन में रहते हैं. क्योंकि इस पुलिया पर हजारों की संख्या में वाहन गुजर रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि खुद नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने ही रियासत कालीन पुलिया पर पूरे ट्रैफिक को डायवर्ट किया हुआ है. कारण भी साफ है कि चंबल के दो उच्च स्तरीय पुल में से एक को बंद किया हुआ है.
10 किलोमीटर के रास्ते में 500 मीटर भी ठीक नहीं
ईटीवी भारत ने एग्जॉटिका रिसोर्ट के नजदीक से बारां रोड पर अर्जुनपुरा जाने वाले रास्ते के नजदीक तक का जायजा लिया. करीब 10 किलोमीटर लंबा पूरा मार्ग ही डायवर्ट है. इसमें अधिकांश जगह केवल एक लेन से ही आने जाने का ट्राफिक निकाला जा रहा है. चंबल नदी की पुलिया के अलावा बोरखेड़ा इलाके में नहर से भी संकरे रास्ते से आने जाने का यातायात निकल रहा है. यहां से ही निर्माण में लगे हुए डंपर निकलते हैं. ऐसे में एक डंपर के निकल जाने पर यहां से गुजर रहे लोगों का आधा घंटा खराब हो जाता है. ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बन जाती है. साथ ही रास्ते भी पूरी तरह से उबड़ खाबड़ हैं.
एग्जॉटिका गार्डन से महाराणा प्रताप सर्किल तक फ्लाईओवर निर्माण के चलते संकरे रास्ते से निकाला जा रहा है. इसके बाद रास्ते चंबल की रियासत कालीन और पुरानी पुलिया पर डायवर्ट किया है. विवेकानंद सर्किल का निर्माण के चलते भारी ट्रैफिक जाम रहता है. बाद में घंटाघर से लेकर बोरखेड़ा नहर तक एक लेन पर ट्रैफिक चल रहा है, उसके बाद रास्ता पूरी तरह से बंद है. यहां फिर डायवर्जन कर नहर के पैरेलल निकाला जा रहा है. बोरखेड़ा थाने के सामने से नई सड़क का निर्माण किया जा रहा है. सड़क की एक लेन को पूरी तरह से खोद दिया गया है. इसके बाद बात की जाए कोटा में झालावाड़ रोड की तो वहां भी इस तरह की हालात नजर आते हैं. इस रोड पर अंडरपास और फ्लाईओवर निर्माण के चलते ट्रैफिक को डायवर्ट किया हुआ है.
कब कहां कर दे डायवर्ट कोई जानकारी नहीं देता
शहर में निर्माण करवा रही एजेंसी में नगर विकास न्यास, स्मार्ट सिटी लिमिटेड, राजस्थान अर्बन इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, नगर निगम व सार्वजनिक निर्माण विभाग शामिल है. करीब 3000 करोड़ के काम हो रहे हैं. किस समय कौन से रास्ते को डायवर्ट कर दिया जाए. इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी जाती है, जिस तरह से आज कोटडी चौराहे को खोद दिया गया है. ऐसे में आने वाले एक-दो दिनों में यहां भी डायवर्जन हो जाएगा. दूसरी तरफ खस्ताहाल रास्तों के चलते वाहन भी खराब हो रहे हैं. लगातार उन में गड़बड़ियों की शिकायत भी वाहन स्वामियों को आ रही है. लोगों का कहना है कि गाड़ियों के कलपुर्जे कुछ ही दिनों में गड़बड़ा जाते हैं और बार-बार उन्हें ठीक करवाना मजबूरी हो गया है. इसमें अतिरिक्त खर्चा भी हो रहा है.
चंबल की रियासत कालीन पुलिया पर भी नहीं वन-वे
चंबल की रियासत कालीन पुलिया पर जिस पर हादसा हुआ था. उस पर भी वनवे की व्यवस्था नहीं है. दोनों तरफ से आवागमन जारी है. इसके चलते पुलिया पर कई बार तो जगह नहीं मिलती है. क्योंकि रिवरफ्रंट निर्माण के चलते बड़े-बड़े डंपर और मशीन भी यहां से ही गुजर रही है. ऐसे में कार चालक या फिर आमने सामने से दो बसें आ जाने पर स्थिति विकट हो जाती है. जाम जैसे हालात भी बन जाते हैं. मोटरसाइकिल चालक भी यहां से गुजरते हैं. ऐसे में अगर कोई वाहन अनियंत्रित होता है तो सीधे चंबल नदी में ही जाकर गिरेगा. हालांकि अधिकांश जगह पर चंबल नदी में गहराई ज्यादा नहीं है, लेकिन जिस जगह पर कल दूल्हे वाली कार गिरी थी वहां करीब 20 फीट नीचे चट्टान है. ऐसे में वहां पर गहरा पानी भरा रहता है.
डायवर्टेड रास्तों की भी संकेतक नहीं, रास्ते भी उबड़ खाबड़
विकास कार्यों की निर्माण एजेंसियों ने जिन भी रास्तों को डायवर्ट किया गया है, वहां पर ठीक तरह से संकेतक नहीं लगाए गए हैं. ऐसे में वाहन चालकों को यह नजर नहीं आते और वे गलत रास्तों पर भी चले जाते हैं. यहां तक कि जिन रूटों को डायवर्ट किया गया है उनपर पूरी सुविधा वाहन चालकों को उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी निर्माण एजेंसियों की होती है, लेकिन ऐसा कोटा शहर में होता नजर नहीं आ रहा है. इस पर यूआईटी, स्मार्ट सिटी, जिला प्रशासन, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और आरयूआईडीपी के अधिकारी बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.