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Special: कोरोना ने रोक दी युवाओं के कौशल विकास की राह, 30 फीसदी ही ट्रेनिंग ले पाएं स्टूडेंट

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Published : Jul 28, 2021, 12:07 PM IST

युवाओं के विकास पर ब्रेक, brake on youth development
युवाओं के विकास पर ब्रेक

कोरोना महामारी से हर वर्ग प्रभावित हुआ है. युवा भी इससे अछुता नहीं हैं. इस महामारी की वजह से केंद्र और राज्य सरकार की कई कौशल विकास योजनाओं (Skill development scheme) की ट्रेनिंग प्रभावित हुई है. आंकड़ों की बात की जाए तो इस साल महज 30 फीसदी ही कौशल विकास का काम हो पाया है.

कोटा. कोविड-19 (COVID-19) ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. इसकी वजह से युवाओं का कौशल विकास भी रुक गया है. केंद्र और राज्य सरकार की कई कौशल विकास (Skill development) योजनाओं की ट्रेनिंग प्रभावित हुई है. इसके चलते जिन लोगों को ट्रेनिंग का फायदा मिलता और उनका प्लेसमेंट होता है, वह भी कम हो गया है.

आंकड़ों की बात की जाए तो महज 30 फीसदी ही कौशल विकास का काम हो पाया है. हर साल जहां पर करीब 5 हजार के आसपास बच्चे कोटा में राज्य सरकार की राजस्थान स्किल लाइवलीहुड डेवलपमेंट कारपोरेशन की तरफ से संचालित की जा रही कौशल विकास की योजनाओं से लाभान्वित हो रहे थे. इन बच्चों में से करीब 70 फीसदी बच्चों का प्लेसमेंट भी हो रहा था, ऐसे में इस बार बच्चों की ट्रेनिंग कम होने से प्लेसमेंट भी कम हुआ है.

युवाओं के विकास पर ब्रेक

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बीते 15 महीने की बात की जाए तो 1200 के आसपास बच्चे रजिस्टर्ड हुए हैं. जिनमें से 900 के आसपास के बच्चों की ट्रेनिंग पूरी हो पाई है. बचे हुए बच्चों की ट्रेनिंग हो रही है. जबकि वर्ष 2018-19 में वित्तीय वर्ष में 4500 से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दी गई थी. इनमें से 70 फीसदी का प्लेसमेंट भी हुआ था. वर्ष 2018-19 में 3000 से ज्यादा स्किल ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं को रोजगार भी मिला था, जबकि बीते साल यह आंकड़ा केवल 700 पर ही अटक गया.

9 महीने बंद रहे हैं सेंटर, आधे बैच छूट गए

बीते 15 महीने में 9 महीने सारे सेंटर बंद रहे हैं. वर्ष 2020 में 15 मार्च के बाद इन सेंटरों को बंद कर दिया गया था, जो कि सितंबर महीने में खोले गए थे, जिसके बाद अप्रैल महीने में इन्हें बंद कर दिया गया, जो कि 15 जुलाई से संचालित किए गए हैं. ऐसे में कई बैच कोविड-19 के आ जाने के चलते आधे अधूरे ही छूट गए थे. उन बैच को पूरा कोर्स करवाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.

युवाओं के विकास पर ब्रेक, brake on youth development
जानिए कुछ फैक्टस

बच्चों को बुलाना हो रही टेढ़ी की खीर

सेंटर संचालकों के सामने भी खासी समस्या आ रही है. जिन बच्चों की ट्रेनिंग आधी छूट गई थी, अब उन्हें वापस बुलाना भी परेशानी का सबब हो रहा है. बच्चों के परिजन अब उन्हें भेजना नहीं चाह रहे हैं और कुछ बच्चे खुद भी नहीं आ रहे हैं. ऐसे में सेंटर संचालकों के लिए इन बच्चों को वापस लाकर ट्रेंनिग पूरी करवाना टेढ़ी खीर हो गया है.

बूंदी रोड पर स्किल ट्रेनिंग के रेजिडेंशियल सेंटर के मैनेजर आशीष अजमेरा का कहना है कि उनके यहां पर दो कोर्स संचालित हो रहे हैं, जिनमें हॉस्पिटल में जनरल ड्यूटी असिस्टेंट और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन के कोर्स है, लेकिन कुछ बच्चों की ट्रेनिंग बीते लॉक डाउन की वजह से छूट गई थी. अब उन्हें मशक्कत करके बुला रहे हैं, 2 दिन से सेंटर शुरू हुआ है. लगातार बच्चों को बुलाने का क्रम जारी है, धीरे-धीरे ही बच्चे आ पाएंगे.

ट्रेनिंग पूरी करवाने के लिए कर रहे हैं कोशिश

कोटा में संचालित हो रहे कोर्सेज में 210 से लेकर 500 घंटों में ट्रेनिंग को पूरा करना होता है. इनमें दो से लेकर 5 घंटे तक रोज ट्रेनिंग दी जा रही थी. जिसके अनुसार यह कोर्स 2 से लेकर 3 महीने में पूरे करने थे, लेकिन कोविड-19 आ जाने के चलते कई स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग बीच में अटक गई.

जिले में कौशल विकास का काम देखने वाले मनीष डगारिया का कहना है कि कोविड-19 के चलते ट्रेंनिग प्रभावित हो गई है, लेकिन रुकी नहीं है. बीते सालों की अपेक्षा में कम युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, लेकिन रेगुलर डिस्ट्रिक्ट में 1350 से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दी गई है, इनमें से 1000 प्रशिक्षित हुए है. जिले के 18 सेंटरों में से 8 सेंटर खुल गए है, राज्य सरकार ने सभी को खोलने की अनुमति दी है, ऐसे में बचे हुए सेंटर भी जल्दी ही खोले जाएंगे.

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फैक्ट्री बंद होने से प्लेसमेंट की भी समस्या

कोविड-19 के चलते सभी व्यापार प्रभावित हुआ है. ऐसे में कई फैक्ट्रियां कोविड-19 के चलते बंद हो गई थी. जिनको अब दोबारा शुरू किया जा रहा है, लेकिन बाजार में अभी मंदी जैसा ही माहौल चल रहा है. जिसके चलते फैक्ट्रियों में उत्पादन भी कम हो रहा है. जिसके कारण कौशल विकास की ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं को प्लेसमेंट करवाने में भी दिक्कत आ रही है. इसके अलावा कोविड-19 के चलते भी कुछ बच्चों के जो प्लेसमेंट हो रहे हैं, लेकिन उनके परिजन भी भेजना नहीं चाह रहे हैं.

18 सेंटर पर 15 कोर्स की दी जा रही ट्रेनिंग

प्रदेश में स्किल डेवलपमेंट की एंप्लॉयमेंट लिंक स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम (ईएलएसटीपी), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू) और रेगुलर स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम (आरएसटीपी) योजना संचालित हो रही है. वर्तमान में 18 सेंटर इसके स्वीकृत हैं. इन सेंटर पर 15 कोर्स की ट्रेनिंग दी जा रही है. जिनमें रिटेल सेल, योगा नेचुरोपैथी, टेलर, ब्राइडल मेकअप, इलेक्ट्रिशियन, जनरल ड्यूटी असिस्टेंट, हॉस्पिटल इमरजेंसी, मेडिकल टेक्नीशियन, ऑटोमोबाइल सर्विस, बिजनेस कॉरस्पॉडेंट, सोलर पैनल इंस्टॉलेशन टेक्निशियन, कस्टमर केयर रिलेशनशिप और होम अप्लायंस टेक्नीशियन के कोर्स शामिल है.

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