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Rajasthan High Court: आयुर्विज्ञान संस्था ने तथ्य छुपाकर पेश की याचिका, कोर्ट ने लगाया 10 लाख का जुर्माना

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Published : May 24, 2022, 11:10 PM IST

Rajasthan High Court dismissed PIL
आयुर्विज्ञान संस्था ने तथ्य छुपाकर पेश की याचिका, कोर्ट ने लगाया 10 लाख का जुर्माना

राजस्थान हाईकोर्ट ने धनवन्तरी आयुर्विज्ञान संस्थान की याचिका को खारिज करते हुए संस्था पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया (Rajasthan High Court dismissed PIL) है. आयुर्विज्ञान संस्थान की ओर से जयपुर पीठ के समक्ष याचिका लम्बित रहते राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में उन्हीं तथ्यों को लेकर याचिका पेश किये जाने पर वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई ने कहा कि संस्था का यह कृत्य अत्यधिक निंदनीय व आपत्तिजनक है.

जोधपुर. आयुर्विज्ञान संस्थान की ओर से जयपुर पीठ के समक्ष याचिका लम्बित रहते राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में उन्हीं तथ्यों को लेकर याचिका पेश किये जाने पर वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई ने कहा कि संस्था का यह कृत्य अत्यधिक निंदनीय व आपत्तिजनक है और किसी भी स्थिति में माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने याचिका को खारिज करते हुए संस्था पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया (Rajasthan High Court dismissed PIL) है. जिसे एक माह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष जमा करवाने के लिए कहा गया है.

धनवन्तरी आयुर्विज्ञान संस्थान की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के समक्ष एक याचिका पेश करते हुए उनके खिलाफ जारी नोटिस को स्टे करने एवं बीएससी एन पाठ्यक्रम में वर्ष 2021-22 की काउंसलिंग में संस्थान को शामिल करने की गुहार की. प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विरेन्द्र लोढा, उनके सहयोगी, इसके अलावा अधिवक्ता अभिनव जैन, यशपाल खिलेरी ने प्रतिवादियों की ओर से पक्ष रखते हुए बताया कि इसी प्रार्थना को लेकर संस्थान ने जयपुर पीठ के समक्ष पूर्व में ही याचिका पेश की थी जिसे 26 अप्रैल, 2022 को वापस लेने के आधार पर खारिज कर दिया गया था.

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जबकि अगले ही दिन 27 अप्रैल, 2022 को जोधपुर मुख्यपीठ में अधिंकाश उसी प्रार्थना के साथ वापस याचिका पेश कर दी. यह तथ्य सामने आने पर जस्टिस विश्नोई ने संस्थान के प्रति नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य छुपाया गया है. याचिकाकर्ता को लगता है कि कहीं उसे अनुकूल आदेश न मिल जाएं. इसीलिए जोधपुर मुख्यपीठ में भी याचिका पेश कर दी. उन्होंने कहा कि आजकल हाईकोर्ट बैंच इस प्रथा का शिकार होने लगी है. शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है.

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हाईकोर्ट ने की निंदा: हाईकोर्ट ने संस्था की निंदा करते हुए कहा कि संस्था अत्यंत निंदनीय है और तिरस्कारपूर्ण भी. संस्थान ने प्रासंगिक तथ्य को छुपाया और कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया है. जस्टिस विश्नोई ने कहा कि मेरी राय यह है कि याचिकाकर्ता संस्था का आचरण अत्यधिक निंदनीय व आपत्तिजनक है और किसी भी स्थिति में माफ नहीं किया जा सकता है. इसीलिए याचिका को खारिज करते हुए 10 लाख रुपए जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाने का आदेश देता हूं. यह राशि एक माह में जमा करवानी होगी, यदि राशि जमा नहीं करवाई जाती है, तो प्राधिकरण हाईकोर्ट को सूचित करें.

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