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सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की याचिका पर सुनवाई टली, राजस्थान सरकार ने कहा- उपचार के बहाने अंतरिम जमानत चाहता है

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Published : Jun 8, 2021, 5:21 PM IST

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सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट में आसाराम की याचिका पर सुनवाई टल गई है. अगली सुनवाई 11 जून को होगी. आसाराम ने राजस्थान हाई कोर्ट के 21 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें चिकित्सा उपचार के लिए सजा को अस्थायी रूप से निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी.

जोधपुर. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की याचिका पर सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान हाई कोर्ट के 21 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें चिकित्सा उपचार के लिए सजा को अस्थायी रूप से निलंबित करने की आसाराम की याचिका खारिज कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नवीन सिन्हा और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की पीठ में मंगलवार सुबह राजस्थान सरकार की ओर से एक जवाब पेश किया गया. सुप्रीम कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 11 जून शुक्रवार को करेगा.

पढ़ें: आसाराम का अच्छे से अच्छा इलाज करवाया जाएगा : स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी है. राजस्थान सरकार ने अपने जवाब में कहा कि उपचार के नाम पर आसाराम का मकसद केवल इतना है कि वह अब अपना स्थान बदलना चाहता है. क्योंकि पिछली बार आसाराम की अंतरिम जमानत को राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. ऐसे में आयुर्वेदिक उपचार के नाम पर आसाराम की ओर से केवल अंतरिम जमानत का प्रयास किया जा रहा है. जबकि आसाराम का इलाज जोधपुर एम्स में चल रहा है.

आसाराम लगातार एलोपैथी उपचार का विरोध कर रहा है. वह केवल आयुर्वेदिक तरीके से इलाज करवाना चाहता है. राजस्थान सरकार ने कहा कि आसाराम अपने उपचार के नाम पर सजा को अस्थाई रूप से निलंबित करवाकर जगह बदलने का प्रयास कर रहा है. क्योंकि पिछले करीब 8 साल से लगातार वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है और अब जेल से बाहर आने के लिए उपचार के बहाने अस्थाई सजा निलंबित कर अंतरिम जमानत चाहता है.

राजस्थान हाई कोर्ट ने क्या कहा था अपने फैसले में

आसाराम ने राजस्थान हाई कोर्ट में आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत के लिए अस्थायी सजा स्थगन याचिका पेश की थी. लेकिन वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता, न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने नवीनतम रिपोर्ट देखने के बाद मामले में सुनवाई की. नवीनतम रिपोर्ट के साथ सरकारी अधिवक्ता अनिल जोशी ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि आसाराम का बेहतर उपचार चल रहा है. एमडीएम में 5 मई को भर्ती करने के साथ ही हालत चिंताजनक होने पर एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां कोविड-19 का उपचार चल रहा है. इस दौरान ही 14 मई को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव की वजह से उसका हीमोग्लोबिन कम हो गया था. चिकित्सकों ने आसाराम को दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया. जिसके बाद हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार आ रहा है.

आसाराम को पहले से ही ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया, हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक के साथ हाइपोथायरायडिज्म और प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया की दवाएं पहले से ही चल रही हैं. वर्तमान में एम्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार आसाराम को बुखार कम हो गया है. आक्सीजन थेरेपी से भी राहत मिली है. अब आसाराम कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हो चुका है और अस्पताल से छुट्टी के लिए फिट है. रक्तस्त्राव के कारण आसाराम को आगे की जांचों और उपचार के लिए प्रोक्टोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी की सलाह दी गई थी. लेकिन उसने सहमति से इनकार कर दिया.

आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जे.एस. चौधरी ने आग्रह किया कि आसाराम ने लिखित में अपनी इच्छा व्यक्त की है कि वह एलोपैथी उपचार नहीं लेना चाहता है. उसे आयुर्वेद के उपचार की जरूरत है. आसाराम के पाल स्थित आश्रम में आयुर्वेद के उपचार की व्यवस्था उनके अनुयायियों द्वारा की जा सकती है. इसके अलावा न्यायालय चाहे तो जोधपुर में राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय करवड़ में भी आयुर्वेद के जरिये आसाराम का उपचार करवा सकता है. इसके लिए अंतरिम जमानत दी जाए.

कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है

राजस्थान हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने और एम्स की नवीनतम रिपोर्ट देखने के बाद अपने आदेश में कहा कि आसाराम के अनुयायियों की वजह से जेल से बाहर लाने पर कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. साथ ही वर्तमान में कोविड संक्रमण होने का खतरा भी मंडरा रहा है. हाई कोर्ट ने आसाराम की ओर से पेश किए गए अस्थायी सजा स्थगन प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए आसाराम को उपचार के तुरन्त बाद जेल में भेजने के निर्देश दिए थे.

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