ETV Bharat / city

स्कूल ऑफ आर्ट्स में पढ़ाने के लिए डिग्रीधारी कला शिक्षकों की ही नियुक्ति होनी चाहिए : मुख्य सचिव

author img

By

Published : Dec 16, 2020, 10:10 PM IST

Chief Secretary Niranjan Arya,  Meeting of Rajasthan School of Arts
मुख्य सचिव निरंजन आर्य

राजधानी जयपुर में बुधवार को राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स के संबंध में एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि स्कूल ऑफ आर्ट्स में पढ़ाने के लिए डिग्रीधारी कला शिक्षकों की ही नियुक्ति की जानी चाहिए.

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि फाइन एवं कॉमर्शियल आर्ट्स के विषय पढ़ाने के लिए विजुअल आर्ट के डिग्रीधारी कला शिक्षकों की ही नियुक्ति की जानी चाहिए. उन्होंने राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स को उच्च शिक्षा के अधीन रहने देने और कला संस्कृति के अधीन संचालित किए जाने के संबंध में गुणावगुण के आधार पर शीघ्र निर्णय करने के लिए प्रकरण उच्च स्तर पर रखने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि संस्थान में रिक्त पदों को भरने के लिए भी शीघ्र कार्रवाई की जाएगी.

निरंजन आर्य ने बुधवार को राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स के संबंध में आयोजित बैठक में यह बात कही. उन्होंने कहा कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स एतिहासिक संस्थान है और राज्य सरकार की मंशा है कि इसके विकास पर विशेष रूप से ध्यान देकर इसे और समृद्ध बनाया जाए. मेडिकल और इंजीनियरिंग की तरह ही यह भी एक अलग तरह का क्षेत्र है, जिसके लिए विशेष नियम बनाए जाने चाहिए.

पढ़ें- अच्छी खबर : 337 नए पदों के सृजन को CM गहलोत ने दी मंजूरी, युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर

अलग कैडर होना चाहिए...

बैठक में कला एवं संस्कृति विभाग की शासन सचिव मुग्धा सिंहा ने कहा कि कला संस्थान को केवल नियम-कायदों के आधार पर विकसित नहीं किया जा सकता है. कला शिक्षा एक अलग कैडर होना चाहिए और राजस्थान लोक सेवा आयोग से कला के शिक्षकों की भर्ती विशेष नियमों के तहत की जानी चाहिए. भर्ती के लिए अलग से पात्रता मापदंड तय किए जाने चाहिए.

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की प्रमुख समस्याएं...

  • 1857 के आसपास पूर्व राजा की ओर से स्थापित राजस्थानी स्कूल ऑफ आर्ट्स उस समय आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता था. इसी स्कूल से शिक्षित होकर कलाकार इतने मशहूर हुए हैं कि उन्होंने पद्मश्री तक की ऊंचाइयां छुई हैं. इसके बावजूद यह स्कूल अब बदतर हालत में है.
  • इनमें शिक्षकों के और अन्य स्टाफ के 23 पद थे, जो अब करीब 9 ही रह गए हैं.
  • इसके साथ ही राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की मूल जगह से हटकर इसके पूरे स्टाफ को शिक्षा संकुल में जगह दी है. यह जगह छोटी होने के साथ-साथ प्रदर्शनी और अन्य आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है.
  • यहां तक कि पहले राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में साल भर में 20 से 22 प्रदर्शनियां होती थी, लेकिन अब एक भी प्रदर्शनी आयोजित नहीं होती. वहीं, अपनी मूल जगह से हटने के बाद स्टूडेंट्स के बनाए स्कल्पचर और कलाकृति को भी बाजार नहीं मिल पा रहा है.
  • इतना बड़ा संस्थान अब अपने गौरव की छाया मात्र रह गया है. साथ ही स्टूडेंट्स भी उस पहचान के साथ उभर कर सामने नहीं आ रहे हैं.
  • एक समस्या यह भी है कि कला संस्कृति विभाग से राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को कॉलेज शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद वहां के शिक्षकों को यूजीसी वेतनमान और अन्य सुविधाएं नहीं मिली.

सरकार की ओर से बनाया गया है रोडमैप...

इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार की ओर से रोड मैप बनाया गया है. बैठक में इसी रोड मैप पर चर्चा करते हुए इसका अनुमोदन किया गया. पूर्व में कला संस्कृति मंत्री बुलाकी दास कल्ला ने भी इसका अनुमोदन कर दिया है. इसमें खास तौर पर संस्थान के पुराने गौरव को फिर स्थापित करने पर जोर दिया गया है. खाली पदों को भरा जाने की पुरजोर सिफारिश की गई है.

वहीं, जवाहर कला केंद्र और अन्य ख्याति प्राप्त संस्थाओं के साथ सहयोग करके उनकी कलाकृतियों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की बात कही गई है. बैठक में वीसी के जरिए शामिल होकर राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स को पुनः कला एवं संस्कृति विभाग के अधीन ही संचालित कराए जाने का आग्रह किया. साथ ही संस्थान में स्थाई शिक्षक लगाने, फेकल्टी और संसाधनों का अभाव नहीं होने की बात भी रखी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.