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#jagte raho: टेलीग्राम बना साइबर ठगों का नया हथियार...ऐसे करें बचाव

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Published : Sep 16, 2022, 7:40 PM IST

Updated : Sep 16, 2022, 9:00 PM IST

Telegram become the new weapon of cyber fraud
Telegram become the new weapon of cyber fraud

साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए पुलिस सख्ती कर रही है लेकिन साइबर शातिरों (Cyber crime in Rajasthan) को रोक पाने में असफल साबित हो रही है. साइबर शातिरों के लिए इन दिनों टेलीग्राम सबसे मुफीद हथियार बन गया है. टेलीग्राम पर मूवी या अन्य वीडियो डाउनलोड करने के दौरान साइबर शातिर यूजर्स का डाटा एक्सेस कर उन्हें ब्लैकमेल कर ठगी कर रहे हैं. इससे बचाव के लिए जानिए क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट...

जयपुर. सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ठगी की वारदातें (Cyber crime in Rajasthan) कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कई सारी बाध्यताओं के बावजूद साइबर ठग फ्रॉड के नए-नए तरीके इजाद कर लोगों को चूना लगा रहे हैं. ऐसे में अब टेलीग्राम के जरिए लोग यूजर्स को (cyber fraud through telegram) अपना शिकार बना कर लाखों का चूना लगा रहे हैं. ऐसे में लोगों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है.

इन दिनों ज्यादातर यूजर्स ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फ्री में मूवी या वेब सीरीज डाउनलोड कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा माध्यम टेलीग्राम एप्लीकेशन बन गया है. टेलीग्राम प्रयोग करने वाले यूजर्स बड़ी तादाद में मौजूद हैं. इस एप पर मौजूद पायरेटेड कंटेंट को यूजर बिना सोचे समझे डाउनलोड कर रहे हैं क्योंकि इस पर कोई भी नई मूवी या वेब सीरीज फ्री में देखने को मिल जाती है. इसलिए लोग सुरक्षा की परवाह न करते हुए टेलीग्राम पर मौजूद विभिन्न ग्रुप में जुड़कर दिए गए लिंक से मूवी या वेब सीरीज का पायरेटेड कंटेंट डाउनलोड कर रहे हैं. पायरेटेड कंटेंट डाउनलोड करने के दौरान लिंक से अटैच बग भी यूजर के मोबाइल में आ जा रहा है जो फोन की सिस्टम फाइल को करप्ट करने का काम कर रहा है.

टेलीग्राम बना साइबर ठगों का नया हथियार

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बग डाउनलोड करा साइबर ठग यूजर के मोबाइल एक्सेस कर रहे
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि टेलीग्राम पर ऐसे कई ग्रुप मौजूद हैं जहां पर पिक्चर हॉल से रिकॉर्ड की हुई या फिर किसी वेबसाइट से विभिन्न एप्लीकेशन के जरिए कॉपी की हुई पायरेटेड मूवी या वेब सीरीज उपलब्ध रहती है. शुरू में साइबर ठग वीडियो डायरेक्ट यूजर को डाउनलोड करने का ऑप्शन देते हैं, जिसमें किसी भी तरह का कोई बग नहीं होता है. इसके बाद जब यूजर को उस ग्रुप से वीडियो डाउनलोड करने की लत लग जाती है तब साइबर ठग डायरेक्ट वीडियो का ऑप्शन बंद कर उस ग्रुप पर वीडियो डाउनलोड करने के लिए लिंक डालना शुरू करते हैं. जैसे ही यूजर ग्रुप में आए हुए लिंक पर क्लिक करता है उसके मोबाइल में बग एंटर कर जाता है.

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मोबाइल का एक्सेस लेकर करते हैं ठगी और ब्लैकमेल
इसके बाद साइबर ठग यूजर के मोबाइल का पूरा एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं और यूजर के मोबाइल को एक टूल के रूप में प्रयोग करते हैं. यूजर को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगती है कि उसके मोबाइल में मौजूद तमाम डाटा साइबर ठगों के पास पहुंच गया है. उस डाटा का प्रयोग कर यूजर को ब्लैकमेल किया जाता है या फिर उसके साथ ठगी की जाती है. यूजर की फोटो को गलत तरीके से एडिट कर उसे वायरल करने की धमकी देकर रुपयों की डिमांड की जाती है या फिर यूजर के मोबाइल में मौजूद बैंकिंग एप्लीकेशन के जरिए उसके खाते से बड़ी राशि का ट्रांजैक्शन किया जाता है.

ऐसे करें बग की पहचान
टेलीग्राम या अन्य किसी भी एप्लीकेशन पर आए लिंक के जरिए कोई भी वीडियो या मूवी डाउनलोड करने या थर्ड पार्टी और अननोन सोर्स से डाउनलोड करने के बाद मोबाइल में बग आने की संभावना सर्वाधिक रहती है. यूजर के मोबाइल में बग मौजूद है या नहीं इसका पता लगाने के लिए उसे अपने फोन के सिस्टम फाइल में जाना होता है.

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यदि सिस्टम फाइल में 0.2 से लेकर 4 kb तक की विभिन्न करप्ट फाइल मल्टीपल आर्डर में शो हो रही है तो इसका मतलब उसके सिस्टम पर बग मौजूद है. यदि यूजर उन बग फाइल को डिलीट भी करता है तो महज कुछ ही सेकंड में बड़ी तेजी से मल्टीपल आर्डर में पहले से भी ज्यादा बग फाइल शो होने लगती है. ऐसा होने पर यूजर को तुरंत किसी साइबर एक्सपर्ट या संबंधित कंपनी के सर्विस सेंटर में संपर्क करना चाहिए.

इस तरह करें बग से बचाव
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि यूजर को अपने सिस्टम को बग से बचाने के लिए किसी भी अननोन लिंक पर क्लिक करके कोई भी फाइल डाउनलोड नहीं करनी चाहिए. यदि यूजर फिर भी किसी लिंक से कोई फाइल डाउनलोड कर रहा है तो उसे अपने सिस्टम में अपग्रेडेड एंटीवायरस और फायरवॉल को एक्टिव रखना चाहिए.

यूजर का सिस्टम भी लेटेस्ट वर्जन पर अपडेट होना बेहद आवश्यक है. यदि किसी लिंक के जरिए कोई फाइल डाउनलोड की जा रही है और उसमें बग है तो एक्टिव फायरवॉल व एंटीवायरस यूजर को उस लिंक के संबंध में पहले ही अलर्ट कर देंगे. ऐसे में यूजर को किसी भी तरह की पायरेटेड फाइल को डाउनलोड करने से बचना चाहिए. पायरेटेड फाइल को डाउनलोड करना वैसे कानूनन अपराध भी है. सतर्क रहकर और सुरक्षा उपाय अपनाकर यूजर खुद को साइबर ठगों का शिकार होने से बचा सकते हैं.

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ऐसे शिकार हुए यूजर
जयपुर के मालवीय नगर क्षेत्र में रहने वाले 56 वर्षीय व्यक्ति के बैंक खाते से तकरीबन दो लाख रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ लेकिन यूजर के पास ना तो कोई मैसेज आया और न ही कोई ओटीपी. जब मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि यूजर ने टेलीग्राम के जरिए एक लिंक पर क्लिक कर फाइल डाउनलोड की थी. इस दौरान यूजर के मोबाइल बग आ गया और जिसे साइबर ठगों ने यूजर के मोबाइल का एक्सेस अपने हाथ में ले लिया और राशि हड़प ली.

ऐसे ही बग के जरिए 16 से 22 साल तक की युवतियों की फोटो को साइबर ठग उनके मोबाइल से एक्सेस कर ले रहे हैं. साइबर शातिर फोटो को एडिट कर अश्लील बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे की डिमांड भी कर रहे है जिसकी ढेरों शिकायतें साइबर सेल में आ रही हैं. बदनामी के डर से कई बार पीड़ित युवतियां रुपये दे भी देती हैं. जयपुर के मानसरोवर, वैशाली नगर सहित विभिन्न थाना क्षेत्रों में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.

Last Updated :Sep 16, 2022, 9:00 PM IST
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