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राजस्थान विधानसभा : राठौड़ ने कहा- गोशाला की तर्ज पर बनाओ ऊंटशाला, तब बचेगा राज्यपशु..मंत्री बोले- ऊंट संरक्षण और विकास निधि का प्रारूप तैयार

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Published : Sep 15, 2021, 4:24 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 10:13 PM IST

राजस्थान विधानसभा में ऊंट का मुद्दा
राजस्थान विधानसभा में ऊंट का मुद्दा

पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि ऊंट संरक्षण और विकास निधि का प्रारूप तैयार है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. राजेंद्र राठौड़ के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में पशुपालन मंत्री ने बताया कि साल 2019 की पशु गणना के आधार पर देश भर में कुल ऊंटों का 84.43 प्रतिशत राजस्थान में थे, लेकिन पिछले 30 सालों से ऊंट की संख्या में निरंतर गिरावट हो रही है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ ने राज्य पशु ऊंट की तस्करी और लगातार कम होती ऊंट की संख्या का मामला उठाते हुए सरकार से गोशाला की तर्ज पर ऊंटशाला बनाए जाने की मांग की है.

राठौड़ ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए यह मामला उठाया, जिस पर पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि ऊंट संरक्षण और विकास निधि का प्रारूप तैयार है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. राजेंद्र राठौड़ के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में पशुपालन मंत्री ने बताया कि साल 2019 की पशु गणना के आधार पर देश भर में कुल ऊंटों का 84.43 प्रतिशत राजस्थान में थे, लेकिन पिछले 30 सालों से ऊंट की संख्या में निरंतर गिरावट हो रही है.

ऊंट संरक्षण पर बोले लालचंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़ ने दागे सवाल

इस तरह साल दर साल कम होते गए राजस्थान में ऊंट

मंत्री ने इस दौरान सदन में साल 1992 से लेकर 2017 तक ऊंटों की गणना के आंकड़े भी रखे. पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि साल 1992 में 7 लाख 46 हजार, साल 1997 में 6 लाख 69 हजार,साल 2003 में 4 लाख 98 हजार, साल 2007 में 4 लाख 22 हजार,साल 2012 में 3 लाख 26 हजार और साल 2017 में 2 लाख 13 हजार ऊंट राजस्थान में गणना के दौरान पाए गए.

पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने यह भी बताया कि सरकार ने अपने जन घोषणापत्र में ऊंट के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष नीति बनाने का वादा किया था और इसके लिए एक प्रारूप भी तैयार कर उसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. वहीं राजस्थान ऊंट अधिनियम 2015 में संशोधन के लिए केबिनेट सब कमेटी बनाई गई है, यह जल्द ही अपना सुझाव देगी. मंत्री के अनुसार राजस्थान में ऊंटों की तस्करी रोकने के लिए कई ठोस कानून बनाए गए हैं और 16 सितंबर 2014 को राजस्थान में ऊंट को राज्य पशु भी घोषित किया गया था.

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राठौड़ ने बताया ऊंटों की तस्करी का ट्रांजिट रूट

राजेंद्र राठौड़ ने सदन में कहा कि साल 2014 से 19 के बीच में 34% से ज्यादा ऊंटों की संख्या में कमी आ गई. यह सरकारी आंकड़े बताते हैं. वहीं जन घोषणा पत्र में सरकार ने जो वादा किया था उसे आधा कार्यकाल बीतने पर भी पूरा नहीं किया गया, यह चिंतनीय है. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में ऊंट की तस्करी का ट्रांजिट रूट भी बन गया है, यह चूरू से हरियाणा और हरियाणा से यूपी होते हुए बांग्लादेश तक है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पुलिस और तस्करों को पकड़ती है लेकिन ऊंटों को बरामद दिखाने से डरती है क्योंकि यदि ऊंट को बरामद दिखाया तो उसको रखना, खाना खिलाने की जिम्मेदारी थाने की होगी.

राजेंद्र राठौड़ ने सरकार से कहा कि थानों में ऊंट की बरामदगी दिखाने पर उसके खानपान की व्यवस्था करने के लिए एक अलग से फंड मुहैया कराए जाएं, ताकि पुलिस इस काम को सही तरीके से अंजाम दे सके. राठौड़ ने कहा राजस्थान में ऊंटों को तभी बचाया जा सकता है जब गौशाला की तर्ज पर ऊंट शालाएं बनाई जाएं.

अमीन खान ने कहा- ऊंट को राज्य पशु घोषित करने से हुआ नुकसान

सदन में इस मामले में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक अमीन खान भी खड़े हुए. उन्होंने कहा कि जिन्हें ऊंटों का ज्ञान नहीं उनकी राय भी नहीं लेनी चाहिए. उनके अनुसार रेगिस्तान इलाकों में बकरी भी जिंदा रह जाती है, लेकिन ऊंट तो सभी प्रकार के चारे पौधे खाने वाला पशु है. लेकिन आज उस पर संकट केवल इसीलिए है क्योंकि उसे राज्य पशु घोषित कर दिया गया है. इसके लिए राठौड़ को माफी मांगनी चाहिए.

सदन में ऊंट पालक, सूअर पालन और जंतु पालक का भी उठा मुद्दा

इस दौरान राजेंद्र राठौड़ ने अमीन खान को कहा कि आपको क्या लगता है मैं ऊंट पालक नहीं हो सकता हूं. मैं ऊंट पालक और गधा पालक भी हो सकता हूं. तब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि आप सूअर पालक भी हो सकते हो, इस पर राठौड़ ने कहा कि वह काम आपके लिए छोड़ रखा है.

Last Updated :Sep 15, 2021, 10:13 PM IST
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