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वीरागंना की पुनर्विवाह के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति रद्द करने पर एक लाख का हर्जाना

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Published : Feb 17, 2021, 8:16 PM IST

Rajasthan High Court imposed a compensation of one lakh, राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश
पुनर्विवाह के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति रद्द करने पर हाईकोर्ट का आदेश

शहीद की विधवा के पुनर्विवाह करने पर उसकी अनुकंपा नियुक्ति को रद्द करने वाले अधिकारी पर राजस्थान हाईकोर्ट ने एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके अलावा विधवा को वेतन परिलाभ 9% ब्याज के साथ देने के लिए कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहीद की विधवा के पुनर्विवाह करने पर उसकी अनुकंपा नियुक्ति को रद्द करने वाले अधिकारी पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने वीरागंना को सेवा में मानते हुए समस्त वेतन परिलाभ 9% ब्याज सहित अदा करने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश सरिता देवी की याचिका पर दिया.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने ऑपरेशन गोल्डन टेम्पल में अपने पति को खोया है. वहीं राज्य सरकार ने बिना नोटिस दिए उसकी अनुकंपा नौकरी रद्द कर दी. याचिकाकर्ता चूढ़ा प्रथा के चलते अपने विवाहित देवर के साथ रहती है, लेकिन यह बड़े आश्चर्य की बात है कि डीओपी स्तर के अधिकारी इसे पुनर्विवाह मान रहे हैं. इसके अलावा विधवा को पुनर्विवाह के आधार पर भी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता.

याचिका में कहा गया कि उसे पति के शहीद होने के आधार पर अप्रैल 2006 में अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी. वहीं बाद में डीओपी के पत्र के आधार पर सीकर कलेक्टर ने 19 जून 2007 को उसकी अनुकंपा नियुक्ति यह कहते हुए रद्द कर दी कि वह गर्भवती है और उसने अपने विवाहित देवर से पुनर्विवाह कर लिया है. याचिका में कहा गया कि उसने प्रथा के तहत अपने विवाहित देवर का चूढ़ा पहना है. ऐसे में उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जाए जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को सेवा में मानते हुए समस्त वेतन परिलाभ दिलाते हुए जिम्मेदार अधिकारी पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.

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