जयपुर. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद सहित 22 साथियों को राजस्थान के जयपुर में गिरफ्तार किए जाने पर सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. उदयपुर कन्हैया हत्याकांड के बाद राजस्थान में लगी धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में जयपुर के विधायकपुरी थाने की पुलिस ने आजाद को 1 जुलाई मध्यरात्रि को एक होटल से गिरफ्तार किया है. चंद्रशेखर आजाद कोविड स्वास्थ्य सहायकों के प्रदर्शन को समर्थन देने आए थे. इस गिरफ्तारी के बाद प्रदेश के सामाजिक संगठनों ने (Rage in social organizations over the arrest of Bhim Army Chief) इसकी कड़ी आलोचना की है. सामाजिक संगठनों ने इस गिरफ्तारी को पूरी तरीके से अवैधानिक करार देते हुए कड़ी निंदा की है.
सीएएचए के समर्थन में पहुंचे थे आजाद
चंद्रशेखर कोविड सहायकों की ओर से जयपुर के शहीद स्मारक पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. धारा 144 का पालन न करने पर 1 जुलाई को मध्यरात्रि को चंद्रशेखर सहित 22 साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. चंद्रशेखर आंदोलन के दौरान ये मांग कर रहे थे कि कोविड सहायकों को नौकरी दी जाए. राजस्थान में कोरोना काल के दौरान तैनात किए गए कोविड स्वास्थ्य सहायकों को सरकार ने हटा दिया था. इसके बाद से बड़ी संख्या में शहीद स्मारक पर कोविड सहायक धरना दे रहे थे. हालांकि प्रदेश में लगी धारा 144 की वजह से पुलिस ने इन सीएचए को गुरुवार रात्रि को लाठी के दम पर शहीद स्मारक से खदेड़ दिया था.
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प्रदेश में धारा 144 लागू
राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की हत्या के बाद उपजे तनाव को देखते हुए प्रदेश की गहलोत सरकार ने राजस्थान में धारा 144 लगा रखी है. किसी भी तरह की सभा जुलूस या प्रदर्शन की अनुमति प्रदेश सरकार की ओर से नहीं दी जा रही है. इतना ही नहीं, प्रदेश में माहौल न बिगड़े इसके लिए सरकार ने 4 दिन तक प्रदेश में नेटबंदी का भी फैसला किया था. हालाकी हालात सामान्य होने के साथ ही अब सरकार ने लगभग सभी जिलों की नेटबंदी को बहाल कर दिया है, लेकिन अभी भी प्रदेश में धारा 144 लागू है.
सामाजिक संगठनों ने जताई नाराजगी
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश के सामाजिक संगठनों ने इस गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की. पीयूसीएल की प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि जिस तरीके से चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार किया गया है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. किसी भी व्यक्ति को 151 की धारा में गिरफ्तार करने के बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का यह अधिकार होता है कि उसे अपने वकील के जरिए अपनी बात कहने दिया जाए, लेकिन इस मामले में चंद्रशेखर को अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया गया.
दलित संगठन के रूप में काम करने वाले आगाज फाउंडेशन की सुमन देवटिया, दलित एक्टिविस्ट धर्मेन्द्र जाटव और एडवोकेट ताराचंद वर्मा ने भी इस गिरफ्तारी को अवैध करार दिया. उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने सीएचए के समर्थन में 2 जुलाई को आंदोलन की घोषणा की थी लेकिन सरकार चाहती तो उनसे वार्ता के जरिए भी इस मसले को सुलझा सकती थी, प्रदेश में अगर धारा 144 लगी हुई थी तो चंद्रशेखर ज्ञापन देकर मांग रख देते लेकिन उन्हें और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया.