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क्रेडिट लेने की जल्दबाजी में लाए Right To Health Bill...भाजपा बोली, ये सरकार आने-जाने की है निशानी

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Published : Sep 23, 2022, 6:57 PM IST

Politics on Right To Health Bill
राइट टू हेल्थ बिल पर राजनीति

राजस्थान विधानसभा में राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित करने के लिए रखा गया, लेकिन जिस जल्दबाजी में सदन में यह विधेयक आया उस पर भाजपा ने सवाल खड़े किए. भाजपा ने इस जल्दबाजी को सीएम गहलोत के कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने और इस कानून को लागू करने का क्रेडिट जंग का परिणाम बताया.

जयपुर. कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नामांकन के एलान के बाद राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री पद पर कौन काबिज होगा, इसकी चर्चा राजस्थान विधानसभा में भी सदन के भीतर 'राइट टू हेल्थ बिल' पर चर्चा के दौरान रही. भाजपा विधायकों ने तो बिल पर चर्चा के दौरान (Politics on Right To Health Bill) इसका इजहार तक कर दिया. भाजपा ने इशारों-इशारों में यह तक संकेत दे दिए कि यह सरकार अब स्थिर रहे, इसकी संभावना कम है. कटारिया ने इसे सरकार के आने जाने की निशानी बताया.

गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें, हम देंगे बधाई, लेकिन इतिहास बनाने के लिए ना करें जादूगरी : सदन में राइट टू हेल्थ बिल पर चर्चा के दौरान राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सरकार आनन-फानन में अचानक सर्कुलेट यहां ले आए, लेकिन इतिहास इससे नहीं बनता. राठौड़ ने कहा कि सदन के नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हम उन्हें बधाई देंगे, लेकिन वो एक इतिहास बनाने और अपना नाम अंकित कराने के लिए ऐसा काला व खोटा कानून पास करवाना चाहते हैं वो ठीक नहीं. राठौड़ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सरकार इस बिल को प्रवर समिति में भेजें और चर्चा करें, क्योंकि यह जादूगर की जादूगरी मेरी समझ के परे है.

किसने क्या कहा, सुनिए...

ये क्रेडिट लेने की जंग क्या सरकार आने-जाने की निशानी है ? वहीं, इस बिल पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जिस जल्दबाजी में यह बिल लेकर आया गया है, उससे विधानसभा का भी अपमान हुआ है. कटारिया ने कहा कि यह जल्दबाजी क्या सरकार के आने जाने की निशानी है कि मैं जाऊं तो इस विधेयक का क्रेडिट लेकर जाऊं और यह कानून मेरे खाते में लिखा जाए. कटारिया ने कहा कि अधिकारियों को भी ऐसी क्या जल्दबाजी थी, क्या आसमान गिर रहा था या धरती फट रही थी या राजस्थान डूब रहा था, जो इस विधेयक को जल्दबाजी में ले आए और विधायकों को एक दिन पहले ही यह सर्कुलेट किया गया. कटारिया ने कहा कि हम इस कानून के विरोध में नहीं हैं, लेकिन बिना तैयारी के झुनझुना पकड़ा देने से यह बिल प्रदेश की जनता के लिए उपयोगी साबित नहीं होगा.

लाहोटी चिकित्सा मंत्री को बोले- अगला बजट तो लेकर आ रहे हो या उसकी उम्मीद नहीं : वहीं, सदन में चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने इस विधेयक को बिना संसाधनों के लागू करने पर संदेह जताया और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा से यह तक कह दिया कि आप इसे प्रवर समिति में भेज दें और अगले बजट सेशन में इस विधेयक को संशोधनों के साथ लेकर आएं. इस दौरान (BJP Targets Gehlot Government) लाहोटी ने चुटकी ली कि मंत्री जी आप बजट सेशन में इसे ले आएंगे, इसकी उम्मीद है या नहीं या उससे पहले कुछ बदलाव होगा.

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कमजोर पिलर पर टिकी है सरकार, थोड़े से भूकंप से गिर जाएगी : बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक रामलाल शर्मा ने भी इस विधेयक को जल्दबाजी में लाने पर सवाल खड़े किए और यह तक कह दिया कि मौजूदा सरकार कमजोर पिलरों पर टिकी है जो थोड़े से रिएक्टर के भूकंप से ही गिर जाए. शर्मा ने इस दौरान किशनपोल विधायक अमीन कागजी द्वारा चिकित्सकों के तबादलों के बाद मंत्री के घर पर दिए गए धरने का उदाहरण दिया और कहा कि उस धरने के 4 घंटे बाद ही चिकित्सकों के तबादले निरस्त कर दिए गए और मंत्री को बैकफुट पर आना पड़ा. वो इसलिए हुआ, क्योंकि यह सरकार कमजोर पिलरों पर टिकी है.

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