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राजस्थानी लोक गायक मामे खान ने रचा इतिहास, कान्स रेड कार्पेट पर चलने वाले भारत के पहले कलाकार

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Published : May 18, 2022, 12:02 PM IST

Mame Khan first folk artist to walk on red carpet
राजस्थानी लोक गायक मामे खान

राजस्थान के लोक कलाकार मामे खान (Rajasthani folk singer Mame Khan) ने इतिहास रच दिया है. मामे खान फ्रांस में आयोजित हो रहे 75वें कान्स फिल्म फेस्टिवल (75th Cannes Film Festival) में भारत के लिए रेड कार्पेट पर चलने वाले पहले लोक कलाकार बने हैं.

जयपुर. राजस्थान के लोक कलाकार मामे खान (Rajasthani folk singer Mame Khan) ने इतिहास रच दिया है. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले के लोक कलाकार मामे खान फ्रांस में आयोजित हो रहे 75वें कान्स फिल्म फेस्टिवल (75th Cannes Film Festival) में भारत के लिए रेड कार्पेट पर चलने वाले पहले लोक कलाकार बने हैं. मामे खान की इस उपलब्धि पर सीएम अशोक गहलोत ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि खुशी की बात है कि राजस्थानी गायक मामे खान कान्स फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर चलने वाले भारत के पहले लोक कलाकार बन गए हैं. यह राजस्थान की लोक संगीत की समृद्ध परंपरा के लिए अनूठा है. गहलोत ने मामे खान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी.

Mame Khan first folk artist to walk on red carpet
कान्स में मामे खान

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मामे खान कई बॉलीवुड फिल्म जैसे 'लक बाय चांस', 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'सोनचिरैया' के लिए पार्श्व गायक रह चुके हैं. वे अमित त्रिवेदी के साथ कोक स्टूडियो से भी जुड़े हुए हैं. वहीं, कान्स के रेड कारपेट पर उनका लुक देखने लायक था. वे एकदम देसी अंदाज में नजर आए. उन्होंने रेड कारपेट पर वॉक करते समय ट्रेडिशनल राजस्थानी आउटफिट कैरी कर रखा था. उन्होंने रंग-बिरंगी कढ़ाई किया हुआ कोट और गुलाबी कुर्ता पहन रखा था. सिर पर राजस्थानी टोपी पहन उन्होंने अपने लुक को कम्पलीट किया.

बदलते दौर में राजस्थानी कला को जीवित रखा- कई बॉलीवुड फिल्मों में अपने गायन को लेकर लोहा मनवा चुके मामे खान बदलते दौर में राजस्थानी कला को जीवित रखने वाले एक उम्दा कलाकार हैं. मामे खान ने राजस्थान की लोक संस्कृति और लोक गीतों को अमेरिका और यूरोप की गलियों तक पहुंचाया है.

सीमावर्ती जिले से सात समंदर पार का सफर- राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर के सत्तों गांव से निकलकर बॉलीवुड ही नहीं बल्कि कई देशों की यात्रा कर लोकगीत और स्थानीय गायिकी की परंपरा को जिंदा रखने वाले संगीतकार मामे खान आज एक मशहूर शख्सियत हैं. मामे राजस्थान के मांगणियार समुदाय से हैं. यह समुदाय अपने लोक संगीत के लिए जाना जाता है. बचपन से ही मामे संगीत के माहौल से घिरे रहे. जिंदगी की शुरुआत से ही मामे ने अपने आस-पास संगीत ही देखा. स्कूल में सुबह की पहली प्रार्थना हो, 'तुम्हीं हो माता, पिता तुम्ही हो' या फिर 'सरस्वती वंदना' मामे भी इनका हिस्सा रहते थे. बारह साल की उम्र में इन्होंने अपना पहला म्यूजिक शो दिल्ली में इंडिया गेट पर किया था. राजस्थान में यह अपने पिता के साथ आस-पास शादियों में भी जाकर गाया करते थे.

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मुश्किलों से नहीं हारे- मामे खान को यह शोहरत आसानी से नहीं मिली बल्कि इसके लिए उन्होंने कठिन परिश्रम किया. वे बिना किसी मुश्किलों से हार माने निरंतर अपनी मेहनत के साथ आगे बढ़ते रहे, जिसकी बदौलत आज देश-विदेश में न केवल उनकी पहचान बनी बल्कि राजस्थानी लोक कला और संस्कृति भी देश दुनिया में पहुंच चुकी है. अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को कम उम्र में ही समझते हुए मामे खान का संघर्ष शुरू हुआ.

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सफलता को पाने का सफर में कई मुश्किलें- अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को कम उम्र में ही समझते हुए मामे खान का संघर्ष शुरू हुआ. बचपन में ढोलक और सितार मामे के खिलौने रहे. वह मांगणियार समुदाय के गीत, जो अब तक अपने आस पास की जगह तक ही सीमित थे. उन्हें मामे के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म मिलेगा, इस सोच को असलियत में बदलने का मामे का यह सफर लंबा और मुश्किल भी रहा. एक बाल कलाकार के रूप में मामे इंडिया गेट पर आये थे, जब उन्होंने अपने ग्रुप के साथ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सामने परफॉर्म किया.

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