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Karwa Chauth 2022 : करवा चौथ में कैसे कायम रखें एनर्जी, क्या है पूजा से व्रत उद्यापन का विधान...यहां जानिए

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Published : Oct 12, 2022, 5:26 PM IST

Karwa Chauth 2022
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

करवा चौथ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं. महिलाओं के लिए जरूरत है कि वे अपनी सेहत का भी खास तौर पर ख्याल रखें. ऐसे में करवा चौथ में एनर्जी कैसे कायम रखें और क्या है पूजा से व्रत उद्यापन का विधान, जानने के लिए पढ़ें ये पूरी खबर...

जयपुर. करवा चौथ के व्रत वाले दिन खास तौर पर महिलाएं पूरा दिन अन्न, जल ग्रहण किए बिना रहती हैं. ऐसे में महिलाओं के लिए (Karwa Chauth 2022 Fasting Rules) जरूरत है कि वे अपनी सेहत का भी खास तौर पर ख्याल रखें. लिहाजा उत्तर भारत में प्रचलित कुछ रस्मों-रिवाज के अनुसार शरीर में एनर्जी बनाए रखने वाली चीजें व्रत की शुरुआत से पहले खाना जरूरी होता है.

करवा चौथ के दिन सूरज उगने से पहले सरगी खाई जाती है. व्रत वाली सरगी में ऐसी चीजें रखी जाती है, जो आपको पूरे दिन आपके शरीर में चुस्ती-फुर्ती के लिए ऊर्जा बनाए रखें. इन एनर्जी फूड में सेब, केला और अनार जैसे फल लिए जा सकते हैं, तो नारियल पानी और खीरा लेकर दिनभर निर्जल रहने के बावजूद भी शरीर में हाइड्रेशन मेंटेन किया जा सकता है. जाहिर है कि सरगी खाने के बाद दिनभर निर्जल रहना पड़ता है और चांद देखकर ही व्रत खोलना पड़ता है.

व्रत खोलने पर यह करें ग्रहण : करवा चौथ के दिन लगभग समय भूखा और पानी ग्रहण नहीं करने के कारण जरूरी है कि व्रत खोलने के दौरान भी एतिहात रखी जाए. व्रत खोलने के दौरान महिलाएं कई बार अचानक भारी भोजन कर लेती हैं, जिससे उनकी सेहत भी बिगड़ सकती है. लिहाजा व्रत खोलने के लिए चांद देखने के बाद सबसे पहले पानी पीते हैं, पूरे दिन भर भूखे-प्यासे रहने के बाद शरीर को हाइड्रेट रहना बहुत जरूरी है, लेकिन ध्यान रखें कि ढेर सारा पानी पीने के बजाय थोड़ा-थोड़ा ही पानी पिएं.

व्रत खोलते वक्त आप थोड़ा सा सादा पानी पिएं. इसके बाद नींबू पानी, नारियल पानी, फ्रूट जूस, छाछ, लस्सी भी पी सकती हैं. इससे आपको तुरंत एनर्जी आएगी. भूलकर भी करवा चौथ में खाली पेट रहने के बाद आप चाय या कॉफी ना पिएं. इससे आपके पेट में जलन हो सकती है और एसिडिटी हो सकती है. खजूर, अंजीर और बादाम जैसी चीजों का सेवन भी किया जा सकता है.

पढ़ें : Karwa Chauth 2022 : जानिए इस करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, क्या होता है पूजा का विधान

राजस्थान में आमतौर पर चौथ के व्रत के दिन (Karwa Chauth Festival in Rajasthan) पकवान बनाने की परंपरा है, लेकिन थाली ज्यादा भारी होने के कारण व्रत के बाद कई बार पेट खराब भी हो सकता है. ऐसे में व्रत के खोलने के लिए ग्रहण किए जाने वाले खाने में खीर या दूध से बनी कोई मिठाई खा सकती हैं या फिर जिन घरों में चावल या फिर नमक खाया जाता है, वहां पर इडली, मूंग दाल का चीला, खिचड़ी, वेजिटेबल सूप या हल्का भोजन का सेवन कर सकती हैं.

करवा चौथ की पूजा की थाली में यह सामान जरूरी है : शादीशुदा जोड़े के लिए (Karva Chauth Special Day) करवा चौथ एक महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन पूजा की थाली में मिट्टी का एक करवा और उसका ढक्कन चाहिए. मां गौरी या चौथ माता और गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए काली या पीली मिट्ठी चाहिए. पानी के लिए एक लोटा, गंगाजल, गाय का कच्चा दूध, दही और देसी घी, अगरबत्ती, रूई भी होनी चाहिए. इसके बाद एक दीपक, अक्षत, फूल, चंदन, रोली, हल्दी और कुमकुम, मिठाई, शहद, चीनी और उसका बूरा, बैठने के लिए आसन, इत्र, मिश्री, पान-खड़ी सुपारी, पूजा के लिए पंचामृत, अर्घ्य के समय छलनी, भोग के लिए फल, हलवा-पूड़ी और सुहाग सामग्री में महावर, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, कंघा, बिछुआ, चुनरी आदि चाहिए. साथ ही दक्षिणा के लिए कुछ रुपये अपने श्रद्धा अनुसार रख लें. इसके अलावा इस दिन महिलाएं चूड़ियां, सिंदूर और लाल सिर वाले दुपट्टे के साथ लाल साड़ी पहनती हैं.

ऐसी मान्‍यता है कि इस काल में चंद्रमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है. जहां विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करेंगी. वहीं, कुंवारी कन्याएं उत्तम पति की प्राप्ति के लिए (karwa chauth rules for unmarried girl) इस व्रत को करेंगी. करवा चौथ का व्रत वैसे एक बार शुरू करने के बाद पति के जीवित रहने तक किया जाता है. लेकिन किसी कारणवश अगर यह व्रत न कर पाएं, तो इसका उद्यापन कर देना चाहिए. करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है.

उद्यापन की सामग्री : नारियल, रोली, अक्षत थाली, सिक्का, सुपारी, सुहाग का सामान, कुमकुम, सिंदूर, मेहंदी, बिछिया, वस्त्र, महावर, चूड़ी, हल्दी, बिंदी, कंधा, काजल, शीशा आदि.

करवा चौथ उद्यापन विधि : करवा चौथ पर उद्यापन करने के लिए 13 सुहागिनों को सुपारी देकर भोजन के लिए आमंत्रित करें. 13 स्त्रियां वहीं हों, जो करवा चौथ का व्रत करती हैं. करवा चौथ वाले दिन प्रात: काल स्नान कर साफ या नई साड़ी पहनें. सरगी का सेवन कर व्रत का संकल्प लें और दिनभर निर्जला व्रत रखें. करवा चौथ के उद्यापन में हलवा और पूरी का भोजन जरूर बनाया जाता है. इसके अलावा सामर्थ्य अनुसार पकवान बना सकते हैं. ध्यान रहे कि इसमें लहसून-प्याज न हो. संध्या काल में शुभ मुहूर्त में व्रती और सभी 13 सुहागिन महिलाएं एक साथ पूजा करें. कथा सुनें, चंद्रमा को अर्घ्य दें और पानी पीकर व्रत का पारण करें.

कैसे और क्या करें ?

  • एक थाली में 4-4 पूरी पर हलवा रखकर 13 जगह रखें.
  • थाली पर रोली से टीका कर अक्षत लगाएं, थाली को गणेश जी को चढ़ाएं.
  • 13 महिलाओं को भोजन से पहले इस हलवा पूरी का प्रसाद खिलाएं. अब सबसे पहले भोजन की थाली सास परोसें. सुहाग का सामान भेंट करें.
  • अगर सास सुहागिन नहीं हैं, तो घर की दूसरी वृद्धि महिला को ये थाली और सामान भेंट कर उनका आशीर्वाद लें.
  • सभी 13 महिलाओं को भोजन कराएं और उन्हें टीका कर एक थाली या प्लेट में सुहाग की सामग्री, कुछ रुपये रखकर भेंट करें.
  • देवर या जेठ के एक लड़के को साक्षी बनाकर उसे भी भोजन करवाएं और उसे नारियल और रुपये भेंट दें.

कथा करवा चौथ की : देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं. एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए, तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा. मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे. करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगरमच्छ को देखा. करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया.

करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा कि टस से मस नहीं हो पा रहा था. करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे. करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज ने कहा, मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है. क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी. सती के श्राप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया. इसलिए करवा चौथ के व्रत में सुहागिन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता, जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना.

करवा माता की तरह सावित्री ने भी कच्चे धागे से अपने पति को वट वृक्ष के नीचे लपेट कर रख था. कच्चे धागे में लिपटा प्रेम और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ लेकर नहीं जा सके. सावित्री के पति के प्राण को यमराज को लौटाना पड़ा और सावित्री को वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा बना रहेगा और लंबे समय तक दोनों साथ रहेंगे.

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