RSLDC घूसकांड की इनसाइड स्टोरी : इस तरह से फैली हैं राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें

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Published : Sep 12, 2021, 5:32 PM IST

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राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहराई तक फैली हुई हैं, जिसका पता लगाने में राजस्थान एसीबी की पूरी टीम जुटी हुई है. जब इस पूरे प्रकरण को लेकर ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो अनेक चौंकाने वाली चीजें उजागर हुई हैं. पढ़िये और समझिये आरएसएलडीसी घूसकांड की इनसाइड स्टोरी...

जयपुर. आरएसएलडीसी का मुख्य कार्य केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कौशल विकास की विभिन्न स्कीम के तहत लोगों को ट्रेनिंग देना और केंद्र सरकार द्वारा जारी नियम कानून की पालना कराना है. वहीं, आरएसएलडीसी इस मुख्य कार्य को भूलकर भ्रष्टाचार को फैलाने में जुटी हुई है.

आरएसएलडीसी एक अमेरिकन कंपनी ग्रांट थॉर्टन के जरिए विभिन्न फर्म को कौशल विकास के अलग-अलग कोर्स का काम सौंपती है. इस कंपनी का ही एक एंप्लॉय आरएसएलडीसी में स्टेट कोऑर्डिनेटर के पद पर काम करता है.

30 प्रतिशत पेमेंट एडवांस देकर विभिन्न फर्म को दिया जाता है कौशल विकास का काम...

आरएसएलडीसी अमेरिकन कंपनी ग्रांट थॉर्टन के जरिए कौशल विकास के विभिन्न कोर्स कराने के लिए आवेदन करने वाली अलग-अलग फर्म को काम सौंपती है. साथ ही जिस फर्म को कोर्स कराने के लिए काम सौंपा जाता है, उसे टेंडर के आधार पर 30 प्रतिशत पेमेंट एडवांस किया जाता है. वहीं, 50 प्रतिशत पेमेंट ट्रेनिंग खत्म होने पर और शेष 20 प्रतिशत इंस्पेक्शन व सरप्राइज विजिट करने के बाद दिया जाता है.

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आरसीडीसी में चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले परिवादी की फर्म को 2017 में कौशल विकास का काम दिया गया. परिवादी ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत अपने दौसा, उदयपुर और धौलपुर सेंटर पर 320 लोगों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देना शुरू किया. जिसके तहत दौसा सेंटर में 150 लोगों को इलेक्ट्रिशियन की और धौलपुर सेंटर में 120 व उदयपुर सेंटर में 60 लोगों को नेटवर्क इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग दी गई.

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पेमेंट देने की बजाय फर्म को कर दिया ब्लैक लिस्टेड...

परिवादी की फर्म ने 320 लोगों को इलेक्ट्रीशियन और नेटवर्क इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग पूरी करवा दी और 2019 में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जब आरएसएलडीसी से बिल की बकाया राशि 1.50 करोड़ रुपए मांगी. तब आरएसएलडीसी की तरफ से परिवादी की फर्म के धौलपुर सेंटर का इंस्पेक्शन और सरप्राइज विजिट करने के बाद उसे अक्टूबर 2019 में ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया. परिवादी ने जब अपने बिल का फॉलोअप लिया और 1.25 करोड़ रुपए बिल व 25 लाख रुपए बैंक गारंटी के मांगे तो उसे गोलमोल जवाब देकर टाल दिया गया.

आरएसएलडीसी ने 70 ट्रेनिंग पार्टनर को किया ब्लैक लिस्टेड और कुछ ही समय बाद 55 को वापस किया बहाल...

आरएसएलडीसी ने अक्टूबर 2019 में कौशल विकास की ट्रेनिंग देने वाली विभिन्न फर्म के ट्रेनिंग पार्टनर के विभिन्न सेंटर पर सरप्राइज विजिट और इंस्पेक्शन करने के बाद 70 ट्रेनिंग पार्टनर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया. यह वह ट्रेनिंग पार्टनर थे जो कौशल विकास की ट्रेनिंग देने का काम पूरा कर चुके थे और अपने बिल की बकाया राशि मांग रहे थे. ब्लैक लिस्टेड किए गए 70 ट्रेनिंग पार्टनर ने उनकी फर्म को फिर से बहाल करने के लिए आरएसएलडीसी के एमडी और चेयरमैन के पास अपील की.

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ACB महानिदेशक बीएल. सोनी और गिरफ्तार आरोपियों की तस्वीर

इस दौरान आरएसएलडीसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर और प्रबंधक ने ब्लैक लिस्टेड की गई फर्म के मालिकों से प्राइवेट मीटिंग कर फर्म को बहाल कराने के लिए रिश्वत की मांग की. जिस फर्म के मालिक ने रिश्वत की राशि पहुंचा दी उसकी फर्म को ब्लैक लिस्ट से बाहर कर फिर से बहाल कर दिया गया. इस प्रकार से 70 में से 55 फर्म को फिर से बहाल कर दिया गया.

परिवादी ने अमित नामक दलाल के जरिए की फर्म को बहाल कराने की कोशिश : फर्म के ब्लैक लिस्ट हो जाने के बाद परिवादी ने फर्म को ब्लैक लिस्ट से बाहर निकाल कर फिर से बहाल कराने का प्रयास किया. इस दौरान जनवरी 2020 में परिवादी के पास अमित नाम के एक व्यक्ति ने फोन कर उसे उसकी फर्म को बहाल कराने का आश्वासन दिया. अमित ने परिवादी को बताया कि वह अधिकारियों के लिए दलाली का काम करता है और उसकी ब्लैक लिस्ट हुई फर्म को फिर से बहाल करवा सकता है.

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अमित ने परिवादी से उसकी फर्म को बहाल कराने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की लेकिन परिवादी 5 लख रुपये की ही व्यवस्था कर सका. इस पर जब परिवादी ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना का काम करने वाली फर्म को बहाल कराने के लिए कहा तो अमित ने 5 लाख रुपयों की मांग की. उस दौरान भी परिवादी महज 2.50 लाख रुपये ही जुटा सका और इस प्रकार से उसका काम नहीं हो पाया. वहीं, इस दौरान राजस्थान एसीबी ने इंडियन पोस्टल सर्विसेज के एक अधिकारी प्रदीप झाझरिया को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया और उसी प्रकरण में उनके लिए दलाली करने वाला अमित शर्मा भी गिरफ्तार हो गया.

फर्म को बहाल कराने के लिए आरएसएलडीसी के स्कीम को-ऑर्डिनेटर और प्रबंधक ने मांगे 6 लाख : दलाल अमित शर्मा के गिरफ्तार होने के बाद परिवादी ने जब अपनी फर्म को बहाल कराने के लिए आरएसएलडीसी के अधिकारियों से मुलाकात की तो स्कीम को-ऑर्डिनेटर अशोक सांगवान और प्रबंधक राहुल कुमार गर्ग ने 6 लाख रुपये देने पर काम करवाने का वादा किया. साथ ही दोनों ने परिवादी को यह भी कहा कि वह आरएसएलडीसी के जीएम, एमडी और चेयरमैन सब की तरफ से बात करते हैं और पुख्ता काम करवाते हैं.

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इस दौरान परिवादी ने एसीबी मुख्यालय पहुंच कर अशोक और राहुल द्वारा 6 लाख रुपये की घूस मांगे जाने की शिकायत दर्ज करवाई. जिस पर एसीबी टीम ने शिकायत का सत्यापन किया और शनिवार को ट्रेप की कार्रवाई को अंजाम देते हुए रिश्वत राशि लेते हुए अशोक व राहुल को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्त में आए रिश्वतखोरों ने आरएसएलडीसी के तमाम आला अधिकारियों की तरफ से काम करवाने की गारंटी दी थी. जिसके चलते आरएसएलडीसी में पदस्थापित 2 आईएएस अधिकारी नीरज के. पवन और प्रदीप गावंडे के मोबाइल फोन एसीबी में सीज किए हैं. इसके साथ ही आरएसएलडीसी के कई अधिकारियों और उनके निजी सहायकों के कक्ष भी सीज किए गए हैं.

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