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Ground Report : हर साल 1000 करोड़ खर्च होने के बाद भी सड़क पर गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में नजर आती है सड़क...

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Published : Mar 15, 2022, 7:50 PM IST

Road Conditions in Rajasthan
राजस्थान में सड़कों की स्थिति

कर्नाटक के बेंगलुरू में सड़क हादसे में एक युवक की जान चली गई. युवक की जान सड़क पर बने गड्ढे की वजह से गई है. सड़क पर गड्ढों के लिए सरकार और सिस्टम जिम्मेदार है. बात अगर राजस्थान की करें तो यहां भी हर साल 1000 करोड़ रुपए सड़क रिपेयर के नाम पर खर्च होते हैं. सड़क रिपेयर के लिए हर साल भारी-भरकम बजट भी जारी होता है, लेकिन लोगों को सड़क के गड्ढों की समस्या से निजात नहीं मिल पाती.

जयपुर/जोधपुर/कोटा/अलवर. कर्नाटक के बेंगलुरु में रविवार को सड़क पर गड्ढों के कारण हुए हादसे में एक युवक की जान चली गई. 27 वर्षीय अश्विन की मौत (Pothole Claims Bengaluru Young Man Life) सड़क पर हुए गड्ढों के कारण गई है. इस हादसे ने पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगा दिया है. सड़क पर गड्ढे भरने और उसे रिपेयर करने के लिए हर साल सैंकड़ों करोड़ रुपए का बजट जारी होता है. ये पैसा खर्च भी होता है, बावजूद इसके सड़कों की सूरत दुरुस्त नहीं हो पाती है.

बदहाल सड़कों के कारण हर साल (Death Due to Bad Condition of Roads) सैंकड़ों लोगों की मौत होती है. बावजूद इसके सरकार से लेकर नोकरशाही तक के पास इसका ठोस हल नहीं है. बस हर साल रिपेयर सड़क के नाम पर सैंकड़ों करोड़ का बजट खर्च होता रहता है.

नेहा खुल्लर ने क्या कहा...

बात अगर राजस्थान की करें तो यहां पर हर साल सड़क रिपेयर के लिए करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च किया जाता है. लेकिन इसके बाद भी राज्य में सड़कों की हालत बदतर ही बनी रहती है. इन सड़कों पर चलते हुए आमजन को हर दिन समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. राजस्थान हर साल सड़क हादसे में 8 से 10 हजार लोगों की मौत हो जाती है. हालांकि, सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों में बदहाल सड़क से होने वाली मौतों को लेकर अलग से कोई जानकारी नहीं है.

बदहाल सड़क और सरकारी सिस्टम की लचरता के कारण हर साल लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. अकेले राजधानी जयपुर में हर साल 250 करोड़ रुपए से सड़कें बनती हैं. जो बारिश के दिनों में टूट जाती हैं और उसके बाद फिर सड़कों पर अच्छा खासा बजट खर्च किया जाता है. जिम्मेदार न तो जलभराव को रोकने का काम करते और न ही इस विकट समस्या का समाधान खोजने की कोशिश करते. ये उधड़ी हुई सड़कें दुर्घटनाओं को (Road Accidents in Rajasthan) हर दिन और हर पल न्योता दे रही हैं.

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सीएम ने बनाया विशेष फंड, लेकिन पैसा बिन सब अधूराः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में एक विशेष फंड का गठन किया. सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से राज्य के सभी नगर निगम की 30 किलोमीटर, नगर परिषद की 20 किलोमीटर और नगर पालिका की 10 किलोमीटर मुख्य सड़कों के मेजर रिपेयर कार्य करवाने की घोषणा की थी. जिस पर लगभग 1 हजार करोड़ रुपये खर्च होने थे. सार्वजनिक निर्माण विभाग को ये राशि उपलब्ध करवाने के लिए वित्त विभाग की सहमति के बाद हुडको से लोन लिया जाना है.

कुछ इसी तरह की बजट घोषणा इस वित्तीय वर्ष में भी की गई है. जिसमें नगर निगम में 40 किलोमीटर, नगर परिषद में 25 किलोमीटर और नगरपालिका में 15 किलोमीटर मुख्य सड़कों के मेजर रिपेयर पर 1200 करोड़ खर्च कर किया जाएगा. यही नहीं, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए 10-10 करोड़ के बजट की भी घोषणा की गई है. लेकिन इन घोषणाओं के परे सड़क का काम करने वाले विभाग नगरीय निकाय और सार्वजनिक निर्माण विभाग वित्तीय स्थिति सही नहीं है. जिसके चलते ये घोषणाएं महज कागजों तक सिमटी हुई है.

राजधानी के यह हैं हालातः राजधानी जयपुर की बात की जाए तो यहां दोनों नगर निगमों के फेल हो जाने के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण ने सड़क निर्माण कार्य के लिए कमर कसी है. परकोटा को छोड़ मुख्य शहर में 60 फीट और इससे चौड़ी सड़कों की जिम्मेदारी जेडीए को दी गई है. जेडीए 2 चरणों में इन सड़कों के नवीनीकरण, सुदृढीकरण और मरम्मतीकरण का काम करेगा. पहले चरण में 26 मुख्य सड़कों को चिह्नित कर टेंडर जारी कर दिया गया है. अगले 15 दिन में कम्पलीट मैपिंग कर जेडीए इसे ऑनलाइन कर देगा.

यहां सड़क पर गड्ढे नहीं गड्ढों में सड़क हैः जयपुर में दूसरे चरण में 12 सड़कों को और चिह्नित कर लिया गया है. राज्य सरकार के स्तर पर फैसला लेने के बाद जेडीए ने आउटर एरिया में सड़क नवीनीकरण और सुदृढ़ीकरण का काम शुरू भी कर दिया है.

हालांकि, परकोटा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे कामों की वजह से जगह-जगह खुदा हुआ है. यहां सड़क पर गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में सड़क नजर आती है. प्रबंधन की कमी के चलते स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एक साथ परकोटे में कई स्थानों पर सड़क निर्माण का काम किया जा रहा है. लेकिन पूरा कहीं भी नहीं हो सका है. ऐसे में अब ये सड़कें दुर्घटनाओं को भी न्योता देती दिख रही है.

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इस बार भी बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शहरों में आमजन की सुविधा, यातायात दबाव कम करने और सुनियोजित विकास कार्य के लिए करोड़ों रुपए का अतिरिक्त बजट अनाउंस किया है. लेकिन ये प्रदेश के लिए तब तक काफी नहीं है, जब तक इन घोषणाओं को धरातल पर उतारा नहीं जाता.

नए मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माने का है प्रावधानः नए मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के सेक्शन 198ए में खराब सड़क को लेकर जुर्माने का प्रावधान दिया गया है. एक्ट के अनुसार सड़क बनाने वाले ठेकेदारों की ओर से फॉल्टी सड़क डिजाइन, निम्न स्तर का निर्माण और रख-रखाव में लापरवाही करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

मुस्कान फाउंडेशन रोड सेफ्टी एनजीओ में डायरेक्टर प्रोजेक्ट नेहा खुल्लर ने बताया कि सड़क हादसों एक बड़ी वजह फॉल्टी रोड इंजीनियरिंग भी है. जानकारों की मानें तो यदि सड़कों का निर्माण सही तरीके से हो सुरक्षित सड़के बनाई जाए तो रोड एक्सीडेंट में होने वाले मौत के मामलों को 70 फीसदी तक घटाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि रोड ट्रैफिक बढ़ने से सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है, जो सड़कों को असुरक्षित बना रहा है. इसकी तुलना में ट्रैफिक को सेग्रीगेट, रोड साइनेज, मार्किंग और सिग्नल की मदद से ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है और सड़कों को भी सुरक्षित किया जा सकता है. देश में रोड एक्सीडेंट के 80 प्रतिशत मामलों में ड्राइवर फॉल्ट दर्शाया जाता है. अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र नहीं किया जाता.

हालांकि, 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट संशोधन हुआ तो इसमें सेक्शन 198ए जोड़ा गया था जो कि फॉल्टी रोड इंजीनियरिंग से डील करता है. जिसके तहत इन्वेस्टिगेशन में ये पाया जाता है कि सड़क पर दुर्घटना हुई है और वो फॉल्टी रोड इंजीनियरिंग से हुई है तो संबंधित रोड इंजीनियर, एजेंसी और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक लाख तक का जुर्माना वसूलने का प्रावधान तय किया गया है.

सड़क हादसों में इतनी हुई मौतें :

Road Accidents in Rajasthan
राजस्थान में सड़क दुर्घटना की स्थिति...

सीएम का गृह जिला जोधपुर, बदहाल सड़क से लोग परेशानः जोधपुर राजस्थान का दूसरा महानगर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृहनगर भी यही है. लेकिन इसके बावजूद यहां की सडकों पर गड्ढे साल भर बने रहते हैं. यदा कदा नगर निगम जेडीए इनको दुरुस्त करवाता है. लेकिन पानी निकासी नहीं होने से कुछ दिनों में सड़क फिर से गडढों में तब्दिल हो जाती है.

महीनों से तोड़ रखी है सड़क, संभले नहीं तो हादसा पक्काः जोधपुर शहर के ज्यादातर प्रमुख सडकों के यही हालात हैं. भीतरी शहर में सड़क बनाने के नाम पर महीनों से पुरानी सडकों को तोड़ कर रखा हुआ है. जबकि सरदारपुरा सी रोड जलजोग चौराहा हर समय टूटा रहता है.

जोधपुर में सड़कों की स्थिति...

इसी तरह से पांचवी रोड से बारहवीं रोड चौराहा तक बीच में कई बडे गड्ढे हैं. इसके आगे पाल रोड पर दल्ले खां की चक्की चौराहा पर तो हालात और ज्यादा खराब हैं. यहां सड़क पर इतने बड़े गड्ढे हैं कि कोई वाहन बिना रूके नहीं निकल सकता. यह हालात ​पिछले तीन माह से बने हुए है. लेकिन इसके बावजूद संबंधित विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

उदयपुर में सड़कों से गुजरना आसान नहींः उदयपुर देश दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए अलग पहचान रखता है. उदयपुर में बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. लेकिन शहर की सड़कों पर हुए गड्ढों से यहां आने वाले पर्यटकों को हर दिन दो-चार होना पड़ता है. शहर के अंदरूनी भाग में कई व्यस्ततम मार्ग तो अभी भी बंद है.

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इतना ही नहीं कई सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे होने से यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. हालांकि, नगर निगम और यूआईटी सड़कें दुरुस्त करने की बड़ी-बड़ी बातें जरूर करते हैं, लेकिन सड़कों की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आती है. गड्ढों के कारण आए दिन सड़क हादसे घटित होते रहते हैं.

अलवर में सड़क पर सरपट दौड़ जानलेवा हो सकती हैः अगर आप राजस्थान के सिंहद्वार व पर्यटन नगरी घूमने अलवर आ रहे हैं तो सावधान रहें. सड़क पर सरपट भागने की कोशिश जान लेवा हो सकती है. क्योंकि अलवर की सड़कों के हालत खराब हैं. सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि कई जगह पता ही नहीं चलता है कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क. इनमें कुछ तो डेंजर जोन के रूप में मुंह बाए खड़ी है.

अलवर में सड़कों की स्थिति...

इन गड्ढों वाली सड़कों की हालत ऐसी बन चुकी है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी. अलवर जिले में 1150 किलोमीटर की सड़क टूटी हुई है. जगह-जगह पर गड्ढे हैं. शहर की सड़कों के अलावा स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे व शहर की सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई है.

पढ़ें : बेंगलुरु में सड़क के गड्ढे के कारण युवक की गई जान

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया था कि देश में हर साल तकरीबन 1 लाख 60 हजार लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत होती हैं. जिनमें से कुछ मौतें सड़कों पर बने गड्ढों की वजह से होती हैं. उसके बाद भी अलवर प्रशासन का सड़क के गड्ढों पर कोई ध्यान नहीं है. अलवर में शायद ही ऐसी कोई सड़क होगी जिस पर गड्ढा ना हो. प्रदेश सरकार ने अलवर को 'स्मार्ट शहर' बनाने की घोषणा की है. लेकिन जब तक सड़कें टूटी हुई हैं तो शहर स्मार्ट कैसे बन सकता है?.

बारिश के बाद हालात ज्यादा खराबः रखरखाव और देखरेख के अभाव में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं. जैसे ही बारिश होती है, ये गड्ढे में तब्दील होकर हादसे का कारण बन जाते हैं. चूंकि बारिश होने के बाद सड़क पर पानी भर जाता है, जिससे सड़क पर बने गड्ढे नहीं दिखते हैं. रात के समय स्थिति और भी भयावह हो जाती है. अंधेरे में कई बार हादसे का शिकार लोग हो चुके हैं.

हाईवे के हालात ज्यादा खराबः अलवर से गुजरने वाले स्टेट हाईवे के हालात ज्यादा खराब हैं. अलवर-सिकंदरा, अलवर-भिवाड़ी, अलवर-बहरोड व अलवर-मथुरा सड़क मार्ग पूरी तरह से टूटा हुआ है. सभी सड़क मार्ग पर लोगों को भारी टोल देना पड़ता है. शहर से बाहर निकलते ही लोगों की जेब कटती है. लेकिन सड़क की स्थिति सुधारने के लिए जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती.

बाड़मेर में सड़क निर्माण की अजीबोगरीब तस्वीरें वायरलः बाड़मेर जिले में पिछले कुछ घंटों से सड़क निर्माण की अजीबोगरीब तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. सड़क निर्माण के दौरान सड़क के बीचों बीच खड़े विद्युत के पोल नहीं हटाया गया. बिना पोल हटाए बनाई गई सड़क हादसे को न्योता दे रही है. इस सड़क निर्माण पर स्थानीय स्तर पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं.

कोटा शहर की 50 किलोमीटर की सड़कें बनी एक्सीडेंटल जोन : शहर में करीब 50 किलोमीटर की सड़कों पर डायवर्जन किया हुआ है. डायवर्जन वाले रास्ते भी खतरनाक है. कहीं तो नहर के किनारे से डायवर्जन कर दिया है. ऐसे में वहां पर नहर की सुरक्षा दीवार नहीं होने से खतरा बना हुआ है. वहीं, कई रास्ते पूरी तरह से खस्ताहाल और उबड़-खाबड़ हैं, जिन पर भी गिरकर वाहन चालक घायल हो रहे हैं और हादसे से लगातार कोटा शहर में हो रहे हैं.

कोटा शहर में नगर विकास न्यास और स्मार्ट सिटी के जरिए 3000 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं. इसके अलावा भी राजस्थान अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत भी सीवरेज लाइन का काम चल रहा है. इसके तहत शहर की सड़कें पूरी तरह से खुदी हुई है. शहर में करीब 50 किलोमीटर की सड़कों पर डायवर्जन किया हुआ है. डायवर्जन वाले रास्ते भी खतरनाक है. कहीं तो नहर के किनारे से डायवर्जन कर दिया है.

कोटा में सड़कों की स्थिति...

ऐसे में वहां पर नहर की सुरक्षा दीवार नहीं होने से खतरा बना हुआ है. वहीं, कई रास्ते पूरी तरह से खस्ताहाल और उबड़ खाबड़ हैं, जिन पर भी गिरकर वाहन चालक घायल हो रहे हैं और हादसे से लगातार कोटा शहर में हो रहे हैं. दूसरी तरफ सीवरेज लाइन डालने का काम जहां पर छोटी होती गलियों और कॉलोनी में भी किया जा रहा है. इसमें छोटी सड़कों पर सीवरेज लाइनों को पंपिंग स्टेशनों से जोड़ा जा रहा है.

इन पंपिंग स्टेशनों से भी ट्रीटमेंट प्लांट तक यह लाइनें डाली जा रही है. ऐसे में करीब अलग-अलग इलाकों में 6 इंच से लेकर करीब 10 फुट तक की लाइनें डाली जा रही हैं. जिनके लिए बड़े गड्ढे सड़कों पर किए हुए हैं. जहां निर्माण के साथ सुरक्षा का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है. इनके नजदीक से ही रास्ते निकल रहे हैं. जिनसे भी दुर्घटना हो रही है.

निर्माण कार्य के चलते बढ़ गया है हैवी ट्रैफिक : कोटा शहर में कुल्हाड़ी, एरोड्रम, नयापुरा, बोरखेड़ा, गोबरिया बावड़ी, झालावाड़ रोड व अनंतपुरा इलाके में प्रमुखता से कार्य चल रहे हैं. इसके चलते यहां पर हैवी वाहन गुजर रहे हैं. पहले जहां पर दिन भर में 10 बड़े हैवी वाहन नहीं गुजरते थे. अब यह संख्या 300 के आसपास पहुंच गई है. इनमें डम्पर, मिट्टी ले जाने वाले बड़े ट्रेलर और भारी बुलडोजर व मशीनरी शामिल है. सड़कों पर तेज गति से दौड़ते यह वाहन हादसों को बुलावा दे रहे हैं.

इनके चलते हादसे भी हुए हैं और कई लोगों की मौत भी गई है. कोटा शहर एसपी केशव सिंह शेखावत भी मानते हैं कि निर्माण चल रहा है कि इनके चलते हादसे बढ़ गए हैं. अभी लोगों को समस्या हो रही है. उनका कहना है कि जहां भी लोगों को दिक्कत होती है, वह ट्रैफिक पुलिस के जवानों की ड्यूटी बढ़ा देते हैं. डायवर्जन वाले रास्तों पर सुरक्षा के लिए जवानों को तैनात किया हुआ है, लेकिन जब तक निर्माण कार्य चलेंगे, लोगों को समस्या रहेगी. लोग भी थोड़ा संयम बरतें और सुरक्षित चलने का प्रयास करें.

3 में से 1 पुल चालू, 5000 से ज्यादा वाहनों का लोड उसी पर : चंबल नदी पर नयापुरा से कुन्हाड़ी महाराणा प्रताप सर्किल को जोड़ने के लिए तीन पुल है. जिसमें एक रियासत कालीन और दो हाई लेवल ब्रिज बनाए गए हैं. इन पर आवागमन सुचारु रुप से चालू रहता है, लेकिन निर्माण कार्य के चलते वर्तमान में चंबल नदी के हाई लेवल 1 ब्रिज को बंद किया हुआ है. साथ ही नीचे की पुलिया पर सभी लोगों को गुजरने नहीं दिया जा रहा. उसे 'आम रास्ता नहीं है' की सूचना लगाकर बंद कर दिया है.

इसके चलते पूरा हैवी ट्रैफिक एक ही ब्रिज से होकर गुजर रहा है. जिसके चलते हादसे हो रहे हैं. इस ब्रिज पर से करीब 5000 से ज्यादा वाहन इधर से उधर जाते हैं. साथ ही कोटा शहर में भी प्रवेश करने का यही एक रास्ता है. निर्माण कार्य के चलते भारी वाहन इन्हीं पर से होकर गुजर रहे हैं.

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