ETV Bharat / city

World Hearing Day: बदलती आदतों से बढ़ रहा है बहरापन, WHO ने सेफ हियरिंग को बनाया 2022 की थीम

author img

By

Published : Mar 3, 2022, 1:33 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 1:46 PM IST

World Hearing Day
World Hearing Day

3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) मनाया जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल सेफ हियरिंग को थीम बनाया है. हमारे दैनिक जीवन में कोरोना के चलते बदलती जीवनशैली में सामान्य से अधिक लोगों में बहरेपन या कम सुनने के मामले पहले की अपेक्षा बढ़ते जा रहे हैं. यह परेशानी ज्यादातर बच्चों, युवाओं और बजुर्गों में ज्यादा दिख रही है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

जयपुर. गुरुवार 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) मनाया जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल सेफ हियरिंग को थीम बनाया है. जाहिर है कि साल 2021 में WHO ने ये पाया था कि दिन-ब-दिन लोगों में सुनने की ताकत कम होती जा रही है. शोर को काबू करने के सात प्रमुख बिन्दु H.E.A.R.I.N.G में तेज आवाज के स्त्रोत को कम करने पर जोर दिया गया है. बहरापन और सुनने की ताकत में होने वाले नुकसान को रोकने और जागरूकता के मकसद से हर साल तीन मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता है.

WHO का मानना है कि संचार मानव का मौलिक अधिकार है और दुनियाभर में 360 मिलियन लोग बहरेपन की समस्या से पीड़ित है. ऐसे में इन लोगों को उनके अधिकार के लिये जागरूक करना वर्ल्ड हियरिंग डे का मकसद है.

बदलती आदतों से बढ़ रहा है बहरापन

कोरोना ने बदली जीवन शैली, ऑनलाइन मोड से बढ़ने लगा बहरापन: हमारे दैनिक जीवन में कोरोना के चलते बदलती जीवनशैली में सामान्य से अधिक लोगों में बहरेपन या कम सुनने के मामले पहले की अपेक्षा बढ़ते जा रहे हैं. यह परेशानी ज्यादातर बच्चों, युवाओं और बजुर्गों में ज्यादा दिख रही है. जोकि परेशानी का सबब बनता जा रहा है. कोरोना के चलते ज्यादातर शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थी हैड फोन या इयर-बड्स लगाकार आनॅलाइन कक्षाएं ले रहे हैं और जो लोग वर्क फ्रोम होम से काम कर हैं, उन्हे भी आनॅलाइन काम करना पड़ रहा है, वे सब इसका शिकार हो रहे हैं.

पढ़ें- लोगों में श्रवण समस्याओं के प्रति जन जागरूकता फैलाना जरूरी : विश्व श्रवण दिवस

ऐसे में विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) के मौके पर विशेषज्ञ इस दिशा में अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं. राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ENT विशेषज्ञ (नाक गला विभाग वरिष्ठ आचार्य) डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि विश्व श्रवण दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2022 के लिए 'जीवन के लिए सुनना, ध्यान से सुनना' थीम तय की है. जिसका मकसद दुनियाभर में सुनने के सुरक्षित माध्यम से बहरेपन की रोकथाम और साधनों पर ध्यान देना होगा.

राजस्थान में पहले से अधिक मामले : विश्व स्वास्थ्य संगठन से जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा बहरेपन की समस्या विकासशील देशों में और कम विकसित देशों में देखने को मिलती है. जहां न तो इस समस्या से निपटने की व्यवस्था है और न ही यहां के लोग जागरूक है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकसित नहीं होना भी एक वजह है. डॉ.सिंघल ने बताया कि सवाई मानसिंह अस्पताल में भी पहले से अधिक मामले बहरेपन के आ रहे हैं. इससे कम उम्र के युवा और बच्चों के साथ बुजुर्ग भी इससे प्रभावित हो रहे हैं. मतलब ईएनटी की समस्या से जुड़े ज्यादातर लोगों में सुनने की परेशानी हो रही है और अस्पताल में भी इस तरह के मामले इन दिनों सबसे अधिक आ रहे हैं.

ज्यादा देर तक मोबाइल पर बात करना, तेज आवाज में संगीत सुनने या गेम खेलना सबसे अधिक नुकसानदायक है. डॉक्टर सिंघल के अनुसार सुनने की समस्या पहले या तो जन्मजात होती थी या फिर जो लोग तेज धमाकों या तेज आवाज के साथ काम करते थे, उन्हे इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद शिक्षण संस्थाओं की आनॅलाइन कक्षाओं में जो विद्यार्थी ईयर फोन या इयर-बड्स का उपभोग करते हैं, उन्हे भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. हमारे कान की सुनने की क्षमता 80 डेसिबल होती है, लेकिन आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोग अपनी सुनने की क्षमता को ही खो बैठते हैं. जीवन के सभी चरणों में अच्छी श्रवण शक्ति और संचार महत्वपूर्ण है.

बदलती जीवनशैली बड़ा कारण: नाक, कान और गला विशेषज्ञों के मुताबिक रोजमर्रा की जिंदगी में बदलती आदतें भी परेशानी पैदा कर रही है. लोग अपने वजन पर काबू नहीं रख पाते और मोटापे से ग्रसित लोगों में भी बहरेपन का खतरा अधिक होता है. राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बने डॉक्टर सिंघल ने बताया कि देशभर में प्रति एक हजार बच्चों मे से 4 से अधिक बच्चों को बहरेपन का सामना करना पड़ रहा है. इन बच्चों को समय पर सुनने की जांच न मिल पाने के कारण ये आवाज से वंचित रह जाते है. इसके लिए नवजात शिशु की जांच अनिवार्य हो और इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया जाए जिसमें सुनने की जांच हो सके. इसी वजह से वॉयस ऑफ साइलेंस अभियान नाम से एक मुहिम भी चलाई गई है.

इसलिए विश्व श्रवण दिवस पर सुखम फाउंडेशन व एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में वाॅयस ऑफ साइलेंस अभियान का आगाज वर्ष 2020 में किया गया था. यह अभियान देशभर में चलाया जा रहा है. इस अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडाविया को एक लाख पोस्टकार्ड देश के विभिन्न हिस्सों से बच्चों की ओर से भेजे जा रहे हैं.

सरकार से अपील: सुखम फाउंडेशन व एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में वाॅयस ऑफ साइलेंस अभियान की ब्रांड एंबेसडर लिपि ने कहा कि सभी को सुनने का अधिकार है, तभी वे जीवन में विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं. इसलिए नवजात शिशु की सुनने की जांच से बच्चों का सम्पूर्ण जीवन स्तर सुधारा जा सकता है. इस अभियान के माध्यम से निरंतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से 'नीओनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग' को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाने की मांग की जा रही है.

अच्छे चिकित्सक से ले परामर्श : बहरेपन या कानों से जुड़ी किसी तरह की समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह ले. समय पर जांच कराने से कई तरह की समस्या से आप बच सकते हैं.

ये रखें सावधानियां: सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान, नाक, गला विभाग आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि सभी को अपनी जीवनशैली में सुधार करना चाहिए. जिसमें खासतौर पर खानपान और अपनी दैनिक जीवन की आदतों में बदलाव करें. इसके साथ हमेशा तेज पटाखों के शोर, तेज आवाज, ईयर फोन, ईयर बट्स से दूरी बनाए रखें.

Last Updated :Mar 3, 2022, 1:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.