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जयपुर: नवरात्र के दौरान बंगाली समाज ने की संधि पूजा, 'कद्दू' और 'केलों' की दी बलि

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Published : Oct 6, 2019, 6:18 PM IST

Bengali durga Puja, जयपुर न्यूज

राजधानी के जय क्लब में बंगाली समाज ने काली की प्रतिमा स्थापित कर संधि पूजा की. जिसमें पारंपरिक रूप से कद्दू और केलों की बलि दी गई.

जयपुर. नवरात्रि में अष्टमी के मौके पर देशभर में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में जयपुर में भी प्रवासी बंगाली कल्चर सोसायटी की ओर से जय क्लब में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. जिसमें खासतौर पर रविवार को संधि पूजा हुई. इस मौके पर पारंपरिक रूप से बलि भी दी गई.

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इस मौके पर भैंसे के रूप में कद्दू और 108 बकरे के रूप में 108 किलो केलों की बलि दी गई. जिसमें बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग मौजूद रहे. इस बार काली की प्रतिमा के साथ गणेश, कार्तिकेय सहित पांच प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं.

जयपुर में बंगाली समाज ने की संधि पूजा

शहर में जहां नवरात्र का पर्व 9 दिन मनाया जा रहा है, वहीं बंगाली समाज में 4 दिन के लिए काली की प्रतिमा स्थापित करके उत्सव मनाया जाता है. अष्टमी पर जो 44 मिनट का संधिकाल होता है उसमें ही देवी की संधि पूजा होती है.

Intro:जय क्लब में बंगाली समाज ने काली की प्रतिमा स्थापित कर संधि पूजा की. जिसमें पारंपरिक रूप से बलि भी दी गई. हालांकि इसमें भैंसे के रूप में कद्दू और 108 बकरे के रूप में 108 किलो केलों की बलि दी गई. बंगाली समाज ने 44 मिनट संधि पूजा करके देवी की उपासना की.


Body:जयपुर : नवरात्रि में अष्टमी के मौके पर देशभर में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में जयपुर में भी प्रोबासी बंगाली कल्चर सोसायटी की ओर से जय क्लब में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया. जिसमें खासतौर पर आज संधि पूजा हुई. इस मौके पर पारंपरिक रूप से बलि भी दी गई.

जय क्लब में बंगाली समाज ने काली की प्रतिमा स्थापित की है. प्रतिमा में महिषासुर मर्दनी देवी दुर्गा के अलावा भगवान गणेश, कार्तिकेय सहित पांच प्रतिमाएं स्थापित की गई है. हालांकि इस मौके पर भैंसे के रूप में कद्दू और 108 बकरे के रूप में 108 किलो केलों की बलि दी गई. जिसके बाद विशेष तरह के फूल भी मां दुर्गा को अर्पित किए गए. संधि पूजा के बाद विशेष आरती का आयोजन भी किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में बंगाली समाज के लोग मौजूद रहे.

शहर में जहां नवरात्र का पर्व 9 दिन मनाया जा रहा है वहीं बंगाली समाज में 4 दिन के लिए काली की प्रतिमा स्थापित करके उत्सव मनाया जाता है. बंगाली समाज ने संधि पूजा करके देवी की उपासना की. अष्टमी पर जो 44 मिनट का संधिकाल होता है उसमें ही देवी की संधि पूजा होती है. देवी माँ ने वरदान प्राप्त चंडमुंड का वध इसी संधिकाल में किया था. क्योंकि संधिकाल में कोई तिथि नहीं होती है. किसी भी तिथि में नहीं मरने का वरदान राक्षसों को था. इसलिए देवी माँ उनका वध संधिकाल में करके चामुंडा कहलाई. इसके अलावा संधिकाल से देवासुर संग्राम का महत्व भी जुआ है. देवता और दानवों में इस काल में संधि हुई थी, इसलिए संधिकाल का महत्व ज्यादा है.

बाइट- सुभाष दत्ता, कोषाध्यक्ष,प्रोबासी बंगाली कल्चर सोसायटी


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