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SPECIAL: भीलवाड़ा में कुछ दिनों की राहत के बाद फिर से बढ़ने लगा प्रदूषण का ग्राफ, जानिए विशेषज्ञों ने क्या कहा

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Published : Jul 27, 2020, 3:19 PM IST

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प्रदूषण के चलते प्रकृति में हो रहा अवांछनीय परिवर्तन

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले में संचालित प्रोसेस हाउस, हर रोज प्रदूषित पानी छोड़ने के कारण प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इस संबंध में वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष ने कहा कि इस प्रदूषित पानी से प्रकृति के जैविक, रासायनिक और भौतिक गुणों में अवांछनीय परिवर्तन हो रहे हैं, जिसका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है. आइए देखें एक स्पेशल रिपोर्ट...

भीलवाड़ा. कोरोना संक्रमण के चलते देश में लॉकडाउन की स्थिति बन गई. जिसके चलते प्रोसेस हाउस को बंद कर दिया. इससे भीलवाड़ा जिले का पर्यावरण काफी शुद्ध हो गया था. लेकिन अब अनलॉक के तहत जिले में एक बार फिर से कुछ प्रोसेस हाउस शुरू हो चुके हैं. जिससे एक बार फिर से इन प्रोसेस हाउस से प्रदूषित पानी छोड़ने के कारण किसानों की जमीन, पीने का पानी सहित वायु प्रदूषित हो गई है. इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने चित्तौड़गढ़ नेशनल हाईवे के पास संचालित प्रोसेस हाउस के आसपास की स्थिति का जायजा लिया.

प्रदूषण के चलते प्रकृति में हो रहा अवांछनीय परिवर्तन

इस दौरान सामने आया कि जहां कुछ प्रोसेस हाउस द्वारा वर्षा ऋतु को देखते हुए प्रदूषित पानी को बाहर छोड़ा जा रहा है. वहीं, इससे प्रदूषण भी काफी बढ़ता जा रहा है. इसके चलते जिले के चित्तौड़गढ़ रोड के आसपास पीने वाले पानी के कुएं भी प्रदूषित हो चुके हैं और आसपास उस पानी में बदबू भी आ रही है, जिससे मानव जीवन पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, प्रोसेस हाउस से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर ईटीवी भारत की टीम जब माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय पहुंची. जहां इस संबंध में महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया के पास पहुंची.

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इस पर जागेटिया का कहना था कि प्रदूषण का तात्पर्य मनुष्य द्वारा पर्यावरण को अशुद्ध करने से हैं, जिससे पर्यावरण की गुणवत्ता कम हो जाती है. तकनीकी रूप से भूमि, वायु या जल में जैविक, रासायनिक गुणों में परिवर्तन होते हैं, उससे प्रदूषण बढ़ता है. प्रदूषण होने का ही कारण है कि वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में प्रदूषण यहां की औद्योगिक इकाइयों द्वारा छोड़े जाने वाले अपशिष्ट जल से है. जिससे प्रदूषित जल वहां की भूमिगत जल, सरफेस वाटर बॉडी को प्रदूषित करता है. प्रोसेस हाउस से जो प्रदूषित जल बाहर छोड़ा जाता है, उस जल में हैवी मैटलस बहुतायत से पाए जाते हैं.

इसके साथ ही जागेटिया ने कहा कि राइज प्रोसेसिंग के रूप में जो केमिकल काम लिया जाता हैं, उनकी मात्रा बहुत अधिक होती है. इसमें ग्रीस और कलर की कुछ मात्रा होती हैं, जो भूमिगत जल में मिलते हैं. इससे तालाब में भरा पानी प्रदूषित हो जाता है, जिससे यह पानी पीने योग्य नहीं रहता है. वहीं, कृषि योग्य भूमि भी खराब हो गई है. इसका मनुष्य जीवन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. मनुष्य के शरीर में तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियां और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है, यहां तक कि यह कैंसर कारक भी हो सकता है.

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वस्त्र नगरी में चलता प्रोसेस हाउस

इसके बाद ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के कार्यालय पहुंची. जहां टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग से टीम ने खास बातचीत की. इस दौरान गर्ग ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में कुल 20 प्रोसेस हाउस है. इनमें से वर्तमान में 5-6 प्रोसेस हाउस ही सक्रिय है और बाकी सभी बंद चल रहे है. इस दौरान प्रदूषित पानी को बाहर छोड़ने के सवाल पर जवाब देने से गर्ग बार-बार कतराते रहे.

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इसके साथ ही गर्ग का कहना था कि कोरोना काल में प्रदूषित पानी छोड़ना संभव नहीं है. क्योंकि, 20 प्रोसेस हाउस में से महज 5-6 प्रोसेस हाउस ही चल रहे हैं. ऊपर से सरकारी गाइडलाइन की पालना की जा रही है. फिर भी अगर कोई प्रोसेस हाउस बंद करने से पहले इस पानी को छोड़ता है, तो वह गलत है. अब देखना यह होगा कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल इन प्रोसेस हाउस के संचालकों के खिलाफ आखिर कब तक कोई ठोस कदम उठाती है, जिससे कि इन प्रोसेस हाउस से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण पर रोक लग सके.

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