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सरिस्का के गांवों में प्रकृति बनी ढाल, अब तक कोरोना के एक भी मामले नहीं...देसी खानपान से बढ़ा रहे इम्यूनिटी

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Published : May 22, 2021, 12:18 PM IST

रिस्का के गांवों में कोरोना,  प्रकृति बनी ढाल, कोरोना के कोई मामले नहीं, Corona in the villages of Sariska,  Nature shield for villagers,  No corona cases
सरिस्का के गांवों में प्रकृति बनी ढाल

कोरोना महामारी शहरों के साथ अब गांवों में भी तेजी से पांव पसार रही है. जागरूकता और व्यवस्थाओं के अभाव में लोगों की जानें जा रही हैं वहीं अलवर के सरिस्का क्षेत्र के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां अब तक एक भी कोरोना के मामले नहीं आए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में बसे गांव की शुद्ध हवा और देसी खानपान ही उन्हें स्वस्थ रखी हुई है.

अलवर. देश में कोरोना बेकाबू हो रहा है और हालात खराब हो रहे हैं. लंबे समय से घर में रह रहे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं. जिले भर में कोरोना से लोगों की जान जा रही है. अलवर शहर के साथ ही कोरोना संक्रमण ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहा है. इन सबके बीच सरिस्का बाघ परियोजना में बसे ग्रामीणों को इस बीमारी से बचाने में प्रकृति ढाल का काम कर रही है. जंगल की शुद्ध आबोहवा और मेहनतकश ग्रामीणों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण सरिस्का के घने जंगल में बसे गांवों में बीमारी पांव नहीं पसार सकी है.

सरिस्का के गांवों में प्रकृति बनी ढाल

शहरी क्षेत्र के साथ ही अब ग्रामीण इलाकों में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. घर-घर में लोग बीमार हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के बेहतर इंतजाम नहीं होने के कारण लगातार लोगों की जान जा रही है. इन सबके बीच अलवर के सरिस्का क्षेत्र में बसे गांव में अभी भी कोरोना की 'नो एंट्री' है. संक्रमण के फैलाव के बाद भी कोरोना जैसी महामारी की चपेट में अब तक एक भी व्यक्ति नहीं आया है. इन गांवों के लिए प्रकृति ही ढाल बनी हुई है.

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न गांव से बाहर जाते हैं, न बाहरी को आने देते हैं

गांव की शुद्ध हवा व दिनभर की मेहनत से यहां के लोगों की इम्युनिटी पावर इतनी मजबूत है कि बीमारी इन्हें छू भी नहीं पा रही है. शहरी क्षेत्र के लोगों की तुलना में गांव के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के बिगड़ते हालात को देखते हुए सरिस्का के इन गांव के लोगों ने बाहरी लोगों के संपर्क में नहीं आने का फैसला लिया है. बाहरी लोगों के आने पर भी रोक लगा दी गई है. साथ ही गांव के लोग भी बाहर नहीं जा रहे हैं. कुछ लोग घरेलू सामान लेने के लिए जाते हैं जो वापस लौटने के बाद तुरंत नहाते हैं. अपने कपड़े साफ करते हैं व उसके बाद गांव में अंदर प्रवेश करते हैं. पूरे गांव का सामान भी एक साथ ही आता है.

घने जंगल में बसे हैं 10 गांव

जिले के शहर एवं कस्बों से सटे गांव में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं. लेकिन सरिस्का की वादियों में बसे 8 गांव में अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मामला नहीं आया है. वैसे तो सरिस्का क्षेत्र में कुल 29 गांव बसे हुए हैं, लेकिन 6 गांव को शिफ्ट कर दिया गया है. कुछ गांव सरिस्का के बाहरी क्षेत्र में बसे हुए हैं. जबकि आठ से 10 गांव घने जंगल क्षेत्र में हैं।. इन गांव के लोगों की मुख्य आजीविका खेती व पशुपालन है. जंगलों में भेड़, बकरी व मवेशी चराते हैं तो कुछ लोग खेती-बाड़ी के काम में लगे हैं.

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काढ़ा और देसी मसालों से बढ़ा रहे इम्यूनिटी

अरावली की पहाड़ियों से घिरे घने जंगलों में यह लोग पूरे प्राकृतिक आवास में जीवन यापन कर रहे हैं. वहां के लोगों का कहना है कि यहां अभी तक किसी का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. न ही कोई मेडिकल टीम यहां गांव में पहुंची है. क्षेत्र में किसी तरह की दवा का छिड़काव भी नहीं किया गया है. ग्रामीणों ने कहा कि हम अपने बलबूते ही अभी तक स्वस्थ हैं. देशी काढ़ा व अन्य चीजों से खुद की इम्युनिटी बढ़ा रहे हैं. गांव के लोग गिलोय का पानी गरम करके पीते हैं. मसाले का उपयोग ज्यादा करते हैं. काली मिर्च, लॉन्ग, हल्दी सहित अन्य घरेलू चीजों का उपयोग खाने में अधिक कर रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण अभी तक सुरक्षित हैं और प्राकृतिक हवा और देसी खानपान के साथ स्वस्थ हैं. लोगों ने कहा कि वह दिन भर पेड़ों के ही नीचे रहते हैं. ऐसे में शुद्ध हवा और भरपूर ऑक्सीजन मिलती रहती है.

सरिस्का प्रशासन भी लगातार कर रहा है लोगों को जागरूक

कोरोना संक्रमण इंसानों के साथ जानवरों में भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन लगातार क्षेत्र में बसे गांव में लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. सरिस्का की तरफ से 24 घंटे ग्रामीण क्षेत्र में टीम लगाई गई है जो लगातार लोगों को जागरूक कर रही हैं. जंगल क्षेत्र में आने जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है. बाहरी लोगों को आने जाने की अनुमति नहीं है. सरिस्का के मुख्य द्वार पर आने जाने वाले सभी लोगों की जांच पड़ताल की जा रही है. बिना पहचान पत्र के लोगों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा. ग्रामीणों को अपने पालतू जानवर भी गांव में ही रखने की सलाह दी जा रही है जिससे संक्रमण एक जगह से दूसरी जगह न फैल सके.

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