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नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की होगी पूजा, जाने मंत्र, लाभ और पूजन विधि

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Published : Sep 30, 2019, 7:27 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 7:33 AM IST

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

शारदीय नवरात्रि की धूम हर जगह देखने को मिल रही है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी हैं, जिसकी आराधना करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

सिंगरौली। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति है. जिन्होंने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, कठोर तपस्या के कारण ही इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है. ये ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मानी जाती है. ब्रह्मचारिणी देवी को छात्रों, व्यवसायियों और सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, इस रूप की पूजा-अर्चना करने से ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप देवी पार्वती का वह रुप है, जब उन्होंने शिव जी को साधने के लिए कठोर तप किया था.

नवरात्रि के दूसरे दिन ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मां ब्रह्मचारिणी की करते हैं पूजा-अर्चना

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लाभ-
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है. ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा खासकर शिक्षा जगत से जुड़े लोग बौद्धिक क्षमता, विद्या-बुद्धि की प्राप्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी सरस्वती के स्वरुप की पूजा-अर्चना करते है. जिससे ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि-
मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण किए रहती है इसलिए पूजा में सफेद वस्त्र चढ़ाने का विधान है, साथ ही सफेद फूल और दूध से बनी हुई वस्तुओं को चढ़ाने का भी विधान है. मंत्रों का उच्चारण करते हुए सच्चे मन से मां की पूजा करने से ज्ञान स्वरुपी देवी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है.

नौ दिनों में मां दुर्गा के किन-किन रूपों की होती है पूजा-
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करें. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा अर्चना विधि-विधान पूर्वक करें, चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं पांचवे दिन मां स्कंद की, छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना विधि-विधान से और साफ-सफाई से करें, ताकि मां नाराज ना हो. सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजा की जाती है, तो वहीं 6 अक्टूबर को अष्टमी और 9 अक्टूबर नवमी दिन मनाई जाएगी. इस दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. 6 अक्टूबर को अष्टमी मनाई जाएगी और इस दिन मां महागौरी की पूजा होगी. जिसके बाद महानवमी होगी और इस दिन मां सिद्धदात्री की पूजा और कन्या पूजन कर मां को विदाई दी जाती है.

कन्या पूजन और महत्व-
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार नौ कन्या को नौ देवियों का रूप माना जाता है. इसी के कारण नवरात्रि की समाप्ति पर नौ कन्याओं को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा दी जाती है, क्योंकि कन्याओं को देवियों का रूप माना जाता है. कहां जाता है कि कन्याएं त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, चंडिका, शाम्भवी, दुर्गा और सुभद्रा का स्वरूप होती हैं. जिन्हें देवी का रूप मानकर पूजा-अर्चना किया जाता है.

Intro:शारदी नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी र प की पूजा उपासना की जाती है। नवदुर्गा में दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है इसको ज्ञान तपस्या वैराग्य और देवी का रूप माना जाता है कठोर साधना और ब्रह्म में रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया ह।यह छात्रों व्यवसायियों और सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है इस रूप का पूजा अर्चना करने से ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है
Body:9दिनों में मां दुर्गा के किन रूपों का करना चाहिए पूजा

के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करें तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा अर्चना विधि-विधान पूर्वक करें चौथे दिन मां कुष्मांडा का पूजा अर्चना किया जाता है वहीं 5 में दिन मां स्कंद,, अर्चना करें छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना विधि विधान से और साफ सफाई से करें ताकि मां नाराज ना हो। सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजा की जाती है 6 अक्टूबर को अष्टमी और 9 अक्टूबर नवमी दिन मनाई जाएगी इस दिन मां गौरी का पूजा अर्चना की जाती है । 6 अक्टूबर को अष्टमी मनाई जाएगी और इस दिन मां महागौरी की पूजा होगी.
को महानवमी होगी और इस दिन मां सिद्धदात्री की पूजा और कन्या पूजन होगा.
कन्या पूजन और महत्व हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार नौ कन्या को नौ देवियों का रूप माना जाता है इसी के चलते नौ दुर्गा समाप्ति पर नो कन्याओं को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा दिया जाता है क्योंकि कन्याओं को देवियों का रूप माना जाता है । कहां जाता है कि त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, चंडिका, शाम्भवी, दुर्गा और सुभद्रा का स्वरूप होती हैं. जिन्हें देवी का रूप मानकर पूजा अर्चना किया जाता है।
बाइट शास्त्री पीएन मिश्राConclusion:
Last Updated :Sep 30, 2019, 7:33 AM IST
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