ETV Bharat / state

जिसका नाम सुन खौफ से कांप जाते थे लोग, मुसीबत में अब उसी को करते हैं याद

author img

By

Published : Oct 30, 2019, 11:08 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 3:39 PM IST

75 से अधिक लोगों की हत्या करने वाला पूर्व डकैत अब लोगों की सेवा कर रहा है, एक वक्त में खौफ का पर्याय रहे रमेश सिंह सिकरवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कहने पर हथियार डाल दिया था.

पूर्व दस्यु रमेश सिंह सिकरवार

श्योपुर। बागी-बीहड़ के नाम से बदनाम चंबल का नाम सुनते ही लोगों के हलक सूख जाते थे. एक वक्त था, जब बंदूक की ठांय-ठांय सुन लोग अंदर तक कांप जाते थे. पर वक्त के साथ-साथ डकैतों के मन की कड़वाहट भी कम होती गई और एक-एक कर सैकड़ों डकैतों ने अहिंसा के रास्ते पर चलने का फैसला किया और प्रशासन के सामने हथियार डाल दिये. यही वजह है कि जिन डकैतों का नाम सुन कभी लोग खौफजदा हो जाते थे, वही अब मुसीबत में पूर्व डकैत रमेश सिंह सिकरवार को याद करते हैं.

पूर्व दस्यु रमेश सिंह सिकरवार

75 से अधिक लोगों की हत्या कर चुके पूर्व दस्यू रमेश सिंह सिकरवार ने अब जिंदगी जीने का तरीका पूरी तरह से बदल लिया है. आज वे मुसीबत में ग्रामीणों के बीच किसी फरिश्ते की तरह मौजूद दिखाई पड़ते हैं. रमेश सिकरवार चंबल के सबसे कुख्यात डकैतों में से एक रहे हैं. जिनके ऊपर 75 से अधिक हत्या के मामले दर्ज थे. जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने कहने पर आत्मसमर्पण कर दिया था. जिसके बाद 12 साल की सजा काटने बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था. सरकार ने उन्हें और उनकी गैंग को 30-30 बीघा जमीन देने का वादा किया था. साथ ही आत्मरक्षा के लिए एक बंदूक रखने की भी इजाजत दी थी. अब रमेश सिंह सिकरवार गांव में खेती करते हैं. साथ ही खेत में बनी झोपड़ी में ही रहते हैं और आदिवासियों की मदद करते हैं. किसी भी प्रकार की समस्या होने पर लोग सबसे पहले उन्हें ही याद करते हैं.

रमेश सिंह सिकरवार के दस्यु बनने की कहानी भी बिल्कुल जुल्मी है, जिसके खिलाफ उन्होंने बंदूक उठाई थी, वह जब 7वीं में पढ़ते थे. तभी उनके चाचा ने उनके पिता को घर से निकाल दिया था. तब वे अपने चाचा से बदला लेने के लिए बागी बन गए थे. हालांकि, पुजारी के जीवनदान मांगने के बाद उन्होंने चाचा को तो नहीं मारा, लेकिन 75 से ज्यादा हत्या कर चुके हैं. उनका कहना है कि अगर प्रशासन और पुलिस ठीक तरीके से काम करे तो किसी को डकैत बनने की नौबत ही नहीं आएगी.

Intro:ऐंकर
श्योपुर-कभी डकैत बनकर 75 लोगों की हत्याएं कर चुके और चंबल इलाके में दहशत का नाम रहे पूर्व दस्यू रमेश सिंह सिकरवार आत्म समर्पण के बाद अब गरीब आदिवासियों के बीच रहकर अपनी खेती बाडी करके सादगी भरा जीवन जी रहे है। यही वजह है कि कभी उनके नाम से ही कांपने वाले लोग अब उनके पास न सिर्फ उठते- बैठते है बल्कि अपनी परेशानियों को भी उनके पास लेकर पहुंचते है...देखिए यह रिपोर्ट...

Body:वीओ-1
चंबल में दहशत का नाम रहे पूर्व दस्यु रमेश सिंह सिकरवार का जन्म सन 1950 को श्योपुर जिले के लहरोनी गांव में हुआ था, उनके पिता स्व.पीतम सिंह सिकरवार और उनके चाचाओं में बिबाद होने के बाद चाचाओं ने एकराय होकर उनके पिता को जमीन-जायदाद से बेदखल कर घर से निकाल दिया। इस लिए वह घर-वार छोड़कर छोड़कर ठकुलपुरा जिला शिवपुरी में रहने लगे, जब पूर्व दस्यू रमेश सिंह सिकरवार 07वी क्लाश में पढ़ते थे तब उनकी बहन की शादी के लिए कुछ रुपए और घी की जरुरत पड़ी तो रमेस अपने चाचाओं के पास आए और अपनी बहन की शादी के वारे में बताते हुए कुछ रुपए व घी देने के लिए कहा, चाचाओं ने पहले आना-कांनी की लेकिन रमेश यह कहते हुए जिद पर अड़ गए कि हमारे हिस्से की जमीन, सौ के करीब मवेशी सब आप लोगों के पास है, आपको यह तो देना ही पड़ेगा तो चाचाओं ने बैलगाडी देकर घी के 20 टीन बैलगाडी में रखवाकर रमेश को दे दिए और पुलिस को सूचना देकर रमेश पर चोरी का आरोप लगवाकर उन्हे घी के साथ पकड़वा दिया, पूर्व दस्यू रमेश की मानें तो वह पुलिस को 400 रुपए रिश्वत देकर वहां से निकल गए और बहन की शादी होते ही चाचाओं से बदला लेने के लिए फरार हो गए। इसके बाद उन्होंने पहला मर्डर गुलाब धाकड़ निवासी दुवेरा जिला श्योपुर का किया और अपने चाचाओं की हत्या करने के लिए रमेश की गैंग ने उन्हे पकड़ लिया और लहरोनी गांव के बाहर हुनमान मंदिर के पास जब उन्हे गोली मारने वाले थे तभी मंदिर के पुजारी ने मंदिर से बाहर निकलकर उन्हे रोकते हुए झोली फैलाकर दान में उनके तीनों चाचाओं की जान मांग ली, इस वजह से उन्होंने उन्हे बिना गोली मारे ही छोड़ दिया। लेकिन एक मर्डर के बाद पुलिस उनके पीछे थी इस लिए वह गैंग बनाकर जंगल में रहने लगे और एक के बाद एक मर्डर करने लगे। पूर्व दस्यू रमेंश सिंह सिकरवार ने 1975 से 27-10-1984 तक फरारी काटी और करीब 75 हत्याएं की बाद में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कहने पर उन्होंने आत्मसमर्पण किया तब सरकार ने उन्हे और उनकी गेंग के साथियों को 30-30 बीघा जमीन, बच्चों की नौकरी, बंदूकों के लाइसेंस सहित अन्य कई बादे किए लेकिन उन्हे सिर्फ 09-09 बीघा जमीन, एक-एक बंदूकों के लाइसेंस मिले। फिर भी उस जिंदगी से अब की जिंदगी को बेहतर मानकर वह 12 साल की सजा पूरी करके सामान्य जिंदगी जीने लगे। रमेश सिंह की मानें तो जनता और गरीवों के बीच रहे उनके प्रेम की वजह से किसी ने भी उनके खिलाफ गवाही नहीं दी और वह सभी आरोपों में बरी हो गए। अब वह एक भी अपराध में दोषी साबित नहीं हुए। ....

Conclusion:वीओ-2
पूर्व दस्यू रमेश सिंह सिकरवार अब जिले के लहरोनी गांव में अपनी पुस्तेनी जमीन पर खेती बाडी कर रहे है, उनके खेतों में अरहर, धान, सहित अन्य फसलें लहलहा रही है। जिनकी देखरेख पूर्व दस्यू रमेश सिकरवार खुद ही करते है और इलाके के लोग भी उन्हे सम्मान की नजर से देखते है। उन्हे सम्मान देने के अलावा इलाके के आदिवासी अपनी समस्याएं लेकर भी उन्ही के पास पहुंचते है। रमेश सिंह ने अपने खेतों पर रहने के लिए दो झोपडियां बना रखी है, एक घोडी, बाइक और जीप खेतों और बाजार तक आने-जाने के लिए उन्होंने खरीद रखा है, कभी दहशतगर्दी के लिए बंदूक रखने वाले रमेश अब खुद की आत्मरक्षा के लिए बंदूक रखते है। etv bharat से हुई खास चर्चा में पूर्व दस्यू रमेश सिंह सिकरवार ने अपने जीवन के कई अहम बातों के वारे में बताते हुए पहले की जिंदगी से अब की जिंदगी को बेहतर बताया और कहा कि अगर प्रशासन और पुलिस ठीक तरीके से काम करे तो किसी को बागी(डकैत) बनने की जरुरत ही नहीं होगी उन्होंने बंदूक न्याय के लिए उठाई थी। .....

वीओ-3
जब रमेश सिंह सिकरवार फरारी काट रहे थे, तब उनके नाम से ही लोग डरते थे। लेकिन अब लोग उन्हे आदर और सम्मान की नजर से देखते है। रमेंश सिंह लोगों की सहायता करने में तत्पर रहते है और मानवता की सेवा को ही अपना पहला धर्म मानेते है। लहरोनी इलाके के आदिवासी समाज के लोग उन्हे अपने पास बिठाते है और अपनी समस्याऐ बताते है। लहरोनी इलाके के लोगों की मानें तो रमेंश सिंह सिकरवार से उन्हे बिल्कुल भी डर नहीं लगता और वह अच्छे इंसान है। उनकी वजह से इलाके में बदमाश और डकैतों का आतंक नहीं रहता....

बाइट-रमेश सिंह सिकरवार पूर्व दस्यू चंबल
Last Updated : Oct 30, 2019, 3:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.