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Shahdol में सिंघाड़े की खेती कर लाखों कमा रहा किसान, दूसरे किसानों के लिए बना मिसाल

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Published : Dec 2, 2022, 2:20 PM IST

शहडोल का एक किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपये की कमाई कर रहा है, इतना ही नहीं अब लखपति किसान दूसरों के लिए भी मिसाल बनता जा रहा है. आइए जानतें हैं किसान सुरजन सिंह से उनकी कहानी-

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सिंघाड़े की खेती Etv Bharat

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर प्रमुख तौर पर धान की खेती सबसे ज्यादा की जाती है और फिर दूसरे सीजन में गेहूं की फसल लगाई जाती है, अब कुछ किसान सब्जियों की फसल भी लगाने लगे हैं. लेकिन जिले में एक किसान ऐसा भी हैं, जो पिछले 10 से 12 साल से करीब 20 से 22 एकड़ में सिंघाड़े की खेती कर रहा है और उससे लाखों रुपए आमदनी के तौर पर कमा रहा हैं.

सिंघाड़े की खेती कर लाखों कमा रहा किसान

22 एकड़ में सिंघाड़े की खेती: शहडोल जिले के बंडी कला गांव के रहने वाले हैं सुरजन सिंह, जो अपनी एक अलग ही तरह की खेती के लिए जिले में पहचान बना रहे हैं. सुरजन सिंह बताते हैं कि वह पिछले 10 से 12 साल से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं, मौजूदा साल भी 20 से 22 एकड़ जमीन पर उन्होंने सिंघाड़े की खेती की है और अपनी खेती को लेकर काफी खुश भी हैं. इसके साथ ही सुरजन सिंह इसकी खेती के लिए दूसरे किसानों को भी सिखाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते वह सिंघाड़े की खेती करना चाहें.

ऐसे की शुरुआत: सिंघाड़े की खेती की शुरुआत आखिर उन्होंने शहडोल जिले में कैसे कि इसे लेकर वह बताते हैं कि, "यहां तो पहले कोई सिंघाड़े की खेती करता नहीं था, कई साल पहले बाहर से लोग आते थे ठेके पर उनके तालाबों को ले लेते थे और सिंघाड़ा लगाते थे और फिर तुड़ाई कर के चले जाते थे. कुछ साल तक यह परंपरा चलती रही, लेकिन कुछ साल बाद मैंने जब इसका उत्पादन और कास्टिंग देखा तो मैंने ठान लिया कि अब सिंघाड़े की खेती मैं खुद करूंगा. इसके लिए बकायदा मैंने कमर कस ली अब करीब 10 से 12 साल से मैं लगातार सिंघाड़े की खेती अपने तालाबों पर कर रहा हूं. हालांकि सिंघाड़े की खेती के लिए लेबर मुझे बाहर से ही लाने पड़ती है, पान उमरिया या फिर सिहोरा के आसपास से मैं काम करने के लिए लेबर मंगवाता हूं और वही आकर यहां काम करते हैं. 20 से 22 एकड़ जमीन में सिंघाड़े की खेती के लिए पहले तो तालाब की सफाई के लिए 15 से 20 लेबर वह लेकर आते हैं और फिर उसके बाद फसल की तुड़ाई के लिए 20 लेबर लग जाते हैं."

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यहां बेचते हैं फसल: किसान सुरजन सिंह बताते हैं कि, पहले तो वह सिंघाड़े की फसल को तालाब से निकलवाते हैं, फिर इसकी तुड़ाई करवाते हैं और फिर सुखाते हैं. इसके बाद इसके अंदर की जो गोटियां निकलती हैं, उसे ले जाकर के वह सिहोरा मंडी में बेच देते हैं, जिससे उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है.

ऐसे होती है खेती की शुरुआत: किसान सुरजन सिंह कहते हैं कि, "सिंघाड़े की खेती के लिए साल भर काम चलता है इसमें पहले तालाब की सफाई की जाती है तालाब की अच्छे से सफाई कर ली जाती है. इसके बाद फिर जुताई की जाती है, फरवरी में हम इसमें बीज रोपण का काम शुरू कर देंगे, बीज तो बाहर निकलते ही नहीं है अंदर ही रहते हैं अभी हम बीज निकलवा कर छटवां के उसको तालाब के अंदर ही डलवा देंगे उसी बीज में जब अंकुरण हो जाएगा तो फिर उसे हम निकाल कर एक अलग जगह लगाएंगे, और फिर लगाने के बाद जब उसमें बेल निकल जाएगा फिर हम बेल की तुड़ाई करके उसे रोपना शुरू कर देते हैं ये प्रोसेस पूरा साल भर चलता रहता है, एक तरह से माना जाए तो पूरा साल चलता रहता है और इसके जो फल निकलते हैं, वह नवंबर से लेकर दिसंबर तक निकलते हैं, साल भर में हम लगभग 5 से ₹7 लाख रुपये बचा लेते हैं.

ऐसे माहौल में खेती पॉसिबल: किस तरह के माहौल में सिंघाड़े की खेती पॉसिबल है, इसे लेकर किसान सुरजन सिंह बताते हैं कि, "मैं यही कहूंगा कि जहां पानी भरा हो, काली मिट्टी हो तो वहां सिंघाड़े की खेती की जा सकती है. अगर आप स्वयं सिंघाड़े की खेती करते हैं तो और अच्छी बात है, खेती की कास्ट घट जाएगी. दवाइयों के नाम पर अपन सिर्फ कीटनाशक इस्तेमाल करते हैं, खरपतवार नाशक के लिए तो खुद ही काम करना पड़ता है और फिर इसके निंदाई के लिए खुद ही काम करना पड़ता है. धीरे-धीरे हम सीख सकते हैं और इसे सीखा जा सकता है आसान है, उसकी प्रोसेसिंग के लिए अगर कोई जानना चाहता है तो निश्चित तौर पर मैं बताने के लिए तैयार हूं."

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जिले में बढ़ा है सिंघाड़े का रकबा: ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी विक्रम कलमे बताते हैं कि, "शहडोल जिले में सिंघाड़े की खेती का एक अच्छा माहौल है, और इसकी खेती के लिए यहां का वातावरण अच्छा है, जिले में तालाबों की भरमार है और जहां पर तालाब हैं वहां सिंघाड़े की खेती पॉसिबल है, पिछले साल से मौजूदा साल 25 से 30 एकड़ रकबा इसकी खेती का बढ़ा है, मौजूदा साल ही करीब डेढ़ सौ से ज्यादा रकबे में सिंघाड़े की खेती शहडोल जिले में की गई है, शहडोल जिले में सिंघाड़े की खेती के लिए एक अच्छा माहौल है और यहां सिंघाड़े की खेती की जा सकती है, अधिकतर किसानों के पास तालाब हैं शासकीय छोटे-छोटे तालाब भी हैं, इसमें भी अतिरिक्त इनकम के तौर पर खेती की जा सकती है और अपने आय को किसान बढ़ा सकता है."

सिंघाड़े की खेती में अनुदान: सिंघाड़े की खेती के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, सरकार किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सिंघाड़े की खेती में अनुदान भी दे रही है. वहीं अधिकारियों की मानें तो सिंघाड़े की खेती के लिए सरकार की ओर से 25 परसेंट तक का अनुदान है और इसका फायदा किसान ले सकता है, बशर्ते उसे सिंघाड़े की खेती करनी होगी.

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