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भगवान श्री राम ने यहां पर किया था पिता का श्राद्ध, दशरथ घाट से होती है इसकी पहचान

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Published : Oct 23, 2019, 1:03 AM IST

श्रीराम की वनवास यात्रा

वनवास के दौरान भगवान राम मध्यप्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरे. इन जिनों में शहडोल और उमरिया भी शामिल हैं. इन दोनों जिलों के बीच दशरथ घाट मौजूद है, जहां श्रीराम ने पिता का दसवां श्राद्ध किया था.

शहडोल। अयोध्या से शुरू हुई भगवान श्री राम की वनवास यात्रा रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका में संपन्नन हुई. इस दौरान राजाराम देश के दिल यानी मध्य प्रदेश से होकर गुजरे और यहां उन्होंने लंबा वक्त भी गुजारा, शहडोल भी भगवान राम के रामवन गमन पथ का साक्षी बना. शहडोल के जंगलों में जिस जगह रघुराई के चरण पड़े, वह धरा धन्य हो गई, इसका जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. यहां मौजूद दशरथ घाट से होते हुए भगवान राम आगे बढ़े.

भगवान श्री राम ने यहां पर किया था पिता का श्राद्ध

सोन और जोहिला नदी का संगम स्थल
उमरिया जिले के केल्हारी गांव पास कल- कल की आवाज के साथ बहती सोन और जोहिला नदी का संगम भगवाव राम की वनवास यात्रा का अहम पड़ाव था, जिसे दशरथ घाट नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि भगवान श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जंगल की वादियों को पार करते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे और यहीं उन्होंने अपने पिता दशरथ का दसवां श्राद्ध और पिंडदान किया था.

Confluence of Sone and Johila River
सोन और जोहिला नदी का संगम

विशाल मेले का होता है आयोजन

जूनाअखाड़े की महिला थानापति पुष्पांजलि गिरी बताती हैं कि इस स्थान से श्रीराम के गुजरने के कई प्रमाण भी मौजूद हैं. आस्था का केंद्र बने इस स्थान पर14 जनवरी से 18 जनवरी तक यहां विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है.

Dashrath Ghat
दशरथ घाट

दशरथ की एक चरण पादुका लगी है
मध्यप्रदेश के विदिशा में भगवान राम के पैरों के निशान हैं, तो इस जगह राजा दशरथ की एक चरण पादुका भी लगाई गई है. इसके अलावा इस घाट के पास मौजूद मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति भी है, जो काफी प्रसिद्ध है. सोन और जोहिला नदी के पास मौजूद जंगलों की प्राकृतिक छटा मन को सुकून देती है.

लोगों में घाट को लेकर आस्था
मध्यप्रदेश के सतना, चित्रकूट के अलावा शहडोल में दशरथ नंदन ने लंबा वक्त बिताया था. दशरथ घाट इसकी गवाही भी दे रहा है. यही वजह है कि इस घाट को लेकर लोगों में काफी आस्था है.

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नोट- ये खबर रामपथ गमन के लिए स्पेशल स्टोरी है जो मंगवाई गई है।
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इसमें जूना अखाड़े की महिला थानापति पुष्पांजलि गिरी का वर्जन है जो सबकुछ बता रहीं हैं।
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जोहिला और सोन नदी के इस संगम स्थल पर है, दशरथ घाट, श्रीराम ने वनवास के दौरान यहां किया था अपने पिता का श्राद्ध

शहडोल- कलकल की आवाज करती बह रही ये नदी, एक ओर से सोन नदी दूसरी ओर से जोहिला नदी और फिर यहीं होता है दो नदियों का संगम,सोन नदी और जोहिला नदी के इस संगम स्थल को दशरथ घाट के नाम से भी जाना जाता है। जो आसपास के इलाके में काफी प्रसिद्ध है। इस घाट का नाम दशरथ घाट क्यों पड़ा ये कहानी ही प्रभु श्री राम के वनवास के समय यहां से गुजरने का प्रमाण देता है।


Body:शहडोल के संभागीय मुख्यालय से करीब 41 किलोमीटर दूर जंगलों की वादियों को पार करते हुए उमरिया जिले के केल्हारी गांव के समीप ही बिजौरी में है दशरथ घाट, जहां जाते समय आपको प्रकृति का मनोरम नज़ारा तो देखने को मिलेगा ही, साथ ही सोन नदी और जोहिला के संगम का अद्भुत छटा भी यहीं दिखेगा। सोन नदी और जोहिला के इस संगम स्थल को दशरथ घाट के नाम से जानते हैं, या यूं कहें कि ये जगह दशरथ घाट के नाम से प्रसिद्ध है और इसे श्रीराम वनगमन मार्ग के नाम से भी जाना जाता है, लोगों का कहना है की जब श्री राम वनवास में थे तो यहीं से होकर आगे की ओर निकले थे। जूना अखाड़े की महिला थानापति पुष्पांजलि गिरी बताति हैं कि यहां से श्रीराम अपने प्रवास के दौरान यहां से गुजरे थे और उनके कई प्रमाण हैं।

ऐसे पड़ा दशरथ घाट का नाम

जूना अखाड़े की महिला थानापति पुष्पांजलि गिरी जो समय समय पर यहां आती रहती हैं, पिछले 30 साल से इस घाट में आती जाती रहती हैं वो बताति हैं कि इस घाट का नाम दशरथ पड़ने के पीछे भी कहानी है।

वो बताति हैं कि जब प्रभु श्रीराम अपने वनवास में थे तो यहां से होकर भी गुजरे और यहीं सोन नदी और जोहिला नदी के संगम स्थल में अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध , पिंडदान भी प्रभु श्रीराम ने यहीं किया था। इसीलिये इस जगह को राम वनगमन पथ, दशरथ घाट के नाम से भी जाना जाता है। 14 जनवरी से 18 जनवरी तक यहां विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है।

जूना अखाड़े की महिला थानापति बताति हैं कि यहीं से प्रभु श्री राम लोढ़ी, गन्धिया होते हुए छत्तीसगढ़ होते हुए रामेश्वरम और फिर रामेश्वरम से जाकर के श्रीलंका की चढ़ाई किये थे।


प्रसिद्ध हैं भगवान कार्तिकेय

दशरथ घाट में राजा दशरथ की एक चरण पादुका भी लगाई गई है इसके अलावा इस घाट में यहां भगवान कार्तिकेय की मूर्ति भी है जो काफी प्रसिद्ध हैं, इसके अलावा यहां भगवान शिव भी हैं।


सोन-जोहिला का अद्भुत संगम

दशरथ घाट में जब आप पहुंचेंगे तो यहां चारो ओर प्रकृति का अद्भुत नजारा तो आपको देखने को मिलेगा ही साथ ही सोन नदी और जोहिला नदी का अद्भुत संगम भी देखने को मिलेगा।





Conclusion:गौरतलब है की दसरथ घाट में ऐसे कई प्रमाण लोग दे रहे हैं जिसके आधार पर लोगों का कहना है कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान यहीं से होकर गुजरे थे। और इस घाट को लेकर लोगों के बीच काफी आस्था और शृद्धा है।
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