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Sagar Muharram Tajiya: मोहर्रम में ताजिया बनाकर किन्नर करते हैं इमाम हुसैन की शहादत को याद, सदियों से चली आ रही है परम्परा

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Published : Jul 28, 2023, 10:33 AM IST

Updated : Jul 28, 2023, 11:42 AM IST

Muharram 2023
किन्नर करते हैं इमाम हुसैन की शहादत को याद

Muharram 2023: इमाम हुसैन की याद-ए-शहादत किन्नरों की इबादत बन गई है. सागर में किन्नर कई सालों से मोहर्रम पर ताजिया बनाने की परम्परा को निभा रहे हैं और ये परम्परा आज सतत जारी है. मोहर्रम के दसवें दिन परम्परा अनुसार ताजिए निकाले जाएंगे.

सागर में किन्नर निभाते हैं मुहर्रम की रस्में

सागर। मोहर्रम का इस्लाम में बड़ा महत्व है. मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर हिजरी संवत का पहला महीना होता है, जिसे शहादत के तौर मनाया जाता है. मोहर्रम के 10 दिन तक पैगम्बर मुहम्मद साहब के वारिस इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का शोक मनाया जाता है. मोहर्रम के महीने के शुरूआती दस दिन तक लोग रोजा रखते हैं, जिसे आशूरा कहा जाता है. मोहर्रम पर ताजिया सजाकर शहादत को याद किया जाता है और अमन और शांति का पैगाम दिया जाता है. सागर में किन्नर कई सालों से मोहर्रम पर ताजिया बनाने की परम्परा को निभा रहे हैं और ये परम्परा आज भी जारी है. समय के साथ ताजिया में बदलाव आए हैं. पहले बांस और कागज से तैयार किया जाने वाला ताजिया अब थर्माकोल से तैयार होने लगा है. लेकिन शहादत के प्रति सम्मान का भाव आज भी कायम है.

Sagar Muharram Tajiya
ताजिया के साथ किन्नर किरण बुआ

क्या है मोहर्रम का इतिहास: मोहर्रम का इतिहास कर्बला की कहानी से जुड़ा हुआ है. हिजरी संवत 60 में आज के सीरिया को कर्बला के नाम से जाना जाता था. तब यजीद इस्लाम का सर्वेसर्वा बनना चाहता था और उसने सबको अपना गुलाम बनाने यातनायें देना शुरू कर दिया. यजीद के जुल्म और तानाशाही के सामने हजरत मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन और उनके भाई नहीं झुके और डटकर मुकाबला किया. ऐसे कठिन वक्त में परिवार की हिफाजत के लिए इमाम हुसैन मदीना से इराक जा रहे थे, तो यजीद ने उनके काफिले पर हमला कर दिया. जहां यजीद ने हमला किया, वो जगह रेगिस्तान थी और वहां मौजूद इकलौती नदी पर यजीद ने अपने सिपाही तैनात कर दिए. इमाम हुसैन और उनके साथियों की संख्या महज 72 थी, लेकिन उन्होंने यजीद की करीब 8 हजार सैनिकों की फौज से डटकर मुकाबला किया. एक तरफ यजीद की सेना से मुकाबला था, दूसरी तरफ इमाम हुसैन के साथी भूखे प्यासे रहकर मुकाबला कर रहे थे. हार तय थी, लेकिन उन्होंने गुलामी स्वीकार नहीं की और लड़ाई के आखिरी दिन तक इमाम हुसैन ने अपने साथियों की शहादत के बाद अकेले लड़ाई लड़ी. इमाम हुसैन मोहर्रम के दसवें दिन जब नमाज अदा कर रहे थे, तब यजीद ने उन्हें धोखे से मार दिया. यजीद की भारी भरकम फौज से लड़कर मरने के बाद इमाम हुसैन शहीद कहलाए. इसलिए इमाम हुसैन की शहादत के दिन ताजिया बनाकर मोहर्रम मनाया जाता है.

Sagar Muharram Tajiya
किन्नर करते हैं इमाम हुसैन की शहादत को याद

मोहर्रम और ताजिया: मोहर्रम के पाक महीने में इमाम हुसैन की शहादत को श्रृद्धांजली देने के लिए ताजिया तैयार किए जाते हैं. ताजिया बांस से बनाए जाते हैं और उन्हें सजाया जाता है. ताजिए में इमाम हुसैन की कब्र को बनाकर उन्हें शान से दफनाते हैं. इसके साथ मातम तो मनाया जाता है, लेकिन शहीदों की शहादत पर फक्र भी किया जाता है. ताजिया मोहर्रम के दस दिन बाद 11 वें दिन निकाले जाते हैं. इस मौके पर शहादत को याद कर इमाम हुसैन के अनुयायी अपने आप को यातनाएं देते हैं और शहादत को याद कर फक्र महसूस करते हैं.

Muharram 2023
मोहर्रम का इस्लाम में बडा महत्व

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किन्नर भी ताजिया बनाकर मनाते हैं मोहर्रम: मोहर्रम के मौके पर किन्नर ताजिया बनाने की परम्परा कई सदियों से मनाते आ रहे हैं. इसी कड़ी में सागर में भी किन्नर लगातार इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं. सागर की इतवारी टौरी पर रहने वाले किन्नरों के गुरू किरण बुआ बताते हैं कि ''मैनें जब से होश संभाला है, तब से में ताजिया बनाने की परम्परा देखती आयी हूं. हम लोगों के गुरू कमला बुआ और उनकी गुरू के समय से मैं ताजिया बनाना देख रही हूं और हम लोग भी इस परम्परा को कायम रखे हुए हैं. समय के साथ कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन ताजिया बनाने का सिलसिला लगातार जारी है. पहले बांस और कागज से हम लोग ताजिया तैयार करते थे, अब थर्मोकोल का ताजिया बनाने लगे हैं. मोहर्रम के दसवें दिन परम्परा अनुसार ताजिए निकाले जाएंगे.''

Last Updated :Jul 28, 2023, 11:42 AM IST
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