ETV Bharat / state

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने पूछा - गवाहों के बयान अभियु्क्त के सामने क्यों नहीं कराए, ये उनका अधिकार है

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 2:23 PM IST

MP high court news : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त का ये कानूनी अधिकार है कि गवाहों का परीक्षण उसके सामने हो. इस प्रकार हाई कोर्ट ने बैतूल जिला अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया.

MP high court news
हाई कोर्ट ने पूछा - गवाहों के बयान अभियु्क्त के सामने क्यों नहीं कराए

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सीआरपीसी की धारा 273 का पालन होने के कारण जिला न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया. प्रकरण 10 साल पुराना होने के कारण एकलपीठ ने सजा से दंडित आरोपी को दोषमुक्त करने के आदेश जारी किये हैं. अपीलकर्ता संतोष उर्फ टाना की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि एक युवती ने उसके तथा दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ दिसम्बर 2013 को सारणी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

युवती को पीटने का मामला : युवती का आरोप था कि वह अपने मंगेतर के साथ पहाड़ी पर घूमने आई थी. इस दौरान उन्होंने उसके साथ छेडखानी की और बेल्ट तथा डंडे से दोनोंं के साथ मारपीट की. बैतूल न्यायालय ने उसे अगस्त 2019 में धारा 354 के तहत एक साल तथा धारा 323 के तहत 6 माह तथा जुर्माने की सजा से दंडित किया गया था. जिसके खिलाफ उक्त अपील दायर की गयी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि शिकायतकर्ता तथा उसके मंगेतर ने अपने बयान में कहा था कि वह आरोपियों को पहचानते नहीं हैं.

ALSO READ:

याचिका में ये तर्क दिए : ये भी कहा था कि घटना की जानकारी उन्होंने भाभी को दी थी और कद-काठी के आधार पर उन्होंने आरोपियों का नाम पुलिस को बताया था. अपीलकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि न्यायालय ने उसकी अनुपस्थिति में गवाहों के बयान दर्ज किये थे. एकलपीठ ने जिला न्यायालय की ऑर्डरशीट में पाया कि आरोपी की अनुपस्थिति में गवाहों के बयान दर्ज किये गये हैं. उसकी अनुपस्थिति में गवाहों के बयान दर्ज करवाने का अधिकार भी आरोपी ने अपने अधिवक्ता को नहीं दिया था. सुनवाई के बाद एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी करते हुए जिला न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.