ETV Bharat / state

MBBS में दाखिला रद्द करने को दिव्यांग ने दी चुनौती, डेंगू-मलेरिया की वजह बनी डेयरी

author img

By

Published : Oct 22, 2021, 12:17 PM IST

जबलपुर हाई कोर्ट में दिव्यांग प्रियांशी मीना ने MBBS का दाखिला रद्द करने को चुनौती दी है, प्रियांशी का नीट पास करने के बाद एडमिशन भी मिल गया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था, वहीं शहर के अंदर संचालित दूध डेयरियों को डेंगू-मलेरिया फैलाने की वजह बताते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में याचिका दायर कर डेयरियों को शहर से बाहर करने की मांग की गई है.

Violation of Rights of Persons with Disabilities Act 2016
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के उल्लंघन को चुनौती

जबलपुर। शहरी सीमा में स्थापित 450 डेयरियों के कारण तेजी से डेंगू व मलेरिया फैलने का आरोप लगाते हुए एनजीटी में चुनौती दी गई है. एनजीटी के न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह व एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा की बेंच ने इस मामले में मुख्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जबलपुर कलेक्टर व निगामायुक्त को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए आदेशित किया है. आवेदक ने डेयरियों को नगरीय सीमा के बाहर शिफ्ट किये जाने की मांग की है.

महिला आरक्षण पर शिवराज के दावों की हकीकत, कैबिनेट में सिर्फ 3 महिला मंत्री तो संगठन में महज 12% भागीदारी

एक दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

एनजीटी के समक्ष यह आवेदन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉक्टर पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जबलपुर नगर निगम सीमा में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 450 डेयरियां स्थापित हैं, जिनसे निकलने वाला गंदा पानी व गोबर यहां-वहां फेंका जाता है या फिर नालो में बहाया जाता है, इतना ही नहीं पचपेढ़ी जैसे पॉश इलाके में भी डेयरियों का संचालन हो रहा है. यही कारण है कि पूरे प्रदेश में फैले डेंगू व मलेरिया के मामले में जबलपुर सबसे आगे है. आवेदकों की ओर से कहा गया कि जुलाई 2020 में भी एनजीटी ने उक्त मामले में तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिये थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिस पर फिर आवेदन किया गया है. मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को निर्धारित की गई है.

MBBS में प्रवेश रद्द करने को दी कोर्ट में चुनौती

वहीं दोनों हाथ नहीं होने के कारण एमबीबीएस कोर्स में दाखिला नहीं दिये जाने को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मथिमल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ता प्रियांशी मीना की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वह लोकोमोटर बीमारी से ग्रसित है, जिसके कारण उसका एक हाथ काम नहीं करता है. करंट लगने के कारण 14 साल की उम्र में उसका एक हाथ काटना पड़ गया था, एमबीबीएस में दाखिले के लिए वह नीट परीक्षा में शामिल हुई थी, उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया था, जबकि दोनों हाथ से अपंग होने के कारण उसका दाखिला निरस्त कर दिया गया है.

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार 80 प्रतिशत विकलांग होने पर एमबीबीएस में दाखिला नहीं दिया जाता है, जबकि वह 65 प्रतिशत ही दिव्यांग है, इस संबंध में जब सम्पर्क किया गया तो उसे बताया गया कि दोनों हाथ नहीं होने वालों को एमबीबीएस में दाखिला नहीं दिया जायेगा. याचिकाकर्ता की तरफ से पीठ को बताया गया कि यूके सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे, जिसके बाद भारत में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 लागू किया गया था. इसके बावजूद भी उसे दाखिले से वंचित किया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 व 19 के विपरित है. याचिका में प्रमुख सचिव व संचालक मेडिकल शिक्षा, नेशनल मेडिकल कमीशन सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है. याचिकाकर्ता की पैरवी अधिवक्ता आदित्य संघी ने की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.