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आयुक्त लोक शिक्षण ने निजी स्कूलों को 10% फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता को मिली हाई कोर्ट में चुनौती

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Published : Jul 6, 2021, 11:34 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 11:46 PM IST

नवंबर 2020 में जबलपुर हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि कोई भी निजी स्कूल फीस में वृद्धि नहीं कर सकती. लेकिन कोर्ट के इस आदेश को दरकिनार रखते हुए आयुक्त लोक शिक्षण ने 10 फीसदी फीस बढ़ोत्तरी की स्वतंत्रता निजी स्कूलों को दी. इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाई कोर्ट

जबलपुर। कोरोना काल में हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया था. जिसमें कहा गया था कि निजी स्कूल बच्चों से सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल कर सकेगी. कोर्ट के इस आदेश के बावजूद मध्य प्रदेश शासन के आयुक्त लोक शिक्षण ने एक आदेश जारी कर 10 फीसदी फीस बढ़ोत्तरी की स्वतंत्रता निजी स्कूलों को दी. आयुक्त लोक शिक्षण के इस फैसले को जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है.

  • 29 जून को आयुक्त लोक शिक्षण ने जारी किया था आदेश

यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से हाई कोर्ट में दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि आयुक्त लोक शिक्षण ने 29 जून को एक आदेश जारी कर निजी स्कूलों को 10 फीसदी फीस वृद्धि करने की स्वतंत्रता दी है, जो कि अनुचित है.

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  • 4 नवंबर को हाई कोर्ट ने दिया था आदेश

आवेदकों का कहना है कि कोरोना काल में फीस वृद्धि के खिलाफ उनकी ओर से और अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर न्यायालय ने 4 नवंबर 2020 को विस्तृत आदेश जारी कर सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के ही निर्देश दिए थे. इसके बावजूद निजी स्कूलें मनमानी फीस वसूल कर रहीं थी. जिस पर लोक शिक्षण विभाग ने उन्हें सिर्फ 10 फीसदी फीस बढ़ाने की स्वतंत्रता दे दी है. जबकि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है और न ही ऐसी कोई घोषणा सरकार की ओर से की गई है.

Last Updated : Jul 6, 2021, 11:46 PM IST
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