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MP High Court : बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका मामले में नाबालिग किशोरी के अभिभावक से हलफनामा मांगा

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Published : Jun 22, 2022, 4:19 PM IST

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई में पेश हुई नाबालिग लड़की ने दोस्त तथा उसके परिजनों के साथ रहने की बात हाईकोर्ट के समक्ष कही थी. हाईकोर्ट ने लड़की को चाइल्ड केयर सेंटर भेजने तथा उसके बयान के आधार पर जांच के निर्देश दिए. इसके बाद पुलिस जांच में लड़की द्वारा बताई गयी कहानी मनगढ़ंत निकली. लड़की के अभिभावक ने उसकी कस्टडी के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई. (Habeas corpus petition) (Affidavit demand by court from guardian)

habeas corpus petition appeared minor girl
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश हुई नाबालिग लड़की

जबलपुर। याचिकाकर्ता पिता की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है कि उसकी 17 साल की बेटी को भोजपुर बिहार निवासी पवन तिवारी अपने साथ ले गया है. वह उसे बंधक बनाकर रखे हुए है. उसकी बेटी जनवरी माह से गायब है और जिसकी तलाश पुलिस अभी तक नहीं कर पाई है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा ने अभिभावक को इसके लिए हलफनामा पेश करने के निर्देश जारी किए हैं.

किशोरी को कोर्ट में पेश किया : हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए लापता लड़की को पेश करने के निर्देश दिये थे. आधारताल पुलिस द्वारा लडकी को युगलपीठ के समक्ष पेश किया गया. लडकी ने युगलपीठ को बताया कि वह 6 जनवरी को ट्रेन से दिल्ली गयी थी. दिल्ली में वह अपने दोस्त आहना खान के घर पर उसके माता-पिता के साथ थी. याचिका के संबंध में जानकारी मिलने पर वह जबलपुर लौटी. सरकार की तरफ से बताया गया कि पुलिस ने अनावेदक पवन तिवारी के खिलाफ धारा 363 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. इस संबंध में पुलिस को सुराग नहीं मिल पाया है.

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किशोरी के दोस्त व परिजनों को नोटिस जारी होंगे : पुलिस अब किशोरी के दोस्त व उसने परिजनों से पूछताछ कर उन्हें नोटिस जारी करेगी. युगलपीठ ने अपहरण के आरोपी युवक के खिलाफ बिहार डीआईजी के माध्यम से गैर जमानती वांरट जारी करते हुए किशोरी को चाइल्ड केयर सेंटर में भेजने के निर्देश जारी किये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान पुलिस द्वारा आरोपी युवक को पेश नहीं किया गया. युगलपीठ को बताया गया कि बच्ची ने मनगढ़ंत कहानी बताई थी. अभिभावक ने बच्ची की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई. इसके बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी ने पैरवी की.

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