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एक्सपर्ट्स की रायः फेफड़ों पर ओमीक्रोन का असर कम, सीटी स्कैन की ज्यादा जरूरत नहीं, तीसरी लहर में बदला डेथ ट्रेंड

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Published : Jan 14, 2022, 8:50 PM IST

Updated : Jan 17, 2022, 10:06 AM IST

Omicron has less effect on lungs
फेफड़ों पर ओमीक्रोन का असर कम

देश सहित मध्य प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण (Corona third wave in MP) की रफ्तार तेज है. लेकिन बेकाबू होते इस संक्रमण के बीच राहत की बात ये है कि कोरोना पॉजिटिव हो रहे लोगों के फेफड़ों पर ज्यादा असर नहीं हो रहा. इसी वजह से तीसरी लहर में सीटी स्कैन की जरूरत ना के बराबर पड़ रही है. वहीं वैक्सीनेशन और ऑटो इम्युनिटी के कारण डेथ रेट में भी गिरावट आई है. लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है, सरकार ने भी कहा है कि ओमीक्रोन को हल्के में ना लें.

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. नए वेरिएंट ओमीक्रोन के संक्रमण के मामले देश के साथ-साथ प्रदेश में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. संक्रमण की दर भले ही तेज हुई है लेकिन फिलहाल परिस्थितियां राहत वाली नजर आती है. राहत वाली बात यह है कि इस वायरस का संक्रमण फेफड़ों पर असर नहीं डाल रहा है, जैसा कि दूसरे फेज में हुआ था. यही वजह है कि कोरोना के दूसरी लहर की तुलना में इस बार कोरोना हॉटस्पॉट इंदौर में सीटी स्कैन एक परसेंट भी नहीं हो रहे हैं. साथ ही मृत्यु दर में भी कमी आई है, इम्युनिटी बढ़ने के कारण डेथ रेट घटकर 0.1% रह गया है.

फेफड़ों पर ओमीक्रोन का असर कम

सीटी स्कैन की नहीं पड़ रही जरूरत (CT scan not needed in third wave)

कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण की भीषण त्रासदी के दौरान जहां सीटी स्कैन के बिना संक्रमण का पता लगाना मुश्किल था. वही अब अधिकांश संक्रमित मरीजों को सीटी स्कैन की जरूरत तक नहीं पड़ रही है. देश में कोरोना का हॉटस्पॉट रहे इंदौर में ही शहर की 10 प्रमुख सीटी स्कैन सेंटरों पर कोरोना के एक परसेंट मरीजों को भी लंग्स स्कैन या फिर कोरोना की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन की जरूरत नहीं पड़ रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि वायरस गले के नीचे पहुंचकर संक्रमण (Omicron has less effect on lungs) नहीं फैला पा रहा है, लिहाजा फेफड़ों अथवा अन्य अंगों तक ओमीक्रोन का संक्रमण नहीं पहुंच पा रहा है, जो राहत पहुंचाने वाली खबर है.

no need for CT scan in corona third wave
तीसरी लहर में सीटी स्कैन की ज्यादा जरूरत नहीं

वैक्सीनेशन और ऑटो-इम्युनिटी का असर (Effects of vaccination and auto-immunity)
एक्सपर्ट की मानें तो संक्रमण के कम घातक होने की वजह लोगों की बढ़ी हुई प्रतिरोधक क्षमता है, जो वैक्सीन लगने से आई है. साथ ही बीमारी के साथ ऑटो इम्युनिटी भी डेवलप होती है. बड़ी बात यह भी है कि आरटी-पीसीआर जांच में जो मरीज संक्रमित पाए जा रहे हैं, उनमें भी कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं दिख रहे हैं. इनमें से अधिकांश ऐसे मरीज हैं, जिनमें कोई भी लक्षण नहीं पाए जा रहे हैं. वहीं जिन संक्रमित लोगों में लक्षण पाए जा रहे हैं, उनमें भी वायरस गले के नीचे पहुंचकर संक्रमण नहीं फैला पा रहा है.

Effects of vaccination and auto-immunity
वैक्सीनेशन और ऑटो-इम्युनिटी का असर

डेथ रेट घटने से बढ़ रही लापरवाही (Negligence can be dangerous)

संक्रमण के ज्यादा घातक नहीं होने के कारण तीसरी लहर में लगातार केसेस बढ़ने के बावजूद लोग कोरोना के प्रति लापरवाही बरतते नजर आ रहे है, जो भारी पड़ सकती है. वहीं संक्रमितों की संख्या इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि लोगों में लक्षण नहीं दिख रहे, इसलिए पॉजिटिव होने के बावजूद उन्हें पता नहीं चल रहा. फ़िलहाल इंदौर के लिए राहत वाली बात ये है कि शहर में डेथ रेट 0.1 % से भी कम है. शहर में करीब 40 लाख आबादी है, लेकिन कोरोना से तीसरी लहर में 2 मौत हुई है. दरअसल शहर में वैक्सीनेशन भी काफी हो चुका है. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यदि इसी तरह से लापरवाही बरती गई तो तीसरी लहर में भी संक्रमण का असर दूसरी लहर की तरह भयावह हो सकता है, क्योंकि ओमीक्रोन के अलावा मरीजों में डेल्टा प्लस वेरिएंट का संक्रमण पाया जा रहा है, जो दूसरी लहर में सर्वाधिक घातक एवं सक्रिय रहा है.

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'ओमीक्रोन को न मानें आम सर्दी-खांसी' (Omicron can be Fatal)
बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार ने लोगों से कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को सामान्य सर्दी-खांसी नहीं मानने और वैक्सीन लगवाने की अपील की है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा, ओमीक्रोन कोई सामान्य सर्दी-खांसी नहीं है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है. हमें सतर्कता बरतने और वैक्सीन लगवाने की जरूरत है. साथ हीं लोगों को कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाते रहना होगा. मास्क और सोसल डिस्टेंसिंग का हर हालत में पालन करना जरूरी है

Last Updated :Jan 17, 2022, 10:06 AM IST
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